किम जोंग के देश से भारतीय विदेश मंत्रालय का ईमेल सर्वर हैक! गोपनीय डाटा की लग रही बोली
भारत सरकार कई बार सार्वजनिक मंचों से लेकर संसद तक साइबर सुरक्षा का मुद्दा उठा चुकी है और देता की सुरक्षा को लेकर अपनी पीठ थपथपा चुकी है, लेकिन एक कड़वी हकीकत यह है कि हजारों किलोमीटर दूर बैठे हैकर भारतीय विदेश मंत्रालय के अंदरूनी ईमेल पर नजर गड़ाए हुए हैं.
नई दिल्ली: भारत सरकार कई बार सार्वजनिक मंचों से लेकर संसद तक साइबर सुरक्षा का मुद्दा उठा चुकी है और देता की सुरक्षा को लेकर अपनी पीठ थपथपा चुकी है, लेकिन एक कड़वी हकीकत यह है कि हजारों किलोमीटर दूर बैठे हैकर भारतीय विदेश मंत्रालय के अंदरूनी ईमेल पर नजर गड़ाए हुए हैं. दरअसल देश का सरकारी तंत्र पिछले तीन महीने से साइबर अटैक से जूझ रहा है. ज़ी मीडिया की एक्सक्लूसिव इनवेस्टीगेशन के मुताबिक डार्कवेब पर काफी जांच के दौरान पता लगा कि एक हैकर ने विदेश मंत्रालय के ईमेल सर्वर को हैक कर सर्वर का एक्सेस और मंत्रालय के अधिकारियों के गोपनीय ईमेल बेचने का दावा किया है.
चूंकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा था और सच्चाई सबके सामने लानी थी. ऐसे में हैकर के साथ खरीदार बनकर बातचीत की गई. हैकर ने बताया कि वो जापान में रहता है और अगर विदेश मंत्रालय के जून 2022 से लेकर जनवरी 2023 तक के सभी गोपनीय ईमेल चाहिए तो उसे 5 Ethereum (6.23 लाख रुपये) होगी. हैकर ने विदेश मंत्रालय के ईमेल सिस्टम का पूरा एक्सेस देने की एवज में 20 Ethereum (लगभग 25 लाख रुपये) मांगे. हैकर ने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा दूसरे विभाग या दूसरे मंत्रालयों के कुछ ईमेल भी शेयर किए.
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एक ईमेल में विदेश मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी से भारतीय सरकार का दूसरा बड़ा अधिकारी यूक्रेन के मुद्दे पर इनपुट मांगते हुए कह रहा था कि एक वैश्विक बैठक के लिए विदेश मंत्रालय उसे इनपुट और सलाह दे कि यूक्रेन के मुद्दे पर भारत का क्या पक्ष है. इस पर दोनों अधिकारी ईमेल के जरिये बातचीत कर रहे थे. दूसरे ईमेल में एक विदेशी उच्चायोग विदेश मंत्रालय को जानकारी देता है कि उसके देश में एक राउंडटेबल मीटिंग होनी है, जिसमें वो देश भारत के एक मंत्री को बुलाना चाहता है. ऐसे में विदेश मंत्रालय इस कार्यक्रम के लिए सहमति प्रदान करे. इस पर विदेश मंत्रालय के अधिकारी उस देश के भारत स्थित उच्चायोग के अधिकारियों के साथ ईमेल के जरिये बातचीत कर रहे हैं.
इसी तरह तीसरे ईमेल में भारतीय संसद के एक बड़े अधिकारी विदेश मंत्रालय को बताते हैं कि एक राज्यसभा सदस्य अपने परिवार के साथ ब्रिटेन घूमने जाना चाहते हैं, लेकिन सांसद के बेटे और बेटी को अभी तक ब्रिटेन का वीजा नहीं मिला है, ऐसे में विदेश मंत्रालय प्रक्रिया को तेज करवाने में उनकी मदद करे. जब इन सांसद के बेटे और बेटी का सोशल मीडिया खंगाला गया तो साफ हो गया कि ये दोनों ब्रिटेन घूमने गए थे. ईमेल में जिन सांसद के लिए बातचीत हो रही थी जब ज़ी न्यूज़ ने उनसे बात की तो उन्होंने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि विदेश मंत्री विदेशों से लेकर संसद तक साइबर सुरक्षा का मुद्दा उठाते हैं, अपनी पीठ थपथपाते हैं, लेकिन विदेश मंत्रालय के अंदरूनी ईमेल हैक होकर विदेश जा रहे हैं, उस पर कुछ नहीं कर रहे.
