Haryana Politics: उचाना कलां बना BJP से टकराव की वजह, अगले चुनाव में क्या हैं JJP की 6 बड़ी मुश्किलें?
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Haryana Politics: उचाना कलां बना BJP से टकराव की वजह, अगले चुनाव में क्या हैं JJP की 6 बड़ी मुश्किलें?

JJP Big Challange: पिछले चुनाव में 10 सीटें जीतने के बाद जेजेपी ने बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता का स्वाद चख लिया था, लेकिन आगामी चुनाव में सीटों पर प्रत्याशी उतारने और अपने विधायकों की नाराजगी जेजेपी के लिए नुकसान की वजह बन सकती है.

Haryana Politics: उचाना कलां बना BJP से टकराव की वजह, अगले चुनाव में क्या हैं JJP की 6 बड़ी मुश्किलें?

BJP JJP Alliance in Haryana : क्या हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जननायक जनता पार्टी (JJP) 2024 का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगी या नहीं, इस सवाल पर अभी किसी भी पार्टी ने अंतिम फैसला नहीं सुनाया है. इस बीच अब एक नया सवाल और खड़ा हो रहा है कि क्या आगामी चुनाव BJP और JJP एक दूसरे के ख़िलाफ भी लड़ सकती हैं? इस सवाल के पीछे वजह है उचाना कलां विधानसभा सीट को लेकर गठबंधन के अगले उम्मीदवार पर हो रही बयानबाजी.

चौधरी बीरेंद्र सिंह का परिवार और दुष्यंत चौटाला का परिवार तो वार-पलटवार कर ही रहा था, लेकिन इस मामले ने तूल तब पकड़ लिया, जब हरियाणा BJP प्रभारी बिप्लव कुमार देब ने अगले चुनाव में उचाना कलां से BJP की प्रेमलता को अगला विधायक बता दिया, जो बीरेंद्र सिंह की पत्नी हैं. वर्तमान में दुष्यंत चौटाला उचाना कलां से विधायक हैं, जो हरियाणा सरकार में डिप्टी सीएम हैं.

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एक बार पारिवारिक लड़ाई गठबंधन कमज़ोर शायद न भी करती, लेकिन सांगठनिक लड़ाई ने इस गठबंधन की नींव हिलाकर रख दी है. ऐसे में इनेलो सुप्रीमो और पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला का वो दावा सही प्रतीत होता लगता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव से पहले ही BJP-JJP गठबंधन टूट जाएगा. 

JJP के लिए अगला चुनाव अस्तित्व की लड़ाई 

मुख्यमंत्री मनोहर लाल साफ कह चुके हैं कि JJP सरकार में सहयोगी दल है.वहीं JJP अध्यक्ष अजय चौटाला भी ये ही बात दोहराते आए हैं. ऐसे में वैचारिक मतभेद दोनों ही दलों में दिखाई नहीं देता, लेकिन आशंका है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा और एक सीट पर दो बड़े चेहरों की दावेदारी इन दोनों दलों के बीच दरार की वजह बन सकती है. क्योंकि अगर बीजेपी वाकई उचाना कलां पर अपना प्रत्याशी उतरती है तो इसका सबसे बड़ा असर JJP पर पड़ेगा. 

BJP राष्ट्रीय राजनीतिक दल है और केंद्र में सत्तारूढ़ है. हरियाणा में सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी भी है, लेकिन JJP के लिए अगला चुनाव अस्तित्व की लड़ाई है. JJP के अपने ही कई विधायक दुष्यंत चौटाला के प्रति बागी तेवर दिखा चुके हैं. ऐसे में 2019 में 10 सीटें जीतने वाली JJP के लिए 2024 में इन्हें बचाए रखना चुनौती होगा. आइए, देखते हैं JJP के सामने उचाना कलां सीट के अलावा कौन सी 6 बड़ी चुनौतियां हैं?

किसानों पर लाठीचार्ज से शाहाबाद विधायक खफा
सूरजमुखी की MSP पर खरीद की मांग को लेकर किसानों ने जब कुरुक्षेत्र में प्रदर्शन किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. शाहाबाद के JJP विधायक रामकरण काला ने न सिर्फ इसे गलत बताया बल्कि विरोध स्वरूप हरियाणा शुगरफैड के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी. सरकार से नाराज रामकरण काला ने संकेत दे दिए हैं कि वे JJP की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं हैं. इस विरोधी स्वर की गूंज से JJP में हड़कंप मचा है, क्योंकि अब शाहाबाद सीट से विधायक के बगावती तेवर आंतरिक असंतुष्टि की ओर इशारा कर रहे हैं.

