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नई दिल्ली: साल 2011 में जब अमेरिका ने 9/11 हमले के मास्टर माइंड और अल कायदा के चीफ ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden) को मारा था तो गिलानी ने उसे शहीद बताया था और लोगों से भी लादेन को श्रद्धांजलि देने के लिए कहा था. आज लादेन और गिलानी दोनों इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन कश्मीर के नाम पर आतंकवाद और अलगाववाद आज भी जारी है और अल कायदा (Al-Qaeda) के नए स्टेटमेंट से आपको सावधान हो जाना चाहिए.
अल कायदा (Al-Qaeda) ने एक बयान जारी करके कश्मीर (Kashmir) को आजाद कराने की कामना की है. इस स्टेटमेंट की कॉपी Zee News पास है, जिसमें लिखा है कि वो अफगानिस्तान की आजादी के बाद अब दूसरे स्टेज में इराक, सीरिया, यमन, उत्तरी अफ्रीका, सोमालिया और कश्मीर की आजाद कराने की कामना करता है. अल कायदा लिखता है इन देशों में मुसलमानों को कैदी बना कर रखा गया है और वो आजाद नहीं हैं.
ये आतंकवादी संगठन कश्मीर को आजाद कराने की खतरनाक बातें तो लिखता है, लेकिन वो चीन के वीगर मुसलमानों और रूस के कब्जे वाले चेचन्या की बात नहीं करता, जहां लाखों मुसलमानों का दमन किया जा रहा है. इससे पता चलता है कि इस तरह के आतंकवादी संगठन अपने राजनीतिक मकसद पूरे करने के लिए ही कट्टरपंथ और जेहाद करते हैं.
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रूस और चीन ऐसे दो बड़े देश हैं, जो तालिबान के साथ हैं. इसलिए ना तो तालिबान इन देशों के खिलाफ जाएगा और ना ही दूसरे आतंकवादी संगठन ऐसा करेंगे. अल कायदा का चीफ अयमान अल जवाहिरी तो खुद पाकिस्तान से ऑपरेट कर रहा है. पाकिस्तान को चीन का खुला समर्थन है. इसलिए अल जवाहिरी भी चीन और रूस में मुसलमानों के दमन पर कभी कुछ नहीं बोलेगा. यानी ये कट्टरपंथी ताकतें मुसलमानों के प्रति भी ईमानदार नहीं हैं.
भारत के लिए इसमें चिंता की बात ये है कि अब अल कायदा जेहाद के नाम पर कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है. आज अगर दुनिया की किसी भी कट्टरपंथी ताकत को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि इनका एक ही मकसद है और वो है गजवा ए हिंद. इस्लाम के कुछ धर्म ग्रंथों में गजवा ए हिंद का जिक्र करते हुए कहा गया है कि खुरासान से एक इस्लामिक सेना भारत पर हमला करेगी. आपको जानकर हैरानी होगी कि खुरासान जिस इलाके को कहा जाता है, उसमें आज का अफगानिस्तान और पाकिस्तान और ईरान के कुछ इलाके शामिल हैं. गजवा ए हिंद की थ्योरी के मुताबिक ये तभी मुमकिन होगा जब कट्टर इस्लाम को दुनिया के दूसरे इलाकों में मजबूत किया जाएगा और इसी के लिए अल कायदा इराक, सीरिया, यमन, उत्तरी अफ्रीका, सोमालिया में आजादी की बात कर रहा है. अफगानिस्तान इसका सिर्फ एक उदाहरण है.
दुनिया की ज्यादातर कट्टरपंथी ताकतें देवबंदी विचारधारा में यकीन रखती हैं. अल कायदा और तालिबान भी उन्हीं में से एक है. इस विचारधारा की शुरुआत आज से 155 वर्ष पहले अविभाजित भारत में सहारनपुर के देवबंद से हुई थी. तालिबान के ज्यादातर आतंकवादी पाकिस्तान के देवबंदी मदरसों से ही पढ़कर निकले हैं. इतना नहीं 1990 से 2009 के बीच पाकिस्तान में जितने आतंकवादी पकड़े गए, उनमें से 90 प्रतिशत देवबंदी मुसलमान थे.
तालिबान और अल कायदा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. इसे आप अल कायदा की इस स्टेटमेंट कॉपी में लिखी कुछ और बातों से समझ सकते हैं. इसमें अल कायदा ने तालिबानी नेता मुल्ला मंसूर और हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी को श्रद्धांजलि दी है. इससे पता चलता है कि अल कायदा की जड़ें तालिबान और हक्कानी दोनों आतंकवादी संगठनों में है.
अल कायदा कश्मीर को लेकर जो बातें कह रहा है और अफगानिस्तान में तालिबान जो कर रहा है. उससे हमारे देश के भी कई मुसलमान खुश हैं. इन मुसलमानों को लगता है कि ये कट्टरपंथी एक ना एक दिन भारत में भी इस्लामिक राज स्थापित कर लेंगे. ऐसा सोचने वालों को एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया, ये बयान ