Sonipat News: सोनीपत के नागरिक अस्पताल में दवाइयों का टोटा होने के चलते गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर लोग अधूरे इलाज के साथ घर लौट जाते हैं, नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन दो हजार OPD रहती है और हजारों मरीज अलग-अलग चिकित्सक से अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं और डॉक्टर द्वारा लिखी हुई दवाइयों को लेने के लिए अस्पताल के दवा केंद्र पर जाते हैं तो दवा केंद्र पर चार से पांच दवाइयों में से मुश्किल से एक दवाई मिलती है और हालात यह भी है कि कई बार एक भी दवाई न मिलने से गरीब आदमी मायूस होकर घर लौट जाता है.


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सोनीपत पहुंचे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने अस्पताल में दवाओं की कमी के सवाल पर कहा कि जरूरत दवाइयों की कमी को जल्द मंगवाया जाएगा. तो वहीं, प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीदने में सामर्थ्य न होने के कारण अधूरे इलाज के साथ घर चले जाते हैं.  नागरिक अस्पताल में जाकर हमने रियलिटी चेक किया जहां मरीजों ने अपना दर्द रखा और वही अस्पताल प्रशासन कैमरे से बचता हुआ नजर आया. नागरिक हॉस्पिटल सोनीपत में प्रतिदिन अलग-अलग बीमारियों की मरीज उम्मीद और आशा के साथ पहुंचते हैं कि उनका बेहतरीन इलाज होगा, लेकिन नागरिक हॉस्पिटल में बिना दवाइयों के इलाज कैसे संभव हो सकता है. नागरिक हॉस्पिटल में पिछले कई महीनों से दवाइयों का टोटा चल रहा है.


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हालात यह है कि नागरिक हॉस्पिटल बिना दवाइयों के सफेद हाथी बन कर रह गया है. नागरिक हॉस्पिटल में आने वाले गरीब और आर्थिक रुप से कमजोर लोगों का बीमार होना उनके लिए मजाक हो गया है और बिना इलाज के काफी लोग बिना दवाई मिले घर जाने को मजबूर है. वेयरहाउस में भी दवाइयां नहीं है और चिकित्सकों के पास दवाई लिखने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. वहीं नागरिक अस्पताल में दवाइयों के टोटे का फायदा प्राइवेट मेडिकल स्टोर वाले जमकर उठा रहे हैं और प्राइवेट मेडिकल स्टोर दवाइयों के रेट ओने पौने दाम ले रहे हैं.


दवाइयां न होने और बिना इलाज के घर लौट जाते है मरीज


हालात यह भी है कि दवाइयों के रेट ज्यादा होने के चलते कुछ मरीज दवाइयां पूरी नहीं खरीद पाते हैं या कुछ मरीज ऐसे भी होते हैं जो दवाइयां खरीदना पाने के चलते बिना दवाई के घर लौट जाते हैं. गौरतलब है कि सोनीपत और अन्य कई जिलों में दवाइयां सप्लाई करने को लेकर रोहतक में वेयरहाउस बनाया गया है, लेकिन वेयर हाउस में भी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण हॉस्पिटल का मेडिकल स्टोर शोपीस बनकर रह गया है हालांकि सोनीपत के नागरिक हॉस्पिटल में जिला अधिकारियों को अपने स्तर पर दवाइयां खरीदने के लिए विकल्प दिया गया है.


लेकिन, बजट का हवाला देकर हॉस्पिटल प्रशासन भी अपना पल्ला झाड़ लेता है. इस प्रकार नागरिक हॉस्पिटल में मरीज आने से भी गुरेज करना शुरू कर गए हैं. वहीं प्राइवेट हॉस्पिटलों का इलाज आम आदमी की जेब से बाहर है. इसीलिए गरीब लोग अपनी बीमारी में और ज्यादा बीमार हो रहे हैं. हॉस्पिटल में पहुंची ललिता शर्मा ने बताया कि 2 घंटे तक लाइन में लगी रही और उसके बाद जब उनका नंबर आया तो उन्हें यह कह दिया गया कि दवाइयां नहीं है जहां एक तरफ समय की बर्बादी हो रही है तो वही बिना इलाज के गरीब आदमी अपने घर लौट रहा है.


गांव गुहणा की रहने वाली महिला का कहना है कि पैरों और कमर में दर्द होने के चलते दवाई लेने के लिए पहुंची थी.  डॉक्टर द्वारा कई दवाइयां लिखी गई थी, लेकिन दवाइयां नहीं मिल रही है, बाहर से खरीदनी की हिम्मत नहीं है और पैसे के अभाव में इलाज बीच में छोड़ना पड़ेगा.