करनाल में जुंडला में खाद्य आपूर्ति विभाग का लगभग 30 हजार क्विंटल गेहूं खराब हो गया. वहीं DFSC और FCI एक दूसरे पर आरोप लगा रहे कि FCI ने गेहूं नहीं उठाया और FCI कह रहा है जब तक गेहूं खाने लायक नहीं बचा था.
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कमरजीत सिंह/करनाल: करनाल के जुंडला में खाद्य आपूर्ति विभाग का लगभग 30,000 क्विंटल गेहूं खराब हो गया है. वहीं मामले की जानकारी के लिए ज़ी मीडिया की टीम मौके पर पहुंची तो टीम को देखकर मजदूर भी वहां से भागते नजर आए. वहीं लोगों का कहना है कि इस पूरे घोटाले की जांच होनी चाहिए 2020-21 का गेहूं कैसे खराब हो सकता है. ऐसे लग रहा है कि जैसे पिछले खराब गेहूं को रखा गया हो. अब बारदाना बदला नहीं जा रहा है. पुराने बारदाने में गेहूं भरा जा रहा है. इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए.
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करनाल जुंडला में खाद्य आपूर्ति विभाग, डीएफएससी विभाग द्वारा जुंडला स्थित भाटिया ऑपन पलींथ पर 2020-21 में लगाया गेहूं विभाग की लापरवाही के चलते सड़ गया है. दो साल से विभाग इसकी ऑक्शन तक नहीं करवा सका है. 2020-21 में भाटिया पलींथ पर लगे स्टॉक में से अभी 30 हजार क्विंटल (3000 मिट्रिक टन) गेहूं खुले में ही पड़ा सड़ रहा है, जिसकी कीमत करीब 5 करोड़ 85 लाख रुपये बताई जा रही है. यहां तक कि देखरेख के लिए विभाग ने कर्मचारी भी नहीं रखे हैं. स्टॉक पर जो तिरपाल ढका गया था, वह भी पूरी तरह से फट गया है. ज्यादातर स्टॉक में गेहूं के स्थान पर आटा निकल रहा है. कट्टों में सिर्फ छिलका नजर आता है. स्टॉक की हालत देखने पर ऐसी लगती है, जैसे गरीबों के इस निवाले का कोई माईबाप नहीं है.
वहीं दूसरी ओर डीएफएससी विभाग एफसीआई पर आरोप मढ़ रहा है कि एफसीआई ने समय रहते गेहूं का उठान नहीं किया. उन्होंने 2019-20 व 2021-22 के गेहूं का उठान कर लिया, लेकिन 2020-21 का उठान नहीं किया. वहीं दूसरी ओर एफसीआई का दावा है कि जब उन्होंने गेहूं की जांच की तो वह खाने लायक नहीं था. संयुक्त कमेटी ने भी इसकी जांच के उपरांत इसे नॉन इशुबल घोषित कर दिया. अब दो साल से डीएफएससी विभाग इसकी ऑक्शन कराने के लिए चंडीगढ़ ऑफिस का दरवाजा खटखटा रहा है, लेकिन अभी तक वहां से कोई रिपोर्ट नहीं आई.