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नई दिल्ली: दिल्ली में यमुना नदी एक बार फिर से चर्चा में आ गई है. जहां एक तरफ यमुना का जल स्तर लगातार कम हो रहा है, वहीं दिल्ली की तमाम गंदगी नदी में बहाई जा रही है, जिसके कारण यमुना लगातार प्रदुषित होती जा रही है. सरकार के तमाम दावों और प्रयासों के बावजूद यमुना नदी में प्रदूषण कम नहीं हो पा रहा है. आज सुबह यमुना नदी में जहरीला झागों बहते देखा गया. सीएम केजरीवाल ने एक दिन पहले ही यमुना नदी को साफ करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी, लेकिन पिछले कई साल से यमुना नदी जस की तस है.
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हाल ही यमुना नदी का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पानी में किस हद तक टॉक्सिक घुल गया है. वह साफ देखा जा सकता है. विषैला होने के कारण पूरी नदी सफेद रुई के टुकड़े की तरह विषैली नजर आ रही है।. दूर से देखने पर यमुना बर्फीली नदी का अहसास दे रही है, लेकिन हकीकत यह है कि लगातार यहां गंदगी का स्तर बढ़ता जा रहा है.
पिछले दिनों प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की ओर से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक मल कॉलीमॉर्म शहर के सीवेज के माध्यम से पानी को दूषित कर रहा है. इसका स्तर जितना अधिक होता है, उतना ही यह पानी में रोग पैदा करने वाले जीवों को पैदा कर रहा है. रिपोर्ट के अनुसार नदी में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर 1,200 एमपीएन है, जो सबसे संभावित संख्या मिलीलीटर पर था. असगरपुर से बाहर निकलने के बाद, शाहदरा और तुगलाकाबाद नालियों से जाने वाली पानी की वजह से इसका स्तर 6,10,000 mpn/100ml पर था जो 2,500 mpn/100ml की अधिकतम अनुमेय सीमा से 244 गुना अधिक और 500 mpn/की वांछित सीमा से 1,220 गुना अधिक था.
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को बुराड़ी में स्थापित कोरोनेशन प्लांट का निरीक्षण किया. उनका कहना था कि इस योजना के जरिए यमुना का पानी साफ होगा. इससे दिल्ली में पानी की मांग भी पूरी करने में मदद मिलेगी. दरअसल कोरोनेशन एसटीपी से पानी एडवांस ट्रीटमेंट प्लांट में लाया जाएगा. बता दें कि यमुना को साफ करने के लिए अब तक कई तरह के एक्शन प्लान बनाए जा चुके हैं. इसके अलावा हरियाणा के पानीपत और सोनीपत जिलों से भारी मात्रा में औद्योगिक कचरा भी यमुना में मिलकर इसे लगातार प्रदूषित कर रहा है. मार्च में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समीति (DPCC) की रिपोर्ट से पता चला है कि अधिकांश सीवेज उपचार संयंत्र निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते हैं.
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