Haryana News: हरियाणा में भाजपा कार्यकाल के 9 साल में कांग्रेस कार्यकाल के मुकाबले 5 गुना कर्जा, 4 गुना महंगाई, 3 गुना बेरोजगारी और 2 गुना अपराध बढ़ा है. यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का. विधानसभा सत्र की समाप्ति के बाद आज हुड्डा अपने आवास पर पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार पूरे सत्र में अपनी जवाबदेही से भागती नजर आई. विधानसभा सत्र से पहले कर्मचारियों ने ओपीएस की मांग को लेकर, आशा वर्करों ने मानदेय बढ़ाने, किसान यूनियनों ने मुआवजे, कच्चे कर्मचारियों ने रोजगार सुरक्षा, सरपंचों, पंचों, जिला पार्षदों, कॉन्ट्रैक्ट टीचर एसोसिएशन, कच्चे कर्मचारियों, आउटसोर्स पार्ट 2 कर्मियों, व्यापारियों, खिलाड़ियों, दलित व पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधियों ने अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपे थे.


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उनके तमाम मसलों पर चर्चा के लिए कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा में प्रस्ताव दिए और सवाल लगाए थे, लेकिन सरकार ने ज्यादातर प्रस्तावों और सवालों का जवाब देने से इंकार कर दिया. अपनी जवाबदेही से भागने के लिए ही सरकार ने जानबूझकर विधानसभा सत्र की अवधि को छोटा रखा था. पत्रकारों से बातचीत में हुड्डा ने बेरोजगारी को लेकर देश की संसद और प्रदेश की विधानसभा में सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि संसद में केंद्र सरकार ने माना था कि हरियाणा में बीजेपी सरकार बनने के बाद बेरोजगारी 3 गुना बढ़ी है.


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उन्होंने आगे कहा कि अब विधानसभा में हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार को भी मानना पड़ा कि प्रदेश की बेरोजगारी दर 8.8% हो गई है. 2013-14 में कांग्रेस सरकार के दौरान जो बेरोजगारी दर 2.9% थी, वो आज करीब 9.0% पर पहुंच गई. राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 4.1% है यानी हरियाणा में राष्ट्रीय औसत से दोगुनी से भी ज्यादा बेरोजगारी है. हरियाणा राष्ट्रीय राजधानी को तीन तरफ से घेरता है, बावजूद इसके गठबंधन सरकार के चलते प्रदेश के युवा देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रही हैं. सरकारी विभागों में 2.02 लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं, लेकिन भर्तियां करने की बजाए सरकार पेपर लीक और पेपर कॉपी जैसे घोटालों को अंजाम दे रही है. सीईटी में धांधलियां करके युवाओं के भविष्य से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है.  


हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में बेरोजगारी अब जानलेवा रूप ले चुकी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2014 से लेकर अबतक 12 बेरोजगार युवा आत्महत्या कर चुके हैं. एक कड़वी सच्चाई ये भी है कि लाखों बेरोजगार युवा हताशा में नशे और अपराध के दलदल में भी फंस रहे हैं. आज प्रदेश में अपराध इस कद्र बढ़ गया है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी सामाजिक प्रगति सूचकांक में हरियाणा को देश का सबसे असुरक्षित राज्य माना गया है. हरियाणा में अपराध की यह स्थिति है कि एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक दलितों के खिलाफ अपराध के मामलों में साल 2014 से लेकर 2021 तक 96.02% की बढ़ोतरी हुई है. हरियाणा पूरे देश में 15वें नंबर से छठे नंबर पर पहुंच चुका है. क्राइम रेट 16.02 से बढ़कर 31.8 यानी दोगुना हो गया है.


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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विधानसभा में भी सरकार कानून व्यवस्था और नूंह हिंसा के मामले में जवाब देने से बचती नजर आई. इस मसले पर चर्चा के लिए विपक्ष द्वारा दिए गए प्रस्ताव को भी कोर्ट का हवाला देकर खारिज कर दिया गया. जबकि सच्चाई यह है कि कोर्ट में नूंह हिंसा के बाद बुलडोजर चलाने का मामला पहुंचा है जबकि कांग्रेस हिंसा और अपराध के बढ़ते ग्राफ पर चर्चा चाहती थी. इतना ही नहीं, सरकार पूरे मामले की हाई कोर्ट के सीटिंग जज की निगरानी में न्यायिक जांच से भी भाग रही है. इससे स्पष्ट हो जाता है कि सरकार इस मामले में ना चर्चा के लिए तैयार है और ना ही जांच के लिए. इसका मतलब है कि दाल में कुछ जरूर काला है, जिसे सरकार छिपाने का प्रयास कर रही है.


भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि परिवार पहचान पत्र, प्रॉपर्टी आईडी और लाल डोरा को लेकर भी सदन में सरकार ने गुमराह करने की कोशिश की. क्योंकि सरकार द्वारा लाल डोरा खत्म करने का दावा गलत है, हकीकत में यह कहीं खत्म नहीं किया गया है. वहीं, पीपीपी और पीपी आम जनता के गले की फांस बन गए हैं. परिवार पहचान पत्र में इतनी गड़बड़ियां हैं कि वो अबतक ख़ुद की पहचान नहीं बना पाया है. इसके लिए लोगों से वो जानकारियां ली जा रही हैं, जिसपर बाकायदा सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने रोक लगा रखी है. फिर भी नागरिकों की इच्छा के विरुद्ध सरकार ऐसी जानकारियां फैमिली आईडी में चढ़ा रही है.


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पीपीपी में इतनी गड़बड़ियां हैं कि उन्हें ठीक करवाने के लिए लोग लगातार दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. पीपीपी में इस हद तक धांधलियां हैं कि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को करोड़पति और कई करोड़पतियों को बीपीएल दिखाया गया है. इसी तरह की गड़बड़ियां प्रॉपर्टी आईडी में की गई हैं. इसमें मकान मालिक को किराएदार तो किराएदारों को मकान मालिक दिखा दिया गया, लेकिन सरकार ने इतने बड़े स्तर गड़बड़ियां करने वाली कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं की. सरकार की गलती का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. कांग्रेस सरकार बनने पर इन सबको खत्म किया जाएगा.


सरकार ने विधानसभा में अनुसूचित जाति के लिए प्रमोशन में आरक्षण के नाम पर भी गुमराह किया. सच्चाई यह है कि एससी समाज को इस आरक्षण से कोई लाभ नहीं होगा. क्योंकि सरकार ने 17 अगस्त को ही एक लेटर जारी करके इस आरक्षण के असर को शून्य कर दिया था. इसमें जानबूझकर ऐसी शर्तें रखी गई हैं कि इससे किसी को कोई लाभ ना हो. ऐसा करके बीजेपी-जेजेपी ने साबित कर दिया है कि वो हमेशा दलित, पिछड़ों व आरक्षण विरोधी रही है. कांग्रेस की तरफ से सदन में पिछड़ा वर्ग ए और बी के आरक्षण का मुद्दा भी उठाया गया. अति पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का स्वागत करेंगे.


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क्योंकि, यह वर्ग काफी पिछड़ा हुआ है और साथ मे कांग्रेस का मानना है कि वर्ग ए और बी दोनों वर्गों को समान रूप से आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए, लेकिन सरकार यह मांग मानने को तैयार नहीं है. पिछड़ों को आरक्षण से वंचित करने के लिए सरकार ने क्रीमी लेयर आय की लिमिट को 8 लाख से घटकर 6 लाख कर दिया. कांग्रेस सरकार बनने पर इसे 10 लाख किया जाएगा. कांग्रेस लगातार सरकार से जाति आधारित जनगणना की मांग कर रही है, लेकिन बीजेपी-जेजेपी इसका समर्थन नहीं कर रही हैं, क्यों?


फसल बीमा योजना और मुआवजे पर बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के साथ लगातार धोखा कर रही है. सरकार ने खुद विधानसभा में माना कि 3 साल से किसानों का 1303 करोड़ रुपये का मुआवजा अटका पड़ा है. यह तो वह आंकड़ा है जो सरकार ने माना है. इसके अलावा इससे कई गुना ऐसे क्लेम है, जिसे सरकार ने अमान्य कर दिया. किसान कई सीजन से मुआवजे के इंतजार में बैठे हैं. पिछले दिनों आई बाढ़ का मुआवजा अब तक किसानों को नहीं मिला है. पीएम फसल बीमा योजना में सरकार का एक और गड़बड़झाला सामने आया है.


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उन्होंने आगे कहा कि इसबार जानबूझकर बीमा कंपनियों को नोटिफाई करने में देरी की गई. सरकार ने 25 जुलाई को बीमा के लिए नोटिफाई किया. इसके चलते मई, जून और जुलाई में हुए खराबे के लिए किसान क्लेम ही नहीं कर पाए. क्योंकि, क्लेम के लिए किसानों को 72 घंटे के भीतर अपील करनी पड़ती है, लेकिन 3 महीने तक किसानों को पता ही नहीं था कि कौन-सी कंपनी को क्लेम करना है. अगर सरकार समय रहते कंपनियों को नोटिफाई करती और किसान समय रहते क्लेम रजिस्टर कर पाते तो उन्हें बीमे की ज्यादा रकम मिल सकती थी, लेकिन अब सरकार किसानों को ऊंट के मुंह में जीरे के समान मुआवजा देकर टरकाना चाहती है. प्रदेश में स्कूलों की हालत को भी हुड्डा ने तथ्यों के साथ उजागर किया.


उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा कोर्ट में दिए हलफनामे के मुताबिक प्रदेश के 538 स्कूलों मे लड़कियों के लिए टॉयलेट तक नहीं है. 1047 स्कूलों में लड़कों के लिए भी टॉयलेट नहीं है. 131 स्कूलों में पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है. 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन तक नहीं है. प्रदेश के 321 स्कूलों में चारदीवारी तक नहीं है. 8240 क्लास रूम की कमी है.  5630 अन्य कमरों (लैब इत्यादि) की कमी है. स्कूलों में ये सारी कमी पूरी करने के लिए 1784 करोड़ के बजट की जरूरत है. जबकि सरकार ने साल 2023-24 के लिए सिर्फ 424 करोड़ का बजट दिया है यानी 1360 करोड़ कम बजट दिया है. जो बजट दिया जाता है, उसे भी पूरा इस्तेमाल नहीं किया जा रहा.


उन्होंने अपने अपने बयान में आगे कहा कि हर बार बजट का बड़ा हिस्सा लैप्स हो जाता है. एलपीजी गैस सिलेंडर 200 रुपये सस्ता होने हुड्डा ने कहा कि सरकार ने जनता से बड़ी लूट करके, उसे छोटी छूट दी है. क्योंकि इसी सरकार ने सिलेंडर के रेट को 400 रुपये से बढ़ाकर साढ़े ग्यारह सौ तक पहुंचाया था और अब महज 200 रुपये सस्ता करके वाहवाही लूटना चाहती है.


(इनपुटः विनोद लांबा)