पिछले साल शादियों के सीजन में हुए जोरदार व्यापार से उत्साहित होकर दिल्ली समेत देशभर के व्यापारी अब 15 जनवरी से शुरू होकर जून महीने तक चलने वाले शादी के बड़े सीजन में बड़े व्यापार करने की कोशिशों में जुट गए हैं.
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नई दिल्ली: पिछले साल शादियों के सीजन में हुए जोरदार व्यापार से उत्साहित होकर दिल्ली समेत देशभर के व्यापारी अब 15 जनवरी से शुरू होकर जून महीने तक चलने वाले शादी के बड़े सीजन में बड़े व्यापार करने की कोशिशों में जुट गए हैं. 15 जनवरी मकर संक्रांति (Makar Sankranti) से शुरू होकर जून तक के लगभग 6 महीनों के शादी सीजन में देशभर में लगभग 70 लाख शादियां होने का अनुमान है, जिसके कारण शादियों की वजह से इस सीजन में लगभग 13 लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होना आंका जा रहा है.
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की अकेले दिल्ली में इस सीजन में लगभग 8 लाख से ज्यादा शादियां होने का अनुमान है, जिससे दिल्ली में ही लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये के व्यापार की संभावना है. पिछले साल नवम्बर से दिसंबर तक के महीने में शादियों के चरण में लगभग 32 लाख शादियां हुई थी और लगभग 3.75 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार हुआ था.
भरतिया और खंडेलवाल ने बताया की शादी के इस सीजन में लगभग 10 लाख शादियों में प्रत्येक शादी में लगभग 3 लाख रुपए खर्च होंगे, लगभग 10 लाख शादियों में प्रति शादी खर्च लगभग 5 लाख प्रति शादी होगा, 15 लाख शादियां जिनमें 10 लाख प्रति शादी, 10 लाख शादियां जिनमें 15 लाख प्रति शादी, 10 लाख शादियां जिनमें 25 लाख प्रति शादी, 10 लाख शादियां जिनमें 35 लाख प्रति शादी, 3 लाख शादियां जिनमें लगभग 50 लाख प्रति शादी और 2 लाख शादियां ऐसी होंगी जिनमें 1 करोड़ या उससे अधिक धन खर्च होगा. तो कुल मिलाकर इस एक महीने के शादी के सीजन में लगभग 13 लाख करोड़ रुपये का धन प्रवाह बाजारों में इस साल शादी की खरीदी के माध्यम से होना संभावित है.
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CAIT के अध्यक्ष और राष्ट्रीय महामंत्री ने बताया कि शादियों के सीजन के अच्छे व्यापार की संभावनाओं को देखते हुए देशभर के व्यापारियों ने व्यापक तैयारियां की हैं और पिछली बार के हुए रिकॉर्ड कारोबार से उपजे उत्साह को बाजारों में बरकरार रखने के सभी प्रबंध किये जा रहे हैं. उन्होंने बताया की प्रत्येक शादी का लगभग 80 प्रतिशत खर्च शादी को सम्पन्न कराने में काम करने वाली अन्य तीसरी एजेंसियों को जाता है. जबकि मात्र 20 प्रतिशत पैसा ही वर-वधू के परिवारों को सीधा मिलता है. खास बात यह है कि यह 80 प्रतिशत पैसा कहीं रुकता नहीं है बल्कि घूम फिरकर तरह-तरह की खरीदारी से बाजार में ही आता है, जिससे वित्तीय तरलता बनी रहती है. इसलिए शादियों का सीजन भी देश में एक बड़े व्यापार का रूप ले चुका है.
भरतिया और खंडेलवाल ने बताया कि शादियों के सीजन से पहले जहां घरों की मरम्मत, पेंट, फ़र्निशिंग, साज सज्जा आदि का व्यापार बड़ी मात्रा में होता है. वहीं खास तौर पर ज्वेलरी, साड़ियां, लहंगे -चुन्नी, रेडीमेड गारमेंट्स, कपड़े, फुटवियर, शादी एवं ग्रीटिंग कार्ड, ड्राई फ्रूट, मिठाइयां, फल, शादियों में इस्तेमाल होने वाला पूजा का सामान, फर्नीचर, किराना, गिफ्ट आइटम्स, खाद्यान, डेकोरेशन के आइटम्स, बिजली का उपयोगी सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा उपहार में देने वाली अनेक वस्तुओं आदि का व्यापार बड़ी मात्रा में प्रतिवर्ष होता है.
इन्होंने बताया कि दिल्ली समेत देशभर में बैंक्वेट हॉल, होटल, खुले लॉन, फार्म हाउस, सरकारी सामुदायिक भवन, सार्वजनिक पार्क, धर्मशालाएं, रिहायशी कॉलोनियों में स्तिथ पार्क, क्लब एवं शादियों के लिए अन्य अनेक प्रकार के स्थान को भी बड़ा व्यापार मिलता है. टेंट डेकोरेटर, फूल की सजावट करने वाले लोग, क्राकरी, कैटरिंग सर्विस, ट्रेवल सर्विस, कैब सर्विस, स्वागत करने वाले प्रोफेशनल समूह, सब्जी विक्रेता, फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर, बैंड-बाजा, शहनाई, आर्केस्ट्रा, डीजे, बारात के लिए घोड़े, बग्घी, लाइट वाले सहित अन्य अनेक प्रकार की सर्विस को भी बड़े पैमाने व्यापार मिलता है. विशेष रूप से पंडितों और शादी कराने वाले ज्ञानवान लोगों के लिए भी शादियों का सीजन एक बड़ी आमदनी का ज़रिया बन गया है. वहीं इवेंट मैनज्मेंट एजेंसियों तथा पैकेजिंग के लिए भी यह एक बड़े व्यापार के रूप में उभरा है.
कैट की आध्यात्मिक और वैदिक ज्ञान कमेटी के चेयरमैन, प्रकांड वेद मर्मज्ञ और देश के विख्यात ज्योतिषाचार्य महाकाल की नगरी उज्जैन के आचार्य श्री दुर्गेश तारे ने बताया की तारों की गणना के अनुसार जनवरी में 9 दिन, फरवरी में 14 दिन, मार्च में 6 दिन, मई में 13 दिन और जून में 11 दिन शादियों के मुहूर्त के दिन हैं और कुल मिलाकर यह 53 दिन मुहूर्त के होते हैं. आचार्य तारे ने यह भी कहा कि सनातन धर्म के अलावा आर्यसमाज, सिख बंधु, पंजाबी बिरादरी, जैन समाज सहित देश में अन्य अनेक वर्ग हैं जो मुहूर्त के बारे में विचार नहीं करते वो भी इस सीजन में तथा इसके अलावा अन्य दिनों में भी अनेक लोग शादी समारोह आयोजित करेंगे.