Wrestlers Protest: महिला पहलवानों की याचिका पर कोर्ट ने पुलिस से मांगी स्टेटस रिपोर्ट
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Wrestlers Protest: महिला पहलवानों की याचिका पर कोर्ट ने पुलिस से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

Wrestlers Protest News: राऊज एवेन्यु कोर्ट ने दिल्ली पुलिस ने महिलाओं की याचिका के बाद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ चल रही जांच को लेकर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. साथ ही पीड़ित शिकायतकर्ताओं के बयान कोर्ट में दर्ज करने को कहा है. 

Wrestlers Protest: महिला पहलवानों की याचिका पर कोर्ट ने पुलिस से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

Wrestlers Protest Jantar Mantar: राऊज एवेन्यु कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (WFI Chief Brij Bhushan Sharan) के खिलाफ चल रही जांच को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा है. महिला पहलवानों ने इसके लिए कोर्ट का रुख किया है. सीआरपीसी 156 के तहत दायर याचिका में महिला पहलवानों ने मांग की है कि कोर्ट बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दर्ज  FIR में जांच की निगरानी करें. कोर्ट पुलिस से अब तक की जांच को लेकर स्टेटस रिपोर्ट जारी करें.  इसके साथ ही बिना देरी करत हुए इस मामले में पीड़ित शिकायतकर्ताओं के बयान कोर्ट में दर्ज कराए जाए. 

पुलिस जांच को लेकर गंभीर नहीं- वकील एस एस हुड्डा 
महिला पहलवानों की ओर से पेश वकील एस एस हुड्डा ने कहा कि पुलिस इस मामले में जांच को लेकर गंभीर नहीं है. शुरू में जब पहलवानों ने पुलिस को शिकायत दी तो संगीन आरोप के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज करना जरूरी नहीं समझ. सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के बाद ही बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज हुई. अभी तक पुलिस ने कोर्ट में शिकायतकर्ताओं के बयान तक दर्ज नहीं किए है. पुलिस जांच में जानबूझकर देरी कर रही है. खेल मंत्रालय के अधिकारी ने हमसे मामले में समझौता करने का दबाव बनाया.

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पुलिस ने दर्ज की है दो FIR
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज हुई है. एक  एफआईआर आइपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत और दूसरी नाबालिग पीड़ित की शिकायत पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुई है.

SC ने याचिका का निपटारा किया था
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने महिला पहलवानों की याचिका का ये कहते हुए निपटारा कर दिया था कि एफआईआर दर्ज करने की उनकी मांग पहले ही पूरी हो चुकी है. कोर्ट ने पुलिस को महिला पहलवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जांच की निगरानी करने से इंकार करते हुए कहा था कि शिकायतकर्ता कोई भी मांग के लिए संबंधित ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट या हाई कोर्ट का रुख कर सकते हैं.

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