डरावनी तस्वीर: सालाना 10 लाख जानें और 1.75 लाख करोड़ की कीमत चुकाता है भारत
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डरावनी तस्वीर: सालाना 10 लाख जानें और 1.75 लाख करोड़ की कीमत चुकाता है भारत

ICMR ने साल 2020 में राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020 जारी की. रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि देश कुल कैंसर के मरीज 13.9 लाख है जिनकी संख्या 2025 में 13 फीसदी बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंच जाएगी. आगे बताया गया कि देश में कैंसर के एक- चौथाई (27.1%) मरीजों का कारण तम्बाकू है. 

प्रतिकात्मक तस्वीर

अभिषेक सांख्यायन/नई दिल्ली: दुनिया भर में तम्बाकू के इस्तेमाल के कारण 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है. दुनिया में चीन के बाद दूसरे सबसे ज्यादा तम्बाकू इस्तेमाल करने वाले देश भारत है. तम्बाकू के कारण देश हर साल 10 लाख जिंदगियों को असमय गंवा देता है. वहीं इसका आर्थिक नुकसान भी करीब पौने दो लाख करोड़ से ज्यादा का है. आइए विश्व तम्बाकू निषेध दिवस (World No-Tobacco Day) पर जानते हैं कि तम्बाकू भारत में कितना जान माल का नुकसान पहुंचाता है. 

तम्बाकू से मिलने वाले टैक्स की क्या कीमत चुकाता है भारत 

2012 में WHO ने 152 देशों में धूम्रपान से होने वाली बीमारियों और मौतों पर शोध किया था, जिसमें पाया गया कि तम्बाकू के कारण दुनियाभर की कुल जीडीपी का 1.8% नुकसान होता है. तम्बाकू के कारण भारत को कितनी आर्थिक क्षति चुकानी पड़ती है. इसका एक अध्ययन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने किया. साल 2021 में WHO ने  Economic Costs of Diseases and Deaths Attributable to Tobacco Use in India नामक एक स्टडी जारी की. तम्बाकू पर लगने वाले टैक्स,  देश पर पड़ने वाले इसके दुष्प्रभावों का महज 12.2% है. स्टडी में दावा किया गया कि हर 100 रु का एक्साइज टैक्स के फायदे के बदले में भारत 816 रुपए का नुक्सान झेल रहा है. तम्बाकू संबधित बीमारियों पर देश  के कुल स्वास्थय खर्च का  5.3 % होता है.  

तम्बाकू पर खर्च कितना, देश के गरीबों के राशन जितना 

देश तम्बाकू की कीमत  करीब 1.77 लाख करोड़ रु चुकाता है. पौने दो (1.77) लाख करोड़ कितने होते हैं. ये समझने के लिए जान लीजिए कि इस साल के बजट (2022-23) में देशभर में खाद्य सब्सिडी के तहत मिलने वाले सस्ते राशन सब्सिडी पर कुल 2.06 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं. 

तम्बाकू के कारण होने वाला खर्च 

 मेडिकल खर्च 37,344 करोड़ रु

 गैर मेडिकल खर्च 1,364 करोड़ रु

बीमारी की अप्रत्यक्ष लागत 6,181 करोड़ रु

मृत्यु की अप्रत्यक्ष कीमत 1,32,451 करोड़ रु

कुल खर्च 1,77,341 करोड़

(Source: WHO, Economic Costs of Diseases and Deaths Attributable to Tobacco Use in India)

शोध में शामिल खर्च का ब्योरा  

प्रत्यक्ष मेडिकल खर्च में मरीज के अस्पताल में, डायग्नोस्टिक टेस्ट, डॉक्टर की फीस, भर्ती  और दवा इत्यादि का खर्च शामिल है. वहीं गैर मेडिकल खर्च में मरीज के देखभाल के लिए और मरीज के साथ व्याक्तियों का होने वाला खर्च शामिल है. बीमारी की अप्रत्यक्ष कीमत में अस्पताल में भर्ती होने के कारण घरेलू आय को होने वाले नुकसान और मरीज से मिलने जुलने पर होने वाला खर्च शामिल है.  मृत्यु की अप्रत्यक्ष कीमत, तंबाकू की आर्थिक लागत का तीसरा घटक है. इसमें तंबाकू के उपयोग के कारण समय से पहले होने वाली मौतों की लागत का अनुमान लगाया है. तंबाकू के कारण उसकी मौत होने पर उसके जीवनभर की कमाई का अनुमान लगाया गया है. इसको मापने में औसत जीवन काल, देश की जीडीपी और और उसकी तत्कालीन आय जैसे कई बिंदुओ को आधार बनाया गया है. 

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सालाना 10 लाख मौतें, हर 10 में से एक मौत का कारण तम्बाकू 

WHO की साल 2018 की फैक्टशीट बताती है कि तम्बाकू भारत में हर साल 10 लाख से ज्यादा जिंदगियों को अपना शिकार बना लेता है. 

देश में हर 10 में से एक मौत (9.5 %) तम्बाकू के कारण होती है. तम्बाकू से सिर्फ कर्क रोग (Cancer) हीं नहीं होता. इसके अलावा ये शरीर में क्रॉनिक रेस्पिरेटरी रोगों (CRD) और क्रॉनिक कार्डियोवस्कुलर रोगों (CVD) को पैदा करता है. तम्बाकू से होने वाली मौतों में इनका हिस्सा लगभग 71% है. 

तम्बाकू से मृत्यु का कारण मृत्यु ( % में )

क्रॉनिक कार्डियोवस्कुलर रोग (CVD 48 %

क्रॉनिक रेस्पिरेटरी रोगों (CRD) 23 %

कैंसर 10 %

अन्य 19 %

(Source : WHO)

जानलेवा कैंसर के हर चौथे मरीज के पीछे तम्बाकू

ICMR (The Indian Council of Medical Research) और NCDIR (National Centre for Disease Informatics & Research) ने साल 2020 में राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020 जारी की. रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि देश कुल कैंसर के मरीज 13.9 लाख है जिनकी संख्या 2025 में 13 फीसदी बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंच जाएगी. आगे बताया गया कि देश में कैंसर के एक- चौथाई (27.1%) मरीजों का कारण तम्बाकू है. देश के करीब 3.7 लाख लोगों को कैंसर से तम्बाकू के कारण जूझ रहे हैं.  देश के पूर्वोत्तर भाग में कैंसर से सबसे ज्यादा मौतें होती है. NFHS-5 की रिपोर्ट के अनुसार भी पूर्वोत्तर भारत में तम्बाकू के सेवन देश में सबसे ज्यादा है. 

देश के 38 फीसदी पुरुष तम्बाकू प्रेमी (Tobacco User)

NFHS-5 सर्वे बताता है कि 15 साल से ज्यादा आयुवर्ग में तम्बाकू का सेवन  करने वाली महिलाओं का प्रतिशत 8.9 है. अगर पुरुषों की बात करें 38 प्रतिशत पुरुष तम्बाकू का सेवन करते हैं. शहरों (28.8 %) के मुकाबले गावों (42.7%)  में तम्बाकू का चलन ज्यादा है. 

तम्बाकू का सेवन करने वाले शहर (%) गांव (%) कुल  (%) 

महिलाएं 5.4  10.5 8.9 

पुरुष 28.8 42.7 38.0 

(Source: NFHS-5)

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