World No-Tobacco Day: फेफड़ो को ही नहीं, पर्यावरण को भी तबाह कर रही है आपकी सिगरेट की लत, हर साल बर्बाद हो रहा है करोड़ लीटर पानी
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World No-Tobacco Day: फेफड़ो को ही नहीं, पर्यावरण को भी तबाह कर रही है आपकी सिगरेट की लत, हर साल बर्बाद हो रहा है करोड़ लीटर पानी

सिगरेट का धुआं इंसान के फेफड़ो को बर्बाद कर देता और कैंसर को बुलावा देता है. वहीं धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के पास खड़े होने वाले व्यक्ति के Passive स्मोकिंग के सहारे फेफड़ो को काफी हद तक नुकसान पहुंचता है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने एक चौकानें वाली रिपोर्ट दी है

World No-Tobacco Day: फेफड़ो को ही नहीं, पर्यावरण को भी तबाह कर रही है आपकी सिगरेट की लत, हर साल बर्बाद हो रहा है करोड़ लीटर पानी

शिवांक मिश्रा/नई दिल्लीः धूम्रपान के बारे में आपने कई बार सुना होगा कि धूम्रपान (smoking) करना इतना खतरनाक है. सिगरेट का धुआं इंसान के फेफड़ो को बर्बाद कर देता और कैंसर को बुलावा देता है. वहीं धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के पास खड़े होने वाले व्यक्ति के Passive स्मोकिंग के सहारे फेफड़ो को काफी हद तक नुकसान पहुंचता है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने एक चौकानें वाली रिपोर्ट दी है कि धूम्रपान फेफड़ो को नुकसान पहुंचाने के अलावा पर्यावरण का भी खासा नुकसान कर रहा है और लोगों की धूम्रपान की आदत की वजह से हर साल 8 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड पर्यावरण में मिल रही है.

सिगरेट बाने के लिए हर साल 2200 करोड़ लीटर पानी होता है बर्बाद

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि सिगरेट के निर्माण में हर साल 2200 करोड़ लीटर पानी बर्बाद होता है जो कि हर साल 2 करोड़ से ज्यादा लोगों की प्यास बुझा सकता है. अगर आप धूम्रपान करते हैं या आपका कोई रिश्तेदार, मित्र धूम्रपान का आदी है तो आपको आज हमारी यह रिपोर्ट जरूर देखनी चाहिए. साइंटिफिक जर्नल लांसेट के मुताबिक आज पूरे विश्व के 110 करोड़ से ज्यादा लोग धूम्रपान के आदी हो चुके हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हर साल 80 लाख लोग धूम्रपान की आदत की वजह से अपनी जान गवां देते हैं.

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लेकिन, विश्व स्वास्थ्य संगठन और एक्सपोज टोबैको द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया कि धूम्रपान की आदत सिर्फ धूम्रपान करने वाले को ही नहीं बल्कि पूरी प्रकृति को भी बर्बाद कर रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सिगरेट के निर्माण से लेकर उसके कंसम्पशन तक की प्रक्रिया में हर साल 8 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड पर्यावरण में मिल रहा है. जो वैश्विक प्रदूषण की एक बड़ी वजह है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सिगरेट के निर्माण में हर साल 2200 करोड़ लीटर पानी बर्बाद होता है.

वहीं एक व्यक्ति को डॉक्टर रोजाना 3 लीटर पानी पीने की सलाह देते हैं यानी जितना पानी हर साल 2 करोड़ लोगों के पीने के काम आ सकता है वो पानी सिगरेट पीने वालों की नशे की आदत की वजह से बर्बाद होता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि हर साल  1970 से अब तक सिगरेट के निर्माण की वजह से ही 150 करोड़ हेक्टेयर जंगल पूरे विश्व से साफ हो चुके हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक WHO की यह रिपोर्ट धूम्रपान करने वालों की आंख खोलने वाली है जो लोग अपना जीवन धुंए में उड़ा रहे है वो खुद अपने शरीर का नुकसान नहीं कर रहे बल्कि उनके शरीर को भी बर्बाद कर रहे जिनका धूम्रपान से कोई लेना देना तक नही है.

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पर्यावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मिलावट से जिस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है उसकी वजह से आज कैंसर, हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और अब WHO की रिपोर्ट ने पर्यावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मिलावट के लिये धूम्रपान की आदत को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है जिसके बाद अब इन धूम्रपान करने वालों को भी सोचना चाहिए. पर्यावरण को करोड़ो लोगों की धूम्रपान की आदत जिस तरह से नुकसान पहुंचा रही है और प्रकृति को बर्बाद कर रही है, जलसंकट लाने की कोशिश कर रही है. ऐसे में धूम्रपान करने वालों को खुद की ना सही आने वाली पीढ़ी की चिंता करनी होगी.

सरकार नियम बनाये ना बनाये कम से कम खुद की जिम्मदारी समझनी होगी तभी पर्यावरण संकट से भविष्य बच सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट ने सिगरेट बनाने वाली कंपनियों को भी आड़े हाथों लिया है और दावा किया कि सिगरेट बनाने वाली कंपनियां खुद को पर्यावरण बचाने वाली संस्था के रूप में विश्व के सामने रखने के लिए पूरी ताकत से PR करती हैं ताकि लोग इन्हें पर्यावरण बर्बाद करने वाले नहीं संरक्षण करने वाले समझें. WHO के मुताबिक साल 2014 से 2020 तक सिगरेट बनाने वाले कंपनी फिलिप मोरिस इंटरनेशनल (PMI) ने 10 करोड़ से ज्यादा रुपये एशिया, यूरोप और लैटिन अमेरिका में पर्यावरण बचाओ अभियान के तहत झोंके थे.

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साल 2011 में सिगरेट बनने वाली ब्रिटिश अमेरिका टोबैको (BAT) कंपनी ब्राजील की सरकार के साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण का काम में शामिल हुई. वही बांग्लादेश में तो BAT को पेड़ो को लगाने के अभियान की वजह से 4 बार प्रधानमंत्री राष्ट्रीय पुरस्कार (Prime Minister's National Award) मिल चुका है. भारत में सिगरेट का निर्माण करने वाली ITC भी पढ़ाई, साफ सफाई और पर्यावरण संरक्षण का अभियान चलाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सिगरेट कंपनियों के कथित पर्यावरण बचाओ अभियानों को "Green Washing" नाम दिया गया है जिसका अर्थ है खुद को पर्यावरण संरक्षण करने वाला दिखाने के लिए गलत खबर फैलाना." अब ऐसे में हमारी भी आपसे यही अपील है कि आप भी सिगरेट की इस नशे की लत से छुटकारा पाएं और खुद को और पर्यावरण को बचाएं.

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