स्कूल में नहीं टीचर, पढ़ाई न होने पर रोते दिखी बच्ची, अभिभावकों ने भी सरकार को घेरा
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स्कूल में नहीं टीचर, पढ़ाई न होने पर रोते दिखी बच्ची, अभिभावकों ने भी सरकार को घेरा

हरियाणा सरकार स्कूली छात्रों को मूलभूत सुविधाएं में असमर्थ है. स्कूल में शिक्षकों की कमी और स्कूलों की जर्जर हालत की वजह से छात्रों और उनकी माता-पिता ने स्कूल के बाहर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. छात्रों ने चेतावनी देते हुए कहा कि शिक्षकों की कमी को पूरा नहीं किया गया तो जल्द ही आंदोलन शुरू करेंगे.  

स्कूल में नहीं टीचर, पढ़ाई न होने पर रोते दिखी बच्ची, अभिभावकों ने भी सरकार को घेरा

कमरजीत सिंह विर्क/करनालः शिक्षा देने का दावा करने वाली हरियाणा सरकार स्कूली छात्रों को मूलभूत सुविधाएं देने तक में असमर्थ है. शिक्षकों की कमी और स्कूल के जर्जर हालातों ने पिचौलिया गांव के राजकीय उच्च विद्यालय के छात्रों को प्रदर्शन करने पर मजबूर कर दिया है. स्कूल परिसर में छात्र एक ओर सरकार को कोस रहे थे तो दूसरी और मीडिया से बात करते-करते छात्राएं रो पड़ी.

स्कूली छात्रों की मानें तो इस स्कूल में सिर्फ सामाजिक और संस्कृत का ही टीचर है और पढ़ने वाले छात्र सैकड़ों है. शिक्षकों के अभाव में छात्रों की शिक्षा का बंटाधार हो चुका है. प्रदर्शन कर रही छात्राओं के अभिभावकों ने स्कूल को 12वीं कक्षा तक अपग्रेट करने की मांग की है. गरीब परिवारों के छात्रों को सिर्फ सरकारी स्कूल का ही सहारा होता है. आधुनिक दौर में शिक्षा के क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच सरकारी स्कूल के छात्र अध्यापकों की कमी से जुझ रहे हैं.

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सुनने वाला यहां पर कोई नहीं है. दोपहर दो बजे तक कोई भी अधिकारी छात्रों की सुध लेने के लिए नहीं पहुंचा. छात्र अपनी मांगों पर अड़े है और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं. छात्र ने रोते हुए सरकार से गुहार लगाई है. दसवीं कक्षा की छात्रा स्वीटी ने बताया कि उनके स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी है. उनके स्कूल में जो शिक्षक थे उनका ट्रासंफर कर दिया गया है.

छात्रा ने आगे बताया कि अब उनके स्कूल में दो ही शिक्षक एक संस्कृत व एक सामाजिक का है, जिसके कारण उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है. स्कूल की छात्रा ने कहा कि वह पढ़ना चाहती है, लेकिन बिना शिक्षकों के वह कैसे पढ़े. छात्रा ने मुख्यमंत्री से रोते हुए गुहार लगाई की उनके स्कूल में शिक्षकों की कमी को पूरा किया जाए. स्कूल में केवल दो शिक्षक हैं.

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मांग पूरी नहीं हुई तो होगा बड़ा आंदोलन

दसवीं की छात्रा ने आगे बताया कि उनके स्कूल में केवल दो शिक्षक है. मैथ, इंग्लीश, हिंदी का कोई शिक्षक नहीं है, जिसके कारण विद्यार्थियों को काफी परेशानी का सामना करना पढ़ रहा है, जिससे स्कूल में उनका पढ़ना मुश्किल हो रहा है. उनकी मांग है कि उन्हें जल्द से जल्द शिक्षक उपलब्ध करवाए जाएं. मांग पूरी नहीं हुई तो आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा.

वहीं, छात्रा प्रीति ने कहा कि सरकार वैसे तो बेटी पढ़ाओ का नारा देकर बेटियों को पढ़ाने का दावा करती है, लेकिन स्कूल में शिक्षक तक नहीं है. गांव पिंचोलिया में केवल दो शिक्षकों के सहारे स्कूल चल रहा है. छात्रा ने मांग करते हुए कहा कि उनके स्कूल में शिक्षकों की कमी को पूरा किया जाए. यदि उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया तो वह आंदोलन करने पर मजबूर होंगे.

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परिजनों की मांग स्कूल में शिक्षकों के साथ अन्य सुविधाएं करवाए उपलब्ध

स्कूल में शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हुई तो नहीं देंगे वोटगांव पिंचौलिया की बतेरी ने बताया कि स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों को दूसरे गांव में जाकर पढ़ना पढ़ रहा है. स्कूल में साफ-सफाई तक की भी व्यवस्था नहीं है. ग्रामीणों की मांग है कि स्कूल में शिक्षकों की कमी को दुरूस्त किया गया. यदि उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया तो वह वोट का बहिष्कार करेंगे.

गांव पिचोलिया निवासी सुनीता ने बताया कि स्कूल में शिक्षक ना होने से बच्चों को काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही है. बच्चों को पढ़ने के लिए जुंडला जाना पड़ता है. बच्चों की सुविधा के लिए कोई बस भी नहीं लगी हुई है, जिसके कारण परिजनों को डर बना रहता है.  उनकी मांग है कि स्कूल में शिक्षकों के साथ-साथ अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाए.

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एक और परिजन संतोष ने कहां कि गांव में एक ही सरकारी स्कूल है वो भी 10वीं तक का ही है. इस एक स्कूल में भी अध्यापक पूरे नहीं है. संतोष ने कहा कि उनकी मुख्य मांग है कि सरकार द्वारा जल्द से स्कूल को अप्रेगड करें और स्कूल में जो शिक्षकों की कमी है उसे पूरा करें. वह गरीब आदमी है अपने बच्चों को दूसरे गांव में पढ़ाई के लिए नहीं भेज सकते.

स्कूल के र्क्लक गुलाब सिंह ने बताया कि सरकार जो हाल ही में जो ट्रांसफर पॉलिसी आई थी. उसमें इस स्कूल से कई अध्यापकों की ट्रांसफर की गई  है. जबकि कोई अध्यापक यहां पर पोस्ट नहीं हुआ. अब इस स्कूल में कुल 2 ही अध्यापक है हेडमस्टर तो दूसरे संस्कृत के अध्यापक है. जबकि इस स्कूल में साइंस की पोस्ट को खत्म कर दिया गया है और मैथ को एड करने के बात कही गई थी, लेकिन अब वो भी विकेंड छोड़ दी गई. अध्यापकों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई नहीं हो रही थी. इस लिए बच्चों व ग्रामीणों ने स्कूल को बंद कर दिया है.

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