नई दिल्ली: कॉरपोरेट वर्ल्ड के बारे में सुनते ही आपके दिमाग मे काम करने की एक ऐसी जगह के बारे में आता होगा, जहां काम करने वाला हर शख्स अपने काम में माहिर होता है. वहीं कंपनी भी अपने साथ जुड़े कर्मचारी को हर वो सुविधा देती है, जिसकी वजह से वो शख्स कंपनी का साथ न छोड़ सके. आज हम आपको जुर्म की दुनिया के उस कॉरपोरेट वर्ल्ड के बारे में बताएंगे, जिसका क्राइम ग्राफ अचानक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद बड़ गया है. आइए आपको बताते हैं कि क्राइम की कॉर्पोरेट कंपनी कैसे काम करती है.


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देश के हर राज्य में जुर्म को दस्तक देने वाले छोटे-छोटे गैंग अब क्राइम की कॉरपोरेट कंपनी का हिस्सा बन गए है. जुर्म की इस कंपनी में अब कुछ चुनिंदा लोग नहीं है बल्कि क्राइम के इस कॉरपोरेट वर्ल्ड से 1000 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं. बदमाशों की भर्ती करने के लिए कंपनी के लोग सोशल मीडिया के जरिए मोटा लालच देकर अपने गैंग में नए लड़कों को शामिल करते हैं. किसी कंपनी में काम करने वाले लोगों की तरह इन लोगों को भी इनकी योग्यता के अनुसार काम दिया जाता है. शारिरिक तौर पर मजबूत लड़को को गैंग में शूटर बनाया जाता है. जो लड़के गैंग में नए होते हैं, उनको रैकी करने के काम के साथ-साथ सप्लायर की जिम्मेदारी भी दी जाती है. कुछ लड़कों को ये गैंग सिर्फ अपने साथ इसलिए रखते हैं ताकि उनके जरिये शूटर्स के ठहरने की व्यवस्था की जाए.


नहीं जानते एक-दूसरे को
इस क्राइम कंपनी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस कंपनी से जुड़े किसी भी शख्स को दूसरे को दिए काम की जानकारी नहीं होती है. इस कंपनी के तमाम गुर्गों को आदेश इंटरनेट कॉलिंग के जरिए विदेश से दिए जाते हैं. लोगों से वसूल किए जाने वाली एक्सटॉर्शन मनी क्राइम कंपनी की फंडिंग का सबसे बड़ा जरिया होती है. एक्सटॉर्शन के साथ-साथ, प्रॉपर्टी डिस्प्यूट का समझौता कराना, केबल टीवी पर कब्जा, म्यूजिक इंडस्ट्री से होने वाली कमाई और हरियाणा और पंजाब के शराब कारोबार पर कब्जा कर उससे होने वाले मुनाफे से ये कंपनी अपने लिए हथियार देश और विदेश से जुटाती हैं. हथियार सप्लाई करने के लिए क्राइम कंपनी ने बाकायदा अपने पास डीलर रखे हुए हैं, जिसमे सबसे बड़ा नाम भगवानदास का है, जो पिछले काफी समय से लॉरेंस बिश्नोई और काला जठेड़ी गैंग को ब्रिज राज और जितेंद्र के जरिए हथियार सप्लाई कर रहा था.


क्राइम कंपनी की डिमांड अत्याधुनिक हथियार और कारतूस होते है. इसके ऊपर ये गैंग अपनी काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा खर्च करते है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिद्धू मुसेवाला की हत्या का है, जिसको अंजाम देने के लिए इस क्राइम कंपनी ने करोड़ो रूपये खर्च कर AK-47 जैसे हथियार मंगाए थे.


ऑर्गेनाइजेशनल चार्ट बनाया है
लॉरेंस बिश्नोई की इस कॉरपोरेट क्राइम कंपनी में सब कुछ डिजिटल और वर्चुअल है. इस कंपनी ने भी अपना ऑर्गेनाइजेशनल चार्ट बनाया हुआ है. लॉरेंस कंपनी का हेड ऑफ द पर्सन है. गोल्डी कंपनी की रीढ़ की हड्डी, सचिन कंपनी की भर्ती, सेल और टारगेट प्लान का प्रमुख है, जबकी अनमोल और विक्रम बराड़ विदेश से कंपनी की फाईनेंस डील को संभालते हैं. कंपनी के टारगेट से जुड़ा शख्स केवल अपने आगे वाले एक शख्स को जनता है. इसके अलावा एक ऑपरेशन में जितने भी बंदे गैंग के जुड़े होते है. उन्हें बाकी गैंग मेंबर के बारे में कोई भी जानकारी नही होती है. गैंग के हर सदस्य को अलग-अलग काम सौंपा जाता है. कत्ल की वारदात के वक्त मौजूद गैंग मेंबर भी अक्सर एक दूसरे को नहीं जानते ताकि पकड़े जाने पर गैंग के बारे ज्यादा जानकारी पुलिस को न मिल पाए.


कंपनी में भर्ती के लिए आपको 7 टास्क दिए जाते हैं. पहले टास्क में बताया जाता है कि किस से वसूली करनी है, दूसरे में किसकी रेकी करनी है, किस गैंग मेंबर को शेल्टर देना है और कहा देना है, हथियार कहा से आएंगे, हथियार कहा रखे जाएंगे, हथियार कौन-कौन चलाएगा और कौन टारगेट तक लेकर जाएगा, हथियार चलाने के बाद किसे सौंपना है. इस तरह के 7 टास्क से गुजरना होता है.


क्राइम कंपनी का कम्युनिकेशन सिस्टम
पुलिस और जांच एजेंसियों के रडार से बचने के लिए इस क्राइम कंपनी ने अपना कम्युनिकेशन सिस्टम भी बिल्कुल अलग किया हुआ है. एक दूसरे से संपर्क करने का सब काम सिंगल ऐप के जरिए होता है, जहां बिना सिम के वर्चुअल नंबरों, इंटनरेट के नंबरों से कंपनी की सारी डील्स सारे प्लान, सारे ऑपरेशन, सारे टारगेट फिक्स होते हैं.


गैंग मेंबर की रखता है जरूरत का ख्याल
मीटिंग में ज्यादातर ऑर्डर सचिन देता है, जिसे आगे गैंग मेंबर फॉलो कर अपना हिस्सा लेते है और फिर अगले काम मे जुट जाते हैं. लॉरेंस बिश्नोई अपने गैंग मेंबर को भावनात्मक तौर पर जोड़ता है. यही वजह है की आज उसकी गैंग में अलग-अलग राज्यों के करीब 1000 गैंगस्टर बदमाश और सक्रिय शॉर्प शूटर्स मौजूद है. बाकी बड़ी कंपनियों की तरह क्राइम की इस कंपनी में भी लोगों को सोशल मीडिया और मार्केटिंग के लिए रखा जाता है. जो वारदात के बाद उसको क्लेम करने और गैंग की मार्केटिंग करने का जिम्मा संभाले हुए है.


लॉरेंस बिश्नोई अपने गैंग के हर मेंबर को भले ही नहीं जानता है, लेकिन अगर किसी भी मेंबर को किसी तरह की आर्थिक दिक्कत होती है तो उसकी हर तरह से मदद लॉरेंस ही करता है. यही वजह है कि विरोधी गैंग के लोग भी लॉरेंस गैंग से जुड़ने लगे हैं. पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती इसी बात को लेकर है कि कैसे लॉरेंस की इस क्राइम कंपनी को तोड़ा जा सके.


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