बेटियां अब किसी भी फील्ड में बेटों से पीछे नहीं है. हर फील्ड में लड़कों के कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं. वहीं अभी कई जगह ऐसी हैं, जहां बेटियों को बोझ माना जाता है. इस परंपरा को तोड़ते हुए एक गोलगप्पे वाले ने हजारों लोगों को फ्री में गोलगप्पे खिलाये.
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Sirsa: बेटी और बेटा में फर्क मानने वाले लोगों को सिरसा के डबवाली में एक रेहड़ी संचालक ने बड़ी नसीहत दी है. डबवाली में पिछले कई साल से गोल गप्पे लगाने वाले मोनू ने देश के सामने एक बड़ी मिसाल पेश की है. दरअसल मोनू ग्वालियर का निवासी है और पिछले कई साल से डबवाली में ही अपने भाईयों के साथ रह रहा है. मोनू ने अपने भाईयों के साथ मिलकर कई गोल गप्पे की रेहड़ियां लगाई हुई हैं. दो दिन पहले मोनू की भतीजी हुई है, जिसपर उसको फक्र महसूस हो रहा है. मोनू ने बेटी पैदा होने की खुशी में अपने ग्राहकों को महज ढाई घंटे में ही 20 हजार के गोलगप्पे फ्री खिलवा दिए.
मोनू के इस प्रयास की हर जगह तारीफ हो रही है. बेटी पैदा होने पर परिवार में अफसोस जाहिर किया जाता है. कई बार तो परिवार के लोग बेटी पैदा होने के बाद भी उसे या तो कहीं फैंक देते है या फिर उसकी हत्या कर देते है. बेटी पैदा होने पर परिवार के लोग बेटी को अपशगुन मानते है, लेकिन मोनू की सोच से जरूर ऐसे लोगों पर करारा तमाजा लगेगा जो बेटी और बेटे में अंतर करते हैं.
बेटा-बेटी में अंतर मानने वालों के लिए गोलगप्पे वाला एक नजीर बन गया है, जिसने घर मे बेटी के पैदा होने की खुशी में करीब 20 हजार के गोल गप्पे फ्री खिला दिए. जब गोलगप्पे कि रेहड़ी पर लंबी लाइन लगी दिखी तो रेहड़ी वाले मोनू ने बताया कि हमारे घर लक्ष्मी आई है. बेटियां किस्मत वालों को मिलती हैं. मोनू ने बताया कि रोज गोल गप्पे खिलाते हैं, लेकिन जो मजा आज आया है यूं लग रहा है कि भगवान ने सारी खुशियां दे दी हैं. मोनू ने कहा कि लोग बेटियों को कोख में मार देते हैं. ऐसा करना गलत है बेटियां नाम रोशन करती हैं. बेटी एक घर नहीं बल्कि दो घर की रानी होती है और एक बेटी का बाप किसी राजा से कम नहीं होता. 2.30 घंटे में मोनू ने 20 हजार के गोलगप्पे बड़ी फुर्ती के साथ खिलाये.
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बता दें कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत हरियाणा के पानीपत जिला से हुई थी. 22 जनवरी 2015 को पानीपत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अभियान की शुरुआत की थी. उस समय हरियाणा में भाजपा सरकार थी और मनोहर लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इस अभियान के बाद से हरियाणा में बेटियों के महत्व में बारे में लोगों में जागरूकता भी काफी देखने को मिली, लेकिन अभी भी काफी लोग नन्ही परियों की जान के दुश्मन हैं, जो नन्ही परियों को उसकी मां की कोख में ही मार डालते है या फिर पैदा होने के बाद बेटियों को कहीं और छोड़ आते हैं या फिर उनकी हत्या कर दी जाती है, लेकिन मोनू के इस प्रयास से जरूर सिरसा जिला के साथ साथ दूसरे जिलों में भी बेटियों के प्रति जागरूकता आएगी.
Input: Vijar kumar