अजगर सांप पर की गई स्टडी से भविष्य की संभावनाएं नजर आई हैं, हो सकता है कि इंसानों की आंत की बीमारियों का इलाज इस रिसर्च के बाद मुमकिन हो पाए.
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Study On Python: यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास की लीडरशिप में एक ग्राउंडब्रेकिंग स्टडी से पता चलता है कि अजगर क्रोहन डिजीज (Crohn’s Disease) और सीलिएक डिजीज (Celiac Disease) जैसी बीमारियों से अफेक्टेड इंसानी आंतों के टिश्यू को रिजेनरेट करने की कुंजी हो सकते हैं. अजगर, जो लंबे समय तक उपवास के लिए जाने जाते हैं, जब वो फिर से भोजन करना शुरू करते हैं तो अपनी आंतों को पुनर्जीवित करते हैं, ये प्रॉसेस इंसानों में घाव भरने और भ्रूण के विकास के जैसा है.
प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में छपी रिसर्च इस बात पर जोर देती है कि कैसे अजगर की आंत का रिजेनरेशन इंसानों में गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी जैसे प्रोसेस के बाद होने वाली प्रक्रियाओं को दर्शाता है. ये सांपों और मनुष्यों के बीच पहले की तुलना में गहरी बायोलॉजिकल पैरलेल्स का सुझाव देता है.
स्टडी से क्या पता चला?
1. आंतों का रिन्यूअल मैकेनिज्म (Intestinal Renewal Mechanism)
अजगर उपवास के बाद 48 घंटों के भीतर अपनी आंतों को रिजेनरेट करते हैं, भले ही उनमें आंतों की क्रिप्ट्स न हों, जो मानव आंत संरचनाएं हैं जो इपिथेलियल रिन्यूअल के लिए जिम्मेदार हैं. ये तेजी से पुनर्विकास कोऑर्डिनेटेड और सेल्युलर एक्टिविटीज द्वारा संचालित होता है, जिसमें NRF2 जैसे रास्ते शामिल हैं, जो रेडिएशन थेरेपी के बाद इंसानी आंतों की रिकवरी में भी मदद करता है.
2. बीईएसटी4+ सेल्स का रोल (Role of BEST4+ Cells)
हाल ही में पहचानी गई आंतों की कोशिका प्रकार, BEST4+, अजगर आंतों के विली को पुनर्जीवित करने के लिए खास तौर से उभरी. ये सेल्स, जो मनुष्यों और अन्य स्तनधारियों में मौजूद हैं, कोलोरेक्टल कैंसर और सूजन जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियों और स्थितियों से जुड़ी हो सकती हैं।
अजगर आंत का पुनरुत्पादन गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी के बाद मानव आंतों में देखे गए परिवर्तनों जैसा दिखता है, एक प्रक्रिया जो न केवल वजन घटाने में मदद करती है बल्कि मधुमेह को भी ठीक कर सकती है। अजगर आंत के पुनर्विकास में शामिल आनुवंशिक और कोशिकीय तंत्र को समझने से चयापचय और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोगों के लिए नए गैर-सर्जिकल उपचारों को प्रेरणा मिल सकती है।
3. इंसानी सेहत पर असर (Implications for Human Health)
अजगर की आंत का रिजेनरेशन गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी के बाद इंसानी आंतों में नजर आने वाले बदलाव जैसा दिखता है, एक प्रोसेस जो न सिर्फ वजन घटाने में मदद करती है बल्कि डायबिज को भी ठीक कर सकती है. अजगर की आंत के पुनर्विकास में शामिल जेनेटिक और सेल्युलर मैकेनिज्म को समझने से मेटाबॉलिक और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिजीज के लिए नए नॉन-सर्जिकल इलाजों को प्रेरणा मिल सकती है.
4. संभावित एप्लिकेशंस (Potential Applications)
ये स्टडी क्रांतिकारी चिकित्सीय संभावनाओं का संकेत देता है. अजगर आंतों में देखे गए जेनेटिक "रीप्रोग्रामिंग" को डिकोड करके, रिसर्चर्स इंसानों में समान रिजेनेरेशन को प्रोत्साहित करने के लिए दवाएं विकसित कर सकते हैं. यह शॉर्ट बोवेल सिंड्रोम जैसे कंडीशंस के ट्रीटमेंट को बदल सकता है, जो पोषक तत्वों के एब्जॉर्ब्शन में रुकावट पैदा करता है, या बीमारियों के कारण होने वाले आंतों के नुकसान के लिए.
5. फ्यूचर में क्या किया जा सकता है?
हालांकि ये फाइंडिंग्स शुरुआती हैं, वो आंतों के रिजेनरेशन के मॉडल के रूप में अजगर पर एक्सटेंसिव रिसर्च के लिए रास्ते खोलते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग (University of Pittsburgh) के डॉ. स्टीफन बडिलक (Dr. Stephen Badylak) इस स्टडी से मिली जानकारियों के लिए गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल थेरेपी में अहम प्रगति की भविष्यवाणी करते हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.