संकट काल के दौरान जब एक बुजुर्ग का साथ, उनके अपनों ने छोड़ दिया तो राजेन्द्र नगर थाने में तैनात कॉन्स्टेबल राजू राम ने फरिश्ते की तरह उनकी मदद की. 80 साल के मुरलीधरन की 3 बेटियां है. एक बेटी दुबई में तो दूसरी अजमेर में वहीं तीसरी बेटी की दिल्ली में ही मौजूद थी.
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नई दिल्ली: देश में जारी कोरोना संकट के समय कई पुलिस कर्मियों ने अपने आचरण और व्यवहार से मानवीय चेहरा पेश किया है. रोजमर्रा की चुनौतियों के बीच दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के कॉन्स्टेबल राजूराम के जज्बे की हर तरफ तारीफ हो रही है.
दरअसल संकट काल के दौरान जब एक बुजुर्ग का साथ उनके अपनों ने छोड़ दिया तो राजेन्द्र नगर थाने में तैनात कॉन्स्टेबल राजू राम ने किसी फरिश्ते की तरह उनकी मदद की. 80 साल के बुजुर्ग मुरलीधरन की 3 बेटियां है. एक बेटी दुबई में रहती है, दूसरी अजमेर में और तीसरी बेटी कालकाजी इलाके में रहती हैं. रविवार की दोपहर मुरलीधरन की तबीयत खराब हो गई. फेफड़ों में शिकायत के बीच उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. तब राजूराम ने एक बेटे की तरह फर्ज निभाते हुए उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया.
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मुरलीधरन के घर जब पुलिस पहुंची तो वो अस्पताल जाने के लिए तैयार नहीं थे. कॉन्स्टेबल राजू ने सबसे पहले मुरलीधरन की बेटी जो कालका जी रहती है उसे फोन किया तो बेटी ने जवाब दिया कि वो नहीं आ सकती क्योंकि उन्हें पिता के कोरोना से संक्रमित होने की आशंका है. उसने कहा कि वो खुद परेशान है. इसके बाद राजूराम बुजुर्ग मुरलीधरन को लेकर आरएमएल (RML) अस्पताल पहुंचे गया. अस्पताल प्रसाशन ने बताया कि बेड नहीं इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और जैसे तैसे उन्हें वहीं भर्ती कराया और ऑक्सीजन दिलवाई. इस काम को करने के लिए राजू को तीन-चार घंटे अस्पताल में रहना पड़ा लेकिन वो वहां से तभी हटे जब उनको यकीन हुआ कि बुजुर्ग की स्थिति पहले से बेहतर है.
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