सावन के इस महीने में कांवड़िये महादेव को खुश करने के लिए अलग-अलग तरीके से कावड़ लेकर आते हैं. ऐसा ही एक भक्ति का मामला नोएडा के घोड़ी बछेड़ा से सामने आया है. इस गांव के एक शिवभक्त कांच के बिछौने पर लेटकर कांवड़ ला रहे हैं.
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प्रणव भारद्वाज/नोएडा: सावन का पवित्र महीना चल रहा है और इस दौरान सड़कों पर कांवड़ियों का सैलाब नजर आ रहा है. उनके भक्ति के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. ग्रेटर नोएडा में भी एक शिव भक्त की अलग तरह की श्रद्धा देखने को मिली. यह शिवभक्त बोतलों के कांच के ढेर पर लेट कर गांव तक कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. दरअसल ग्रेटर नोएडा के घोड़ी बछेड़ा गांव के रहने वाले सुभाष रावल गोमुख से कावर ला रहे हैं. उन्होंने बीती 17 जुलाई को उत्तराखंड के गोमुख से गंगाजल उठाकर पैदल कांवड़ यात्रा शुरू की थी. सोमवार को वह दादरी के चिटहेड़ा गांव के शिव मंदिर पर पहुंच गए और यहां से उन्होंने एक अनोखी तरह की कांवड़ यात्रा की शुरुआत की. यहां से उनका गांव करीब 15 किलोमीटर दूर है. चिटहेड़ा से सुभाष ने कांच की बोतलों को तोड़ा और उसका ढ़ेर बनाकर उसपर लेटकर यात्रा की शुरुआत की.
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कांच के ढेर पर लेट कर यात्रा
इस यात्रा में उनके दो बेटे उनकी मदद कर रहे हैं. उनके बेटे सोनू ने बताया कि मेरे भाई कपिल ने और मैंने करीब 62 कांच की बोतलों को तोड़कर उनके कांच को एक बिछोने पर पर एकत्रित किया. इसके बाद इस बिछौने को जमीन पर बिछा दिया. हमारे पिता सुभाष रावल 15 किलोमीटर की दूरी को अर्धनग्न अवस्था में इस टूटे हुए कांच पर लेट कर ही तय करेंगे.
कांच के ढेर पर डांस
इस यात्रा के दौरान उनके साथ एक डीजे चल रहा है और शिव की भक्ति में लीन होकर वह कांच के ढेर पर लेट कर अपनी यात्रा को पूरा कर रहे हैं. कांच के ढेर पर सुभाष रावल भगवान शिव के गीतों पर नृत्य भी कर रहे हैं. बड़ी बात यह है कि इस यात्रा के दौरान सुभाष रावल को कोई खरोच तक नहीं आई है.
चौथी बार ला रहे हैं ऐसी कांवड़
ग्रामीणों ने बताया कि सुभाष रावल शिव भक्त हैं और वह लंबे समय से कांवड़ ला रहे हैं, लेकिन कांच के ढेर पर लेटकर कांवड़ वह चौथी बार ला रहे हैं. वह चिटहेड़ा गांव से कांच के ढेर पर लेट कर ही गांव के प्राचीन शिव मंदिर तक जाते हैं और फिर उसके बाद जलाभिषेक करते हैं. यह यात्रा करीब 15 किलोमीटर की होती है.
उनकी इस तरह की शिव भक्ति और इस यात्रा को देखकर सभी लोग दांतों तले उंगलियां दबा रहे हैं और आश्चर्यचकित हो रहे हैं. जब वो अपनी यात्रा पर इस तरह से निकले तो लोग बम बम भोले बोलने से खुद को नहीं रोक पाए . घोड़ी बछेड़ा गांव में भी सुभाष रावल को शिवभक्त कहा जाता है.
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