Haryana: मैं तुम्हें वोट दूं, ऐसा हो नहीं सकता और... हर चुनाव में बढ़े NOTA का बटन दबाने वाले वोटर्स
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana2282904

Haryana: मैं तुम्हें वोट दूं, ऐसा हो नहीं सकता और... हर चुनाव में बढ़े NOTA का बटन दबाने वाले वोटर्स

Nota in Haryana: चुनावों में वोटर को जागरूक करने के लिए बड़े-बड़े कैंपेन चलाए जाते हैं. वोट के लिए जनता से बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन कोई प्रत्याशी जनता का प्रतिनिधि बनने लायक है, इस आकलन में अकसर राजनीतिक दल धोखा खा आ जाते हैं. 

Haryana: मैं तुम्हें वोट दूं, ऐसा हो नहीं सकता और... हर चुनाव में बढ़े NOTA का बटन दबाने वाले वोटर्स

Haryana Lok Sabha Election: मैं तुम्हें वोट दूं, ऐसा हो नहीं सकता और तुम मेरा वोट ले सको, ऐसा मैं होने नहीं दूंगा.... ये किसी फिल्म का डायलॉग नहीं बल्कि हरियाणा वालों का मूड है, जो पिछले तीन लोकसभा चुनावों में जरा सा भी नहीं बदला है. 2014 के लोकसभा चुनाव में दौरान हरियाणा की10 सीटों पर कुल 41219 लोगों ने नोटा (NOTA) किया था. 2019 के चुनाव में EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में NOTA का बटन दबाने वालों की संख्या बढ़ गई.

पिछले लोकसभा चुनाव में 41781 लोगों ने किसी भी दल के किसी भी प्रत्याशी को वोट देने लायक नहीं समझा. वहीं अगर 2024 के चुनाव की बात करें तो हरियाणा में NOTA का बटन दबाने वालों की संख्या फिर बढ़ गई. इस बार 43542 वोटर्स ने पोलिंग बूथ पर जाने के बावजूद भी किसी भी प्रत्याशी को वोट नहीं दिया.

ये भी पढ़ें: Haryana Lok Sabha Election Result: दिल के अरमां आंसुओं में बह गए...हरियाणा में BJP की सीटें थीं 10, अब आधे पर रह गए                          

NOTA का मतलब और क्या है जरूरत
अब जान लेते हैं कि आखिर NOTA क्या है और इसका मतलब और जरूरत क्या है. NOTA का फुलफॉर्म होता है None Of the above यानी दिए गए विकल्पों में से कोई नहीं. दरअसल 2013 के विधानसभा चुनावों से चुनाव आयोग ने उन मतदाताओं को भी EVM में एक बटन मुहैया कराई, जो किसी भी प्रत्याशी को वोट नहीं डालना चाहते. NOTA लोकतांत्रिक देश में एक आम नागरिक की असहमति को प्रदर्शित करता है. यानी अगर विभिन्न दलों द्वारा चुनाव मैदान में उतारे जाने वाले प्रत्याशियों में से आपको कोई भी पसंद नहीं है तो आप चुनाव वाले दिन ईवीएम में गुलाबी रंग का नोटा वाला बटन दबा सकते हैं. 

2024 में फरीदाबाद में प्रत्याशियों का विरोध बढ़ा 
हरियाणा में अगर इस बार के चुनाव की बात करें तो फरीदाबाद में सबसे ज्यादा 6821 लोगों ने नोटा का बटन दबाया. फरीदाबाद में इस बार बीजेपी ने कृष्णपाल गुर्जर, कांग्रेस ने चौधरी महेंद्र प्रताप सिंह, इनेलो ने सुनील तेवतिया और जेजेपी ने नलिन हुड्डा को चुनाव मैदान में उतारा था. इस सीट पर कृष्णपाल गुर्जर को 788,569 (53.6%) वोट मिले. पिछले चुनाव की तुलना में इस बार कृष्णपाल को 15.08% वोट कम मिले.   

ये भी पढ़ें: हरियाणा में कहां से कौन जीता, जानें किसने 2 लाख से ज्यादा वोटों से किसे हराया 

गुरुग्राम की बात करें तो इस बार 6417 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया. इसी सीट पर 2019 में 5,389, जबकि 2,657 लोगों ने ईवीएम में नोटा वाला गुलाबी बटन दबाया. इसी तरह अंबाला में  6,452 वोटर्स ने इस बार नोटा का विकल्प चुना. 2019 के चुनाव में 7943, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में  7816 लोगों ने पोलिंग बूथ जाकर भी किसी भी प्रत्याशी को वोट नहीं दिया. 

नोटा का बटन दबाने वाले हर चुनाव में बढ़े 
भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट के लिए हुए चुनाव में 5287 वोटर्स ने नोटा का बटन दबाया. इससे पहले 2019 के चुनाव में 2,041 लोगों ने, जबकि 2014 के चुनाव में 1,994 मतदाताओं ने किसी भी प्रत्याशी को इस काबिल नहीं समझा, जिसे वे वोट दे सकें. इस सीट पर बीजेपी ने लगातार तीसरी बार धर्मबीर सिंह पर दांव खेला था. वहीं कांग्रेस ने राव दान सिंह को प्रत्याशी बनाया था. सिरसा में इस बार 4,123 लोगों ने नोटा का बटन दबाया. पिछले चुनाव में सिरसा के 4,339, जबकि 2014 के चुनाव में 4,033 लोगों को कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं आया. करनाल में इस बार 3955 लोगों को कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं आया. 2019 में इसी सीट पर 5,463, जबकि 2014 में 2,929 वोटर्स ने नोटा को चुना. 

कुछ सीटों पर नोटा का आंकड़ा घटा भी 
हिसार में इस बार 3,366 लोगों को कोई भी प्रत्याशी नहीं सुहाया. 2019 के चुनाव में इस सीट पर 2,957, जबकि 2014 में 1,645 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था. कुरुक्षेत्र सीट पर इस बार 2439 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना. 2019 के चुनाव में यही आंकड़ा 3198, जबकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए 2014 के चुनाव में 2482 लोगों ने नोटा का बटन दबाया. कमोबेश यही स्थिति हरियाणा की बाकी सीटों पर भी रही, जब वोटर्स ने प्रत्याशियों से असहमति दिखाई.

इसके अलावा रोहतक में इस बार 2,362 और सोनीपत में 2320 वोटर्स ने नोटा का विकल्प चुना. रोहतक में पिछले चुनाव के दौरान 3001, जबकि 2014 में 4,932 वोटर्स ने नोटा का बटन दबाया था. वहीं सोनीपत में 2019 के चुनाव में 2,464 और 2014 में 2,403 लोगों को कोई भी प्रत्याशी रास नहीं आया.

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                           

Trending news