Haryana: HCS ज्यूडिशियल पेपर लीक मामले में हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार को सजा, 8 साल पुराना है मामला
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Haryana: HCS ज्यूडिशियल पेपर लीक मामले में हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार को सजा, 8 साल पुराना है मामला

Haryana News: साल 2017 के एचसीएस ज्‍यूडिशियल पेपर लीक मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. बलविंदर कुमार शर्मा को दोषी ठहराया है.

Haryana: HCS ज्यूडिशियल पेपर लीक मामले में हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार को सजा, 8 साल पुराना है मामला

Haryana News: हरियाणा में एचसीएस ज्‍यूडिशियल पेपर लीक मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने फैसला सुनाया है. इस मामले में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने  पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. बलविंदर कुमार शर्मा सहित दो  लोगों को दोषी ठहराते हुए 5-5 साल की सजा सुनाई है. 

2017 का है मामला
हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा साल 2017 में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के 109 पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे. परीक्षा का आयोजन तीन चरणों में किया जाना था, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और मौखिक परीक्षा शामिल था. 16 जुलाई 2017 को एचसीएस (जेबी) की प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की गई. परीक्षा के बाद पिंजौर की एक महिला वकील ने हाईकोर्ट में पेपर लीक होने की शिकायत की थी. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर चंडीगढ़ पुलिस ने ये मामला दर्ज किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामले को चंडीगढ़ से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया.

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SIT का गठन
शिकायतकर्ता महिला वकील द्वारा इस बात का भी दावा किया गया कि पेपर लाखों रुपये में बेचे गए थे. इस बात की जानकारी उन्हें सुनीता नाम की महिला ने दी थी और सुनीता ने ही इस परीक्षा में टॉप किया था. महिला वकील की शिकायत के आधार पर इस मामले की जांच के लिए SIT गठित की गई. जांच में सामने आया है कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार बलविंदर शर्मा और महिला टॉपर के बीच 700 से ज्यादा बार फोन पर बात हुई थी.

9 लोगों को बनाया आरोपी
इस मामले में 9 लोगों को आरोपी बनाया गया. अदालत ने सुनीता और बलविंदर कुमार शर्मा को आईपीसी की धारा 120-बी के साथ धारा 409 आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (1) (डी) के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया. वहीं अदालत ने आरोपी सुशीला को आईपीसी की धारा 411 के तहत गंभीर दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया है. इन आरोपी व्यक्तियों को धारा 420 आईपीसी और धारा 8 और 9 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और धारा 201 आईपीसी के तहत अपराधों के लिए बरी कर दिया गया है. वहीं अदालत ने छह आरोपियों को इस मामले में बरी कर दिया है. सुशीला  एफआईआर दर्ज होने के बाद 9 महीने तक जेल में रही थी इसलिए उसकी सजा अंडरगोन कर दी गई.

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