Delhi-NCR Pollution:  दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में एकक्यूआई का स्तर 400 के पार है. दिल्ली और एनसीआर की हर एक सांस पीएम 2.5 और पीएम 10 के पहरे में कैद है. प्रदूषण का सामना करने के लिए तरह तरह की कवायदें भी की जा रही हैं. इन सबके बीच लोगों को इंद्र देवता पर आस है. मौसम विभाग के मुताबिक दिल्ली और एनसीआर में बारिश होने की उम्मीद है. जहां यह बारिश, प्रदूषण के इन कणों को साफ करने में मददगार होगी वहीं कुछ चिंताएं भी बढ़ गई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

प्रदूषण के पहरे में हर सांस

दरअसल दिल्ली और एनसीआर के वातावरण में ना सिर्फ पीएम 2.5 और पीएम 10 के कण हैं बल्कि कई और जहरीली गैसे हैं. जानकार बता रहे हैं कि बारिश की वजह से प्रदूषण से राहत तो मिलेगी. लेकिन स्वास्थ्य से जुड़ी कई और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. डॉक्टरों के मुताबिक स्किन के साथ साथ सांस संबंधी परेशानियों से भी दो चार हो सकते हैं. लिहाजा बारिश में भींगने से बचना चाहिए. बेहतर होगा कि घर से बाहर ना निकलें. अगर घर से बाहर निकलना जरूरी ही हो तो छाता लेकर बाहर निकलें. ताकि बारिश से बचाव हो सके. बारिश की वजह से पेड़ों पर धूल के कण तो धूल जाएंगे. लेकिन वातावरण पहले से ही जहरीला है लिहाजा पहली बारिश राहत से अधिक आफत ला सकती है.


दिल्ली के इन इलाकों में NO2 का स्तर अधिक


  • नेहरू नगर- 184 एमजीसीएम

  • पटपड़गंज- 111

  • विवेक विहार- 86

  • ओखला फेज 2- 145


इस तरह की हो सकती है परेशानी


  • स्किन में इचिंग की दिक्कत

  • निमोनिया और ब्राॉन्काइटिस 


कहीं राहत बन ना जाए आफत

डॉक्टरों के मुताबिक 10 नवंबर की बारिश के बार प्रदूषण के जिम्मेदार तत्वों में कमी आई थी. लेकिन दिवाली के बाद से ही वातावरण में पीएम 2.5 और पीएम 10 के अलावा नाइट्रोजन डॉई ऑक्साइड की मौजूद हैं, ऐसे में अगर बारिश होती है तो ये तत्व पानी में घुल जाएंगे और जब इनका संपर्क आपकी शरीर से होगा तो उसका असर निमोनिया, ब्रांकाइटिस और त्वचा पर नजर आ सकता है. सीपीसीबी के मुताबिक बारिश में पीएच की मात्रा 5.6 होती है. इसकी प्रकृति अम्लीय होती है, लेकिन पानी में जब कॉर्बन डॉइ ऑक्साइड मिलता है तो कॉर्बोनिक एसिड बनता है. जब बारिश के पानी की पीएच की मात्रा 4.2 के करीब होती है तो एसिड रेन बन जाता है, वहीं नाइट्रोजन डॉई ऑक्साइड बारिश के पानी के साथ नाइट्रिक एसिड बनाता है और यह दोनों स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक ऐसे लोग पहले से ही अगर सांस या स्किन संबंधी समस्या का सामना कर रहे हों तो उनकी मुश्किलों में और इजाफा हो सकता है.