इसी तरह AIIMS दिल्ली के एक वरिष्ठ डॉक्टर विदेश मंत्रालय को ईमेल के जरिये बताते हैं कि उन्हें अमेरिका जुलाई में एक कॉन्फ्रेंस अटेंड करने जाना है लेकिन उन्हें वीजा अपॉइंटमेंट अक्टूबर की मिली है, ऐसे में विदेश मंत्रालय उन्हें जुलाई महीने की अपॉइंटमेंट दिलवाए. इस मेल के जवाब में विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी दूसरे को डॉक्टर की मदद करने के लिए कहता है. पड़ताल में यह भी सामने आया था कि इन डॉक्टर की मदद हो भी गई थी और इन्हें जुलाई में ही अमेरिका का वीजा मिल भी गया था.
एक अन्य ईमेल में पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारी विदेश मंत्रालय को पाकिस्तान में भारत पर छपी सभी खबरों को ईमेल के जरिये भेज रहे थे. इसी तरह कुछ अन्य संवेदनशील ईमेल भी हैकर ने हमारे साथ ईमेल डेटा बेचने के प्रयास के तहत शेयर किए थे. हैकर के साथ लगभग 2 दिन तक पड़ताल के दौरान हमें एक बेहद महत्वपूर्ण जानकारी मिली. पहली यह कि की यह हैकर जो विदेश मंत्रालय के ईमेल सर्वर को हैक करने का दावा कर रही है और अंदरूनी ईमेल का डेटा बेच रही है वह उत्तर कोरिया में रहती है और खुद को जापानी बताकर डेटा बेचती है.
हैकर द्वारा साझा किए गए विदेश मंत्रालय के अंदरूनी ईमेल के सैंपल को जब सूत्रों से वेरीफाई किया गया तो पता चला कि इन ईमेल का आदान-प्रदान सच में हुआ था. इसके बाद सारे मामले की जानकारी 11 जनवरी को ईमेल और कॉल के जरिये भारत के विदेश सचिव, ईमेल सर्वर को होस्ट करने वाले NIC के महानिदेशक और CERT-in के महानिदेशक को दी गई. इन तीनों अहम व्यक्तियों से कहा गया कि चूंकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है. ऐसे में पहले ठोस कदम उठाएं. और अगले दिन पूरे मामले पर अपना पक्ष दे दें.
हालांकि इस पूरे मामले पर विदेश मंत्रालय के ईमेल सर्वर को होस्ट करने वाले NIC और Cert-in का कोई जवाब अब तक नहीं आया है. हालांकि गुरुवार को हुई साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ज़ी न्यूज़ को बताया था कि क्योंकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का है, ऐसे में विदेश मंत्रालय हैक और अंदरूनी मेल लीक पर "न ही हाँ कहेगा और ना ही ना कहेगा", लेकिन विदेश मंत्रालय ने आश्वासन दिया कि विदेश मंत्रालय साइबर सुरक्षा पर प्राथमिकता से काम कर रहा है.
2009 में भी कंप्यूटर हुए थे हैक
हालांकि यह पहला मौका नहीं है, जब विदेश मंत्रालय के अंदरूनी ईमेल हैकरों के पास गए हो. इससे पहले साल 2009 में विदेश मंत्रालय के 500 से ज्यादा कंप्यूटर में Spyware मिला था. सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्रालय के ईमेल सिस्टम की हैकिंग और डेटा लीक के मामले की पड़ताल गृह मंत्रालय का Indian Cyber Crime Coordination Centre कर रहा है. ऐसे में अब देखना होगा कि आखिर भारत में सरकारी सर्वरों पर सफल साइबर हमले आखिर कब रुकेंगे.