भारत सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है, जिसके बाद से भारत की बड़ी-बड़ी कंपनियों की परेशानियां बढ़ गई हैं. उनका कहना है कि पेपर स्ट्रॉ बनाने में सामान्य से 4 गुना ज्यादा लागत आती है. लेकिन प्रोडक्ट के दाम नहीं बढ़ाए जाएंगे.
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नई दिल्ली: आज से भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह से बैन लग गया है. केंद्र सरकार के इस फैसले की वजह से पैक्ड जूस, डेयरी प्रोडक्ट और सॉफ्ट ड्रिंक्स बनाने वाली कंपनियों को बड़ा झटका लगा है. सरकार के नियम के अनुसार प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम स्टिक, ईयर-बड, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक, सजावट के लिए पॉलीस्टाइनिन (थर्मोकोल) प्लेट, चम्मच, कप, गिलास, कांटे आदी चीजों पर बैन लगा है. भारत सरकार ने कूड़ा-करकट वाले सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए यह कदम उठाया है.
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वहीं इसके बाद से बेवरेज कंपनियां प्लास्टिक स्ट्रॉ के साथ अपने प्रोडक्ट को नहीं बेच पाएंगी. इसको लेकर मदर डेयरी, अमूल और डाबर समेत कई कंपनियों ने सरकार से इस फैसले को कुछ दिनों के लिए टालने के लिए निवेदन किया था. देश के सबसे बड़े डेयरी समूह स्ट्रॉ पर निर्भर बड़े व्यवसायी अमूल ने कुछ दिन पहले सरकार को पत्र लिखकर प्लास्टिक स्ट्रॉ पर प्रतिबंध को स्थगित करने का अनुरोध किया था. अमूल (AMUL) ने कहा था कि सरकार के इस फैसले से दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक देश के किसानों और दूध की खपत पर नकारात्मक असर पड़ेगा.
बता दें कि भारत में 5 रुपये से 30 रुपये के बीच की कीमत वाले जूस और दूध वाले उत्पादों का भारत में बड़ा कारोबार है. पेप्सिको, कोका-कोला, मदर डेयरी, अमूल समेत कई कंपनियों के प्रोडक्ट्स प्लास्टिक स्ट्रॉ के साथ ग्राहकों तक पहुंचते हैं. इस कारण इस बैन से बेवरेज कंपनियां परेशान हैं. सरकार ने इन कंपनियों से वैकल्पिक स्ट्रॉ पर स्विच करने के लिए बोला है. सरकार की इस मुहिम में सहयोग करते हुए डाबर (Dabur) और पारले एग्रो (Parle Agro) आदि कंपनियों ने पेपर स्ट्रॉ बनाना शुरू कर दिया है. वहीं मदर डेयरी इसे रिप्लेस करके लाई है. कंपनियों के लिए परेशानी की बात यह है कि प्लास्टिक स्ट्रॉ के मुकाबले पेपर स्ट्रॉ की लागत अधिक पड़ रही है.
इसको लेकर मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनीष बंदलिश ने बताया था कि हम पेपर स्ट्रॉ का आयात करेंगे, लेकिन पेपर स्ट्रॉ प्लास्टिक स्ट्रॉ की तुलना में चार गुना अधिक महंगे हैं.
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