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Nuh News: ग्रामीण सफाई कर्मचारी को कांग्रेस का साथ मिल गया है. कांग्रेस विधायक एवं सीएलपी उपनेता आफताब अहमद ने लघु सचिवालय नूंह में धरने पर बैठे ग्रामीण सफाई कर्मचारियों के बीच पहुंचकर उन्हें समर्थन का भरोसा दिलाया है. ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने इस दौरान कांग्रेस विधायक आफताब अहमद को अपनी मांगों से जुड़ा हुआ. एक ज्ञापन भी दिया है.
ग्रामीण सफाई कर्मचारियों से मुलाकात के बाद कांग्रेस विधायक व उपनेता आफताब अहमद ने कहा कि यह हमारे समाज का बहुत महत्वपूर्ण अंग है और अपनी सेवा से यह बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभाते हैं. ग्रामीण सफाई कर्मचारी संगठित कर्मचारी हैं. मैं समझता हूं कि कांग्रेस की सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए गांव में ही ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को नियुक्त किया गया था. हमारे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने गांव में ही रोजगार मुहैया कराया था और तकरीबन 11000 सफाई कर्मचारियों को नौकरी दी थी, लेकिन करीब 10 साल बीत जाने के बाद भी मौजूदा सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना है. कांग्रेस पार्टी ने फैसला लिया कि हम सफाई कर्मचारी आयोग बनाएंगे और उस आयोग में इन कर्मचारियों की जो भी मांग हैं, चाहे नौकरी पक्के करने की बात है. वेतन विसंगति की बात है या अन्य कोई भी संबंधित मांग हो, उन मांगों पर पूरी तरीके से गौर किया जाएगा.
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सफाई कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होने दी जाएगी. हमने उनकी मांग को समर्थन करते हुए हम विधानसभा सत्र में पहले भी उठाते रहे हैं और आने वाले मानसून सत्र में भी मजबूती से उठाया जाएगा. कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी इनकी नौकरी को पक्का करने का और सफाई कर्मचारी आयोग बनाने का वायदा करेंगे ताकि इनको पूरा लाभ मिल सके और कर्मचारियों को पूरी तरह से संतुष्टि हो सके और यह अपना जीवन यापन सही तरीके से कर सकें.
कांग्रेस नेता आफताब अहमद ने कहा कि सरकार कर्मचारी विरोधी हैं. किसान विरोधी है, युवा विरोधी है, खिलाड़ी विरोधी है, मजदूर विरोधी है और सफाई कर्मचारी विरोधी तो हैं ही. पहले भी 51 दिन की हड़ताल वर्ष 2023 में रही थी. उसके बावजूद भी सरकार से कोई हल नहीं निकला. आजकल तो यह सरकार झूठी घोषणाएं कर रही है. समाधान इनके पास नहीं है. पूरे हरियाणा में कर्मचारी वर्ग सड़कों पर आंदोलन कर रहा है और अपनी मांगों को जो इन्होंने वायदे किए थे, उनको भी यह भूल गए हैं. यह हरियाणा के विकास के विरोधी हैं. अपनी सरकार की विश्वसनीयता यह खो चुके हैं. कर्मचारियों का अब सरकार पर कोई यकीन नहीं रहा है.
INPUT: ANIL MOHANIA