फरीदपुर गांव में रहने वाले 67 साल के राजाराम को समाज कल्याण विभाग की तरफ से बुढ़ापा पेंशन मिल रही थी लेकिन कुछ महीनों पहले उन्हें वहां के कागजात में मृत घोषित कर दिया गया. अब वो खुद को जिंदा साबित करने के लिए भटक रहे हैं.
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फरीदाबाद: अगर कभी किसी इंसान को उसके जिंदा रहने का सबूत देना पड़े तो उसे कैसा लगेगा, ये सुनने में आपको भी थोड़ा अटपटा जरूर लग रहा होगा. पर ये हम नहीं फरीदाबाद के गांव फरीदपुर के एक बुजुर्ग इंसान का दर्द है, जो पिछले कुछ महीनों से अपने ही जिंदा होने के सबूत लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन अभी भी वो सरकारी कागजातों में जीवित नहीं हो पाए.
क्या है पूरा मामला
फरीदपुर गांव में रहने वाले राजाराम 67 साल के हैं और पिछले 7 सालों से समाज कल्याण विभाग की तरफ से मिलने वाली बुढ़ापा पेंशन का लाभ ले रहे थे. पिछले कुछ महीनों से उनकी पेंशन नहीं आई थी, जिसके शिकायत लेकर वो विभाग पहुंचे तो वहां के लोगों ने कहा कि ऊपर से आप को मृत घोषित कर दिया गया है, इसलिए अब आप की पेंशन नहीं मिल पाएगी. अगर आप पेशन लेना चाहते हैं तो अब अपने जिंदा होने का सबूत लेकर आना होगा.
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जिला उपायुक्त कार्यालय समेत कई विभागों के लगाए चक्कर
67 वर्षीय बुजुर्ग ने अपने जिंदा होने के सबूत इकट्ठे करने के लिए जिला उपायुक्त कार्यालय सहित कई सरकारी विभागों के चक्कर लगाए. आखिर में खुद के जिंदा साबित न कर पाने पर वह थक-हार के घर बैठ गया.
गांव में लोग उड़ाते हैं मजाक
समाज कल्याण विभाग की तरफ से मृत घोषित होने के बाद गांव में भी लोग राजाराम का मजाक उड़ाते हैं. कई लोग उन्हें जिंदा भूत के नाम से भी पुकारने लग गए हैं.
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कमजोर आर्थिक स्थिति बनी परेशानी की वजह
राजाराम के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, पेंशन के रुपये भी बंद होने के बाद से घर की स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ गई है. दरअसल राजाराम कोई पहले व्यक्ति नहीं है जो विभाग की लापरवाही का परिणाम भुगत रहे हैं. इसके पहले भी कई लोग अधिकारियों और कर्मचारियों की गलती की वजह से खुद को जिंदा साबित करने दर-दर की ठोकरें खा चुके हैं.