नारनौंद सीट पर उम्मीदवार कौन?
नारनौंद के वर्तमान MLA रामकुमार गौतम गठबंधन सरकार में मंत्री पद न मिलने से JJP से खुश नहीं हैं. कई बार साफ कह भी चुके हैं कि वो अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन विधायक रहते हुए वे सार्वजनिक मंचों से दुष्यंत चौटाला पर तंज कसने का कोई मौका भी नहीं छोड़ते. साथ ही मनोहर लाल की तारीफ करते नहीं थकते. ऐसे में न सिर्फ JJP के लिए नारनौंद में जीतने लायक नया उम्मीदवार ढूंढना मुश्किल होगा, बल्कि BJP के कसीदे पढ़ने वाले विधायक के बयानों का खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है.

नरवाना विधायक के BJP प्रेम का नुकसान
वैसे तो नरवाना के MLA राम निवास सुरजाखेड़ा JJP से हैं, लेकिन शहरी निकाय चुनाव में निर्दलीय जीते पार्षदों और चेयरपर्सन को BJP में शामिल करवाकर उन्होंने अपना BJP प्रेम जगजाहिर कर दिया. सुरजाखेड़ा से नाराज JJP ने अक्टूबर 2020 में खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के चेयरमैन का पद भी उनसे वापस ले लिया था. JJP कार्यकर्ताओं ने ही अपने विधायक का पुतला तक फूंका. अब 2024 में सुरजाखेड़ा BJP के लिए एक विकल्प हो सकते हैं, लेकिन JJP को नरवाना में सुरजाखेड़ा का विकल्प तलाशने में खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है. 

गुहला चीका की नाराजगी दूर करना
गुहला चीका से JJP के विधायक ईश्वर सिंह कांग्रेस से टिकट न मिलने पर JJP में शामिल हुए, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उन्होंने पार्टी को फायदा कम और नुकसान ज्यादा पहुंचाया. JJP के कार्यक्रमों में आना वे लगभग कम कर चुके हैं. गुहला चीका के पिछड़ेपन के लिए वे दुष्यंत चौटाला की अनदेखी को जिम्मेदार ठहराते हैं. हालांकि सीएम की तारीफ करना भी वे भूलते नहीं. ऐसे में 2024 में वे कांग्रेस में फिर लौट जाएं या BJP के पाले में चले जाएं, नुकसान तो JJP का है.

हिसार एयरपोर्ट बरवाला की राह में रोड़ा 
बरवाला से MLA जोगीराम सिहाग पिछले दिनों साफ कहते नजर आए कि दुष्यंत चौटाला उनका फोन तक नहीं उठाते. हिसार एयरपोर्ट निर्माण के कारण बंद हुए तलवंडी राणा गांव के रास्ते ने गांव वालों की परेशानी बढ़ा दी. लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया तो जोगीराम सिहाग जनता के साथ खड़े दिखाई दिए. उन्होंने सरकार के खिलाफ हुए धरने का समर्थन किया.

मंत्री बने टोहाना विधायक के तीखे तेवर
ई-टेंडरिंग का विरोध कर रहे सरपंचों के आंदोलन ने सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है. सरपंच सीएम मनोहर लाल से या सरकार से इतने नाराज नहीं, जितने पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के बर्ताव और बयान से नाराज हैं. अजय चौटाला की नसीहत पर मंत्री ने पार्टी अध्यक्ष को चेतावनी दी थी कि संगठन के लोग संगठन चलाएं, सरकार के काम मंत्री को करने दें. हालांकि देवेंद्र बबली की टोहाना सीट पर पकड़ मज़बूत है तो विधायक बनना उनके लिए मुश्किल शायद न भी हो , लेकिन JJP आलाकमान उनके तेवर देखकर कहीं टिकट काटकर टोहाना से भी हाथ न धो बैठे.

ऐसे में वर्तमान हालातों को देखकर यही लगता है कि उचाना कलां के साथ ही शाहाबाद, नारनौंद, नरवाना, गुहला चीका, बरवाला और टोहाना में JJP की जीत की राह कठिन है. अगर गठबंधन की साख बचानी है और पार्टी की विश्वसनीयता बनाए रखनी है और अपनी कमजोरी को विपक्ष की ताकत बनने से रोकना है, तो जननायक जनता पार्टी को संगठन के विस्तार के साथ ही संगठन को हर हाल में बचाने के लिए कदम उठाने होंगे. 

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