भारत और न्यूजीलैंड के बीच वर्ल्ड कप का पहला सेमीफाइनल मुकाबला थोड़ी देर में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला जाएगा. इस मुकाबले में टॉस काफी अहम भूमिका निभा सकते है. इसका एक सबसे बड़ा कारण है मैच का वो आधा घंटा जो कि बल्लेबाजों के लिए काल बनाता है. इस आधे घंटे में बल्लेबाजों के लिए बैटिंग करना काफी मुश्किल होता है. बड़े से बड़ा बल्लेबाज को भी पिच पर टिकने में काफी परेशानी होती हैं. ये आधा घंटा मैच का पलटने के लिए काफी होता है. ये समय किसी भी टीम के लिए जीत और हार का कारण बन सकता है.


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वानखेड़े की पिच हाई स्कोरिंग मैचों के लिए जानी जाती है. इस ग्राउंड में दूसरी पारी के शुरुआती कुछ ओवरों में बल्लेबाजों को खेलने में अच्छी खासी दिक्कतें आती हैं. इसका बड़ा कारण समुद्री हवा, शाम के तकरीबन 6:30 से 7:30 तक के बीच बल्लेबाजी करना बेहद मुश्किल होता है. स्टेडियम के पिच क्यूरेटर भी समुद्री हवा को सबसे बड़ा फैक्टर मानते हैं. उस समय हवा के कारण पिच पर नमी आ जाती है और तेज रफ्तार से नई गेंद स्विंग करती है. बल्लेबाजों के लिए स्विंग करती गेंदों के खिलाफ बल्लेबाजी करना काफी मुश्किल होता हैं. दूसरी पारी के तकरीबन शुरुआती 10 ओवरों में बल्लेबाजी करना आसान नहीं होता. यहीं कारण है कि अधिकतर टीमें पहले बल्लेबाजी करते हुए मैच को आसानी से जीत जाती ह


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आंकड़े देते हैं इस बात का सबूत
मौजूदा वर्ल्ड कप के सीजन में इस मैदान में 4 मुकाबले खेले गए हैं, जिनमें से 4 में से तीन मुकाबले पहले बैटिंग करने वाली टीम ने जीते हैं. दूसरी पारी ने जिस भी टीम ने बैटिंग की है, उसने शुरुआत में विकेट जरूर गंवाए हैं. ऑस्ट्रेलिया जैसी घातक टीम ने भी अफगानिस्तान के खिलाफ मुकाबले में शुरुआती 10 ओवरों में  52 रन पर चार विकेट गंवा दिए थे.  बाकी तीनों मैचों पहले पावरप्ले में बल्लेबाजी टीम करने वाली टीम का स्कोर 67/4, 35/3, 14/6 रहा हैं.  इसलिए दूसरी पारी में शुरुआत के कुछ ओवरों में बल्लेबाज को संभलकर खेलना चाहिए.