हरियाणा में पानीपत के गांव नौल्था में एक किसान की 5 करोड़ की जमीन को हड़पने के लिए अदानी एग्री लॉजिस्टिक्स कंपनी (Adani Agri Logistics Company) कर्मियों ने जाली दस्तावेज बना दिए. यहां तक उन्होंने किसान को कोई पेमेंट नहीं की, लेकिन अदायगी के फर्जी दस्तावेज कोर्ट में पेश कर दिए.
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राकेश भयाना/ पानीपत: हरियाणा में पानीपत के गांव नौल्था में एक किसान की 5 करोड़ की जमीन को हड़पने के लिए अदानी एग्री लॉजिस्टिक्स कंपनी (Adani Agri Logistics Company) कर्मियों ने जाली दस्तावेज बना दिए. यहां तक उन्होंने किसान को कोई पेमेंट नहीं की, लेकिन अदायगी के फर्जी दस्तावेज कोर्ट में पेश कर दिए. जिन्हें किसान ने सबूतों के साथ फर्जी साबित कर दिया. मगर किसान पर आरोपी समझौता करने का दवाब बना रहे और जान से मारने की धमकी दे रहे हैं.
पानीपत पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की और किसान ने गृह मंत्री अनिल विज से शिकायत की. विज के आदेशों पर कंपनी के 7 कर्मियों समेत गुरुग्राम के वेंडर पर IPC की धारा 420, 423, 467, 468, 471, 474, 506 और 120-B के तहत केस दर्ज कर लिया है.
इन पर हुआ केस दर्ज
गृह मंत्री अनिल विज को दी शिकायत में जितेंद्र बनी सिंह ने गुरुग्राम की कंपनी अडाणी एग्री लॉजिस्टिक्स (पानीपत) लिमिटेड के तीन डायरेक्टर पवन कुमार मित्तल, पुनीत मेहंदीरत्ता, अमित कुमार समेत 8 लोगों के खिलाफ 8 बड़ी धाराओं में केस दर्ज करवाया है. आरोपियों में इन डायरेक्टर के अलावा अजय शर्मा केयर ऑफ अडाणी पक्षी लॉजिस्टिक्स, राजीव संधू निवासी सेक्टर-8 रोहिणी दिल्ली, राजपाल केयर ऑफ अडाणी एग्री लोजिस्टिक्स (पानीपत), अडाणी एग्री लोजिस्टिक्स पानीपत और प्रदीप खन्ना स्टांप वेंडर गुरुग्राम शामिल है.
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पिता बुजुर्ग हैं, इसलिए बेटा लड़ रहा हक की लड़ाई
जितेंद्र ने बताया कि उसकी गांव नौल्था में 19 कनाल जमीन है, जोकि करीब ढाई किला है. हालांकि इस जमीन के पहले मालिक उसके पिता बनी सिंह हैं. जिनकी उम्र 86 साल हो चुकी है. इसीलिए उन्होंने यह जमीन बेटे की नाम कर दी है.
अब इस जमीन पर चले रहे विवाद का केस बेटा जितेंद्र ही लड़ रहा है. क्योंकि पिता बुजुर्ग होने की वजह रोजाना थाने-तहसील के चक्कर नहीं काट सकता है. जितेंद्र ने बताया कि सभी आरोपी गांव नौल्था की भूमि में कुछ गोदाम बनाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने कई लोगों की रजामंदी से उनकी जमीन खरीदी है.
हर रसीद पर फर्जी हस्ताक्षर
आरोपियों ने एक झूठा, फर्जी और बिना मालिक के हस्ताक्षरों के इकरारनामा उनकी जमीन को हड़पने के लिए 11 अक्टूबर 2018 को किया. दीवानी दावा में दो रसीद 11 सितंबर 2019 और 11 अगस्त 2020 की बनाई गई है. जितेंद्र का कहना है कि वास्तव में न तो इन रसीदों के तहत उसे कोई राशि दी गई है और न ही इन रसीदों और इकरार नामे पर उनके कोई हस्ताक्षर हैं. सभी आरोपियों ने उसकी जमीन को ऐंठने के लिए झूठे दस्तावेज तैयार किए और अदालत में भी इनका इस्तेमाल किया है.
एक्सपर्ट में हस्ताक्षरों को बता चुके फेक
इस बात का उसे तब पता लगा जब आरोपियों द्वारा किया गया दीवानी दावा के बाबत सितंबर 2021 में उसे कोर्ट समन मिला. कोर्ट में पेशी के दौरान जितेंद्र ने इन हस्ताक्षरों को झूठा बताते हुए साफ तौर पर इनकार कर दिया. इतना ही नहीं, कोर्ट के आदेशों पर कागजों पर हुए हस्ताक्षरों की एक्सपर्ट से भी जांच करवाई गई, जिसमें हस्ताक्षरों का मिलान नहीं हुआ. अब आरोपियों ने उसे धमकी दी कि या तो समझौता कर लें, नहीं तो वे उन्हें जान से मार देंगे.