Noida News: नोएडा में सड़कों को सुंदर बनाने के लिए किनारों पर लगाई जा रही टाइल्स पेड़ों के लिए खतरनाक साबित हो रही है. इस मामले को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोंगड़ ने एक याचिका दायर की थी, जिस पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को बड़ा झटका लगा है. एनजीटी ने इस मामले में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) को पेश होने के आदेश दिए हैं. 


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क्या है मामला?
शहर को सुंदर बनाने के लिए नोएडा में सड़कों के किनारे पेड़-पौधों को दबाते हुए की जा रही टाइल्स की इंटरलॉकिंग की वजह से पेड़ों को नुकसान हो रहा है. यही नहीं पेड़ के पास पक्की लेयर बिछाने से बारिश का पानी भी पेड़ों तक न पहुंचकर सीधे नदी-नालों में बह जाता है. यही वजह है कि शहर का भूजल स्तर तेजी से घट रहा है. इस मामले में पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने चिंता व्यक्त करते हुए एनजीटी में याचिका दायर की थी. 


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टाइल्स हटाने का निर्देश
इस मामले में सुनवाई करते हुए एनजीटी ने कुछ समय पहले सड़क किनारे लगाए गए अनावश्यक इंटरलॉकिंग टाइल्स को हटाने की निर्देश दिया था, लेकिन प्राधिकरण द्वारा इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया. अब एक बार फिर इस मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने प्राधिकरण के दोनों सीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. साथ ही एनजीटी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया है. एनजीटी ने ये भी कहा कि अगर CEO दी गई तारीख पर पेश नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. 


पर्यावरण को नुकसान 
पेड़ मानव जीवन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी हैं, इनके बिना हम सांस भी नहीं ले पाएंगे. एक ओर एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण की वजह से लोगों को स्वच्छ हवा नहीं मिल पा रही, वहीं दूसरी तरफ पेड़ों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. जीवन देने वाले पेड़ों को बचाना हम इंसानों की जिम्मेदारी है, लेकिन नोएडा प्राधिकरण के शहर को सुंदर बनाने के अभियान से पेड़ों को काफी नुकसान हुआ है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सड़क के किनारे इंटरलॉकिंग करने की वजह से प्राधिकरण पर वेबजह आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है. प्राधिकरण को इस पर सोच-विचारकर इस पर फैसला करना चाहिए था.