हॉस्पिटल में खराब खड़ी एम्बुलेंस जिनको ठीक करवाने के लिये चंद राशि खर्च करनी पड़े. आप खुद ही सोचिए उन एम्बुलेंस की मरम्मत करवाने के लिये हेड आफिस फाइल भेजनी पड़े तो इससे बड़ी लाचार व्यवस्था क्या होगी.
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राकेश भयाना/पानीपत: हरियाणा प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के बड़े-बड़े दावे ठोकता है. इतना ही नहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भी जिन पर प्रदेश की जनता विश्वास करती है वो भी अपने अस्पतालों की अक्सर प्रशंसा करते हुए नजर आते है, लेकिन जरा सोचिए बेहतर सुविधाओं के नाम पर यदि मरीजों को ले जाने वाली एंबुलेंस ही बीमार पड़ जाए तो उस अस्पताल के मरीजों की हालत क्या होगी.
जबकि, कायाकल्प में प्रदेश में नंबर 1 का स्थान हासिल करने के साथ 50 लाख की राशि जीती हो, उस हॉस्पिटल में खराब खड़ी एम्बुलेंस जिनको ठीक करवाने के लिये चंद राशि खर्च करनी पड़े. आप खुद ही सोचिए उन एम्बुलेंस की मरम्मत करवाने के लिये हेड आफिस फाइल भेजनी पड़े तो इससे बड़ी लाचार व्यवस्था क्या होगी. पानीपत सरकारी हॉस्पिटल में टायर पंचर, खराब इंजन, बिना स्टेपनी, एंबुलेंस में ब्रेकडाउन चिपका पर्चा ऐसी कई एंबुलेंस पिछले कई महीनों से सरकारी हॉस्पिटल में खड़ी अपनी लाचारी के आंसू बहा रही है.
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लेकिन, उन एंबुलेंस का इलाज कराने की जहमत किसी ने भी उठाने उचित नहीं समझी. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर जयंत आहूजा ने कहा कि हॉस्पिटल परिसर में 3 ALS व 3 BLS एंबुलेंस है, जिनमें से दो एंबुलेंस खराब अवस्था में है. डॉ. जयंत ने बताया कि एक एंबुलेंस का टायर बदला जाना है जिसे कुछ ही दिनों में ठीक करवा दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि एंबुलेंस को ठीक करवाने की विभाग को प्रक्रिया साफ नहीं था. इसके लिए हेड क्वार्टर से संपर्क किया गया.
मुख्य चिकित्सक ने बताया कि प्रक्रिया की जानकारी होने के बाद अब इसे ठीक करने के लिए हेडक्वार्टर भेज दिया गया है. डॉ. आहूजा ने बताया कि जो ब्रेकडाउन एंबुलेंस है उसको मान्यता प्राप्त कंपनी से मरम्मत कराने का कार्य प्रगति पर है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने एंबुलेंस को ठीक करवाने में देरी का कारण एंबुलेंस की देखरेख करने वाले फ्लीप मैनेजर की तबीयत खराब होने के कारण फाइल हेड क्वार्टर भेजने में देरी हो गई. मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने फलीप मैनेजर की तबीयत ठीक ना होने कारण बताते हुए गलती मानी.
इसी के साथ उन्होंने आश्वासन दिया कि कुछ दिनों में यह सड़कों पर सरपट दौड़ेगी. मरीजों से बातचीत हुई तो उन्होंने कहा कि पानीपत के सरकारी हॉस्पिटल में अक्सर एंबुलेंस समय पर नहीं मिलती तो हमें निजी एंबुलेंस को अधिक किराया देकर ले जाना पड़ता है. सभी ने सरकार व प्रशासन से अपील की कि सरकारी एंबुलेंस का उचित प्रबंध करवाया जाए. ताकि निजी एंबुलेंस जो महंगी दरों पर मिलती है उससे निजात मिल सके.
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मरीज के साथ आई बुजुर्ग महिला ने तो यहां तक का निजी एंबुलेंस द्वारा अधिक पैसा लेने के कारण मरीज को ऑटो में भी ले जाना पड़ता है. हॉस्पिटल के एक कर्मचारी ने नाम नहीं बताने के एवज में खराब एंबुलेंस की लिस्ट भी दी. एम्बुलेंस नंबर 2711 नॉलथा बिना क्लच प्लेट, एम्बुलेंस नंबर 5996 बापौली, बिना टायर, एम्बुलेंस नंबर 6709 समालखा पिछले 4 महीने से बिना टायर, एम्बुलेंस नंबर 4144, बिना सर्विस, एम्बुलेंस नंबर 2678 इंजन में आवाज, एम्बुलेंस नंबर 1016 बिना ब्रेक व एम्बुलेंस नंबर 2379 बिना ब्रेक सर्विस कुल 6 एम्बुलेंस बीमार हालत में रेफर होने का इंतजार कर रही है.
लेकिन, अभी तक रेफर नहीं किया गया है. पानीपत का सरकारी हॉस्पिटल जो मरीजों को रेफर करने के लिये कुछ सेकंड लगाता है, लेकिन एंबुलेंस को रेफर करने में इतने महीने क्यो? बताया जा रहा है कि एक एम्बुलेंस की कीमत लगभग 25 लाख की है, जिन एंबुलेंस को ठीक कराने में मात्र चंद रुपये खर्च हो सकते हैं. एंबुलेंस को खड़ा कर करोड़ों रुपये का चूना सरकार को लगाया जा रहा है.