ED Affidavit to Stop Arvind kejriwal interim bail: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत के विरोध में ईडी ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया. ईडी ने कहा कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक और यहां तक कि ये कानूनी अधिकार भी नहीं है. सुप्रीम कोर्ट 2017 में चुनाव आयोग बनाम मुख्तार अंसारी के मामले में ये फैसला दे चुका है.


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जांच एजेंसी ने कहा कि अभी तक किसी भी राजनीतिक शख्स को चुनाव प्रचार के लिए जमानत नहीं मिली है. यहां तक कि उस व्यक्ति को भी जमानत नहीं मिली है, जो खुद चुनाव लड़ रहा हो.  अंतरिम जमानत पर विरोध जताते हुए ईडी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में केजरीवाल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.


हलफनामे के मुताबिक पिछले पांच साल में 123 चुनाव हो चुके हैं. अगर चुनाव में प्रचार के आधार पर नेताओं को अंतरिम जमानत दी जाने लगी तो न तो किसी राजनेता को गिरफ्तार किया जा सकता है और न ही उसे न्यायिक हिरासत में रखा जा सकता है, क्योंकि देश में पूरे साल कहीं न कहीं चुनाव होता रहता है.


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राजनेता के लिए अलग से कैटेगरी नहीं बनाई जा सकती 
अगर केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिलती है तो इस आधार पर दूसरे मामलों में जेल में बंद राजनेता भी ऐसी ही राहत की मांग कर सकते हैं. केजरीवाल को अंतरिम जमानत देना भेदभावपूर्ण होगा. एक किसान और एक कारोबारी के लिए अपना काम किसी राजनेता के चुनाव प्रचार करने से कम अहमियत नहीं रखता. ऐसे में अगर उन्हें जमानत नहीं मिल सकती तो राजनेता के लिए अलग से कैटेगरी नहीं बनाई जा सकती. 


क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
दरअसल 7 मई को ईडी और बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनाव नजदीक है और केजरीवाल सीएम हैं. चुनाव हर पांच साल में एक बार होते हैं. ये अपने आप में एक असाधारण केस है. दूसरा केस भी उनके खिलाफ नहीं है. अंतरिम जमानत पर विचार किया जाना बनता है.