भारत में भी दिवाली के बाद से फ्लू के अलग-अलग वायरस लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं, लेकिन उसकी वजह वायु प्रदूषण और सर्दी का मौसम है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से वायरल बुखार और सांस से जुड़ी बीमारियों पर अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं.
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Health News: चीन में निमोनिया और बुखार के बढ़ते मामलों के बाद भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से वायरल बुखार और सांस से जुड़ी बीमारियों पर अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं. मंत्रालय ने कहा है कि सभी तरह के बुखार की मॉनिटरिंग की जाए. साथ ही बच्चों और किशोरों में बुखार के मामलों पर निगरानी रखने को कहा गया है.
चीन में निमोनिया के मामले बढ़ने के बाद सरकार ने स्ट्रेटजी बदल ली है. सीवियर एक्यूट रेस्पाइरेटिरि इलनेस (SARI) के मामलों को राज्यों में मौजूद वायरस रिसर्च लैब (VRL) से शेयर करने को कहा गया, ताकि किसी नए वायरस की जांच और पहचान हो सके. राज्यों से अस्पतालों में उपलब्ध बेड्स, मास्क, ऑक्सीजन, एंटीबायोटिक दवाएं, वेंटिलेटर जैसी चीजों को चेक करने को कहा गया है. मंत्रालय के मुताबिक यह वायरल बुखार का सीजन है इसलिए बुखार और निमोनिया के मामले इस समय अस्पतालों में ज्यादा है.
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चीन में फैले अलग-अलग बुखार को कुछ देश रहस्यमयी यानी mysterious बुला रहे हैं तो मेडिकल एक्सपर्ट इसे cocktail of virus का नाम दे रहे हैं. चीन के आधिकारिक बयान के मुताबिक ये कई तरह के वायरस का अचानक एक साथ हुआ हमला है, जिसने लोगों को बीमार किया है. दरअसल चीन में इस वक्त दो तरह के वायरस फैले हैं. पहला-RSV ( Respiratory Synctical virus). ये अपर रेस्पाइरेटिरि सिस्टम पर हमला करने वाला वायरस है. इसका इंफेक्शन सांस की नली से शुरू होता है. दूसरा-Adenovirus. ये वायरस कॉमन फ्लू यानी साधारण खांसी, जुकाम और बुखार की वजह बनता है.
इस तरह फैलता है वॉकिंग निमोनिया
Mycoplasma Pneumonia एक बैक्टीरिया का इंफेक्शन है. इसे Walking Pneumonia भी कहते हैं. ये भी droplet infection है यानी ये खांसने छींकने से फैल सकता है इसके इलाज के लिए antibiotics दवाएं दी जाती हैं. अगर ये वायरस एक साथ फैले हों तो मरीज को एक से ज्यादा वायरस एक साथ अटैक कर सकते हैं. इसे cocktail of virus या पैथोजन मिक्सिंग कहा जाता है. इसके शिकार मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करवाना पड़ सकता है.
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श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ आशीष जायसवाल के मुताबिक भारत में भी दिवाली के बाद से फ्लू के अलग-अलग वायरस लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं, लेकिन उसकी वजह वायु प्रदूषण और सर्दी का मौसम है. इन वायरस की पहचान के लिए ब्लड टेस्ट और कोरोना की तरह नेजल स्वैब का सैंपल लेकर RTPCR TEST कराया जा सकता है.
स्टार इमेजिंग लैब के निदेशक डॉ समीर भाटी के मुताबिक अभी हर आयु वर्ग के केस आ रहे हैं, लेकिन कुछ लोग टेस्ट करवाने में देरी कर देते हैं, जिससे तब तक मरीज गंभीर निमोनिया की चपेट में आ जाता है, इससे बचना चाहिए. वहीं पल्मनरी मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ आशीष जायसवाल के मुताबिक चीन से फिलहाल कोई मौत रिपोर्ट नहीं हुई है, लेकिन चीन पर सूचनाएं छिपाने और वायरस को लैब में बनाने के गंभीर आरोप पहले लग चुके हैं, इसलिए अलर्ट रहना जरूरी है.