ईडी की रेड को लेकर खबरें आप सब पढ़ते-सुनते और टीवी पर देखते होंगे. इसमें ईडी जब्त नोटों से ED लिखती है, ज्वेलरी दिखाई जाती है. फिर उस माल को बड़ी-बड़ी संदूकों-पेटियों में भरा जाता है. गाड़ी में चढ़ाने का फोटो या वीडियो भी देखा होगा आपने. पर क्या आपको पता है इन पैसों का होता क्या है, कहां रखा जाता है, किसके खाते में जमा होता है?
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नई दिल्ली: इन दिनों पश्चिम बंगाल काफी चर्चा में है, वजह सबको पता है. टीचर भर्ती घोटाले से जुड़े मामले में जांच करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अर्पिता मुखर्जी के घर से 50 करोड़ रुपये और 5 किलो सोना बरामद किया है. दरअसल ये कोई पहला मामला नहीं है, जब ED को इतनी बड़ी रकम रेड के दौरान मिली हो आकड़ों पर नजर डालें, तो महज 4 सालों में ED ने 60 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये और गहने रेड के दौरान जब्त किए हैं. ऐसे में एक सवाल जो सबके जहन में आ रहा है कि आखिर इतनी बड़ी रकम का ED करती क्या है?
सबसे पहले इस बात को जानना जरूरी है कि आखिर ED को किसी के घर पर जाकर छापा मारने का अधिकार कहां से मिलता है. दरसल प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) 2002 के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को संपत्ति जब्त करने का अधिकार होता है.
क्या है प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) 2002?
जब्त किए गए सामान का क्या होता है?
ED की रेड के दौरान जब्त की गई चीजों जैसे- कैश, गहने और प्रॉपर्टी का पंचनामा बनाया जाता है. इसमें सामान जब्त होने वाले व्यक्ति और अन्य दो गवाहों के हस्ताक्षर होते हैं.
ED के द्वारा जब्त की गई प्रॉपर्टी
अगर किसी रेड के दौरान ED प्रॉपर्टी के कागजात जब्त करता है, तो PMLA के सेक्शन 5 (1) के तहत संपत्ति को अटैच करने का अधिकार है. अदालत में यह साबित होने पर सरकार इसे अपने कब्जे में ले सकती है. PMLA के तहत ED को अधिकतम 180 दिनों संपत्ति को अटैच करने का अधिकार होता है और अगर वो अदालत में इसे सही नहीं ठहरा पाती तो प्रॉपर्टी रिलीज हो जाती है. कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के मामले में अटैच होने के बाद भी आरोपी उसका उपयोग कर सकता है, जब तक की उस पर कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता.
ED के द्वारा जब्त किए गए गहने
ED अगर रेड के दौरान सोने-चांदी के कीमती गहने बरामद करती है, उसे सरकारी भंडारघर में जमा कर दिया जाता है. साथ ही रेड के दौरान मिले कैश को भी सुरक्षित भंडारघर में रखा जाता है. कई मामलों में जब्त संपत्तियां सालों तक यूहीं पड़ी रहती है और खराब होने लगती है, क्योंकि कई मामलों में फैसला नहीं हो पाता है. जबकि अगर संपत्ति में वाहन या किसी भी तरह की चल संपत्ति होती है तो उन्हें सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के वेयरहाउस में रखवा दिया जाता है. यहां की पार्किंग फीस का भुगतान संबंधित एजेंसी करती है. कई केस में ये चल संपत्तियां नष्ट हो जाती हैं. हालांकि इनकी देखरेख के एक एजेंसी बनाने का प्रावधान किया गया है, लेकिन अभी तक इसका गठन अब तक नहीं हो पाया है.
नोटों की गड्डी की क्या होता है?
ईडी या आयकर विभाग एक-एक रुपये का हिसाब रखता है. नोटों के हिसाब से गड्डियां बनाता है. कितने 200, 500 और अन्य नोट हैं. नोटों पर अगर किसी तरह के निशान मिलते हैं तो या फिर उनमें कुछ लिखा होता है या फिर लिफाफे में हों तो उसे एजेंसियां अपने पास रख लेती हैं. इनका इस्तेमाल सबूत के तौर पर किया जाता है. बाकि बैंकों में जमा कर दिया जाता है. ED-IT इन नोटों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया या फिर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में केंद्र सरकार के खाते में जमा कर दिया जाता है. अगर मामला राज्य से संबंधित छापेमारी का है तो फिर स्टेट सरकार के खातों में जमा कर दिया जाता है. हालांकि कई बार जांच एजेंसियां कुछ पैसा इंटरनल ऑर्डर से केस की सुनवाई पूरी होने तक अपने पास जमा रखती हैं.
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अदालत करती है फैसला
1. ED के सामान जब्त करने के बाद मामला कोर्ट में पहुंचता है. अगर कोर्ट में कार्रवाई सही पाई जाती है, तो सारी संपत्ति पर सरकार का अधिकार हो जाता है.
2. अगर कोर्ट में ED की कार्रवाई सही साबित नहीं होती है, तो सारा सामान उस व्यक्ति को वापस लौटा दिया जाता है. यह तभी होता है जब जिस व्यक्ति के पास से सामान बरामद हुआ है वो उसे लीगल साबित करने के सभी सबूत अदालत में पेश कर दे.
3. कुछ मामलों में कोर्ट संपत्ति पर कुछ फाइन लगाकर उसे संपत्ति लौटाने का अवसर भी देती है.