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Child Trafficking: ऐसे समय में जबकि पूरी दुनिया बच्चों और मनुष्यों की ट्रैफिकिंग और इसके वैश्विक रूप लेने की चुनौती से जूझ रही है, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस ने नई दिल्ली के भारतीय संविधान क्लब में ट्रैफिकिंग से मुकाबले के लिए सुरक्षित प्रवासन (Safe Migration to Combat Trafficking) विषय पर एक परामर्श में ट्रैफिकिंग की चुनौती का सामना करने और सुरक्षित प्रवासन को प्रोत्साहित करने के लिए तकनीकी पहल ‘टैक्ट- टेक्नोलॉजी अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग’ का एलान किया. पांच सूत्रीय इस तकनीकी पहल में विशेष जोर पीड़ितों के पुनर्वास और इस चुनौती का सामना करने के लिए हर स्तर पर ट्रैफिकिंग के पीड़ितों की भागीदारी सुनिश्चित करने और उनसे मिली सूचनाओं के आधार पर ट्रैफिकिंग गिरोहों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने पर है. इस परामर्श का आयोजन एसोसिएशन फॉर वालंट्री एक्शन ने किया जो पूरे देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे 180 गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस का सहयोगी संगठन है.
टैक्ट पहल जिन पांच अहम चीजों पर ध्यान केंद्रित करती है, वे हैं:
1. सूचनाओं का आदान-प्रदान (ट्रैफिकिंग गिरोहों के बारे में ग्लोबल डेटाबेस बनाना और उसे साझा करना)
2. पैसे के लेन देन (बैंकों व वित्तीय संस्थानों के जरिए किए गए अवैध भुगतान) पर नजर रखना
3. तकनीकी सहयोग (ट्रैफिकिंग के तकनीक आधारित रुझानों की पहचान में मदद के लिए तकनीकी कंपनियों के साथ साझेदारी)
4. सुरक्षित प्रवासन (सुरक्षित प्रवासन के लिए वैश्विक पोर्टल को मजबूत करना और सरकारी योजनाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना)
5. पीड़ितों की मदद (पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक सहायता और सलाह उपलब्ध कराना और उसे ट्रैफिकिंग गिरोहों के बारे में जानकारी हासिल करना).
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ट्रैफिकिंग के बारे में उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि मादक पदार्थों और हथियारों के अवैध धंधे के बाद यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है. बंधुआ मजदूरी और जबरया देह व्यापार के अवैध धंधे से इन गिरोहों की सालाना अनुमानित वैश्विक कमाई 236 बिलियन डॉलर है. अनुमान है कि दुनिया में किसी भी समय कम से कम 2 करोड़ 76 लाख से ट्रैफिकिंग गिरोहों के चंगुल में फंसे होते हैं और इनमें एक तिहाई संख्या बच्चों की है. वहीं भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में 45 करोड़ लोग प्रवासी हैं और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के कड़ों के अनुसार देश में रोजाना 8 बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार होते हैं.
परामर्श में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो, रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक मनोज यादव, तेलंगाना के सीआईडी की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक शिखा गोयल, प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और जस्ट राइट्स एलायंस के संस्थापक भुवन ऋभु, असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. श्यामल प्रसाद सैकिया, मध्यप्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष दविंद्र मोरे सहित सरकार के प्रतिनिधि, कानून प्रवर्तन एजेंसियां, बाल अधिकारों से जुड़े प्राधिकारी, विशेषज्ञ, प्रवासी महिला मजदूर और नागरिक समाज संगठन भी शामिल थे.