हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने किया प्रदर्शन, मान्यता न बढ़ाने को लेकर सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1498284

हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने किया प्रदर्शन, मान्यता न बढ़ाने को लेकर सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन

हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने करनाल लघु सचिवालय पर जोरदार प्रदर्शन किया. साथ ही उन्होंने जिला ड्यूटी मजिस्ट्रेट को प्रदेश मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम ज्ञापन भी सौंपा.

हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने किया प्रदर्शन, मान्यता न बढ़ाने को लेकर सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन

कमरजीत सिंह/करनाल: हरियाणा सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की मान्यता को अब आगे बढ़ाने की परमिशन नहीं दी है. इसके चलते लगभग 2000 स्कूलों पर तलवार लटक चुकी है. इसके साथ ही इन स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों का भविष्य अभी अंधकार में जा सकता है. प्राइवेट स्कूलों की मान्यता को 1 साल के लिए बढ़ाने की मांग को लेकर हरियाणा प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने करनाल लघु सचिवालय पर जोरदार प्रदर्शन किया. साथ ही उन्होंने जिला ड्यूटी मजिस्ट्रेट को प्रदेश मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम ज्ञापन भी सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से अनुरोध किया कि स्कूलों की मान्यता को एक्सटेंड किया जाए. ताकि बच्चों के भविष्य पर तलवार न लटके. करनाल पहुंचे एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलभुषण शर्मा ने की.

ये भी पढ़ें: सिक्किम में सेना का ट्रक गिरा खाई में, हादसे में 3 JCO's समेत 16 जवान हुए शहीद

कुलभुषण शर्मा ने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा हर साल प्राइवेट स्कूलों को नियम पूरे न करने का हवाला देकर तंग करने का काम किया जा रहा है. बोर्ड परीक्षा में उनके स्टूडेंट्स को परीक्षा न दिलवाने के बारे में आदेश भी जारी किए जाते हैं. जो की सरासर भेदभाव पूर्ण है.

हरियाणा के 2000 निजी स्कूल बंद होंगे. हरियाणा सरकार ने इन स्कूलों की अस्थायी मान्यता को एक्सटेंड नहीं किया है. इससे इनमें पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है. इन स्कूलों को संचालित करने वाले भी सरकार के इस फैसले को लेकर परेशान हैं.

उनका कहना है कि सरकार छोटे स्कूलों को बंद कर बड़े स्कूलों को फायदा पहुंचाना चाहती है. इससे राज्य में शिक्षा और महंगी होगी. कुलभूषण शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी के चपेट की आर्थिक मंदी से प्राइवेट स्कूल निकलने की ही कोशिश कर रहे थे. सरकार ने उनकी मान्यता की अवधि न बढ़ाकर उनको मरने के लिए और उनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बेसहारा छोड़ दिया है. यह स्कूल संचालकों के साथ अन्याय है.

वहीं निशा शर्मा ने कहा कि बहुत से सरकारी स्कूल भी शिक्षा के अधिकार अधिनियम के नियमों पर खरा नहीं उतरते. फिर भी सरकार इस प्रकार की कार्रवाई सिर्फ छोटे-छोटे प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ ही क्यों करना चाहती है.

Trending news