केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति पर मोदी सरकार ने उठाए सवाल, होगी CBI जांच
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केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति पर मोदी सरकार ने उठाए सवाल, होगी CBI जांच

अरविन्द केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 में चीफ सेक्रेट्री की रिपोर्ट के अनुसार नियमों का उल्लघंन किया गया है, जिसको देखने के बाद अब LG ने CBI जांच की सिफारिश की है. 

केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति पर मोदी सरकार ने उठाए सवाल, होगी CBI जांच

नई दिल्ली: उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) वीके सक्सेना ने अरविन्द केजरीवाल सरकार की नई आबकारी नीति 2021-22 की CBI जांच की सिफारिश की है. दरअसल चीफ सेक्रेट्री ने 8 जुलाई को एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसके अनुसार शराब लाइसेंसधारियों को पोस्ट टेंडर गलत लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर नियमों का उल्लघंन किया है, जिसको देखने के बाद अब LG ने CBI जांच की सिफारिश की है. 

मनीष सिसौदिया हैं प्रभारी मंत्री
आबकारी नीति 2021-22 के प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया हैं, जिन्होंने इस नीति को फाइनल किया था. अब CBI जांच शुरू हुई, तो इसमें सीएम अरविन्द केजरीवाल और प्रभारी मंत्री मनीष सिसौदिया दोनों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. 

आबकारी नीति 2021-22  में इन नियमों का हुआ है उल्लंघन
शराब लाइसेंसधारियों को पोस्ट टेंडर गलत लाभ पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार ने  GNCTD एक्ट 1991, व्यापार नियमों का लेनदेन (TOBR) 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया है. 

भारी विरोध के बाद भी आबकारी नीति को किया गया लागू
कोरोना महामारी के दौरान, जब सारा देश अपनी जान बचाने के लिए जूझ रहा था, दिल्ली सरकार ने  धार्मिक समूहों, शैक्षिक संस्थानों और विपक्ष के विरोध के बाद भी इस नीति को लागू कर दिया. 

लोगों की नहीं मिली मदद
आय की कमी के कारण प्रवासी शहर छोड़ रहे थे, स्ट्रीट वेंडरों को अपनी आजीविका के लिए चुनौती का सामना करना पड़ रहा था, ढाबे, रेस्तरां, होटल, जिम, स्कूल और अन्य सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हो रहे थे. तब उनकी वित्तीय सहायता देकर मदद की जा सकती थी, लेकिन तब केजरीवाल सरकार शराब के व्यापारियों को रिश्वत और कमीशन के बदले फायदा पहुंचा रही थी. 

इन फैसलों पर उठ रहे सवाल
1. मनीष सिसोदिया के निर्देश पर आबकारी विभाग ने ईएमडी राशि वापस करने का निर्णय लिया, जो दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के नियम 48(11)(बी) का उल्लंघन है. 
2. विदेशी शराब के साथ-साथ बीयर को खुदरा (L7Z) लाइसेंस के लिए सस्ता कर दिया, जिससे राज्य राजस्व की हानि हुई.
3. आबकारी विभाग ने L7Z लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय लाभ प्रदान करने के लिए निविदा दस्तावेज के प्रावधानों में फिर से ढील दी.
4. सरकार ने, दिल्ली के व्यापार और अर्थव्यवस्था के हर दूसरे हिस्से की पूरी तरह से अवहेलना करते हुए, अकेले शराब व्यापारियों का पक्ष लिया. 
5. लाइसेंसधारी, जो सोशल मीडिया/बैनर/होर्डिंग आदि के माध्यम से खुलेआम शराब का प्रचार कर रहे थे, जो आबकारी नियम 2010 के नियम 26 और 27 का पूर्ण उल्लंघन है.

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