देश के नाम आखिरी संदेश में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिखाई लोकतंत्र की असली तस्वीर
Ramnath Kovind Farewell Speech : रामनाथ कोविंद ने कहा कि कार्यकाल के दौरान अपने पैतृक गांव का दौरा करना और कानपुर के विद्यालय में वयोवृद्ध शिक्षकों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में हमेशा शामिल रहेगा.
नई दिल्ली. देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज शाम राष्ट्र के नाम अपना आखिरी संबोधन दिया. पूरे देश को संबोधित करते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा कि आज मेरे कार्यकाल का आखिरी दिन है. कार्यकाल के दौरान उन्हें समाज के सभी वर्गों से समर्थन मिला, इसके लिए वह बहुत आभारी हैं. उन्होंने कहा, जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति को मेरा शत-शत नमन है.
कोविंद ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि हमारे देशवासी असली राष्ट्र निर्माता हैं. ऐसे महान देशवासियों के हाथ में हमारा भविष्य सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि जब वह कानपुर देहात के एक छोटे से गांव में रहते हुए एक बालक के तौर पर अपने भविष्य को समझने की कोशिश कर रहे थे, तब देश को आजादी मिले कुछ ही समय हुआ था.
उन्हें उम्मीद थी कि वह भी राष्ट्र निर्माण में कुछ योगदान करेंगे. यह देश के लोकतंत्र की ही ताकत है कि इसमें नागरिकों के लिए दरवाजे खुले हैं और वे कुछ भी कर सकते हैं.
रामनाथ कोविंद ने कहा, कानपुर देहात के एक गांव का आदमी आज आपको संबोधित कर रहा है तो यह भारत के लोकतंत्र की जीवंतता का प्रमाण है. रामनाथ कोविंद ने कहा कि कार्यकाल के दौरान अपने पैतृक गांव का दौरा करना और अपने कानपुर के विद्यालय में वयोवृद्ध शिक्षकों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में हमेशा शामिल रहेगा.
कोविंद ने कहा, 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए हमारा देश सक्षम हो रहा है, यह मेरा दृढ़ विश्वास है. अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है. मैं युवा पीढ़ी से यह अनुरोध करूंगा कि अपने गांव या नगर और अपने विद्यालयों के साथ ही शिक्षकों से जुड़े रहने की परंपरा को आगे बढ़ाते रहें.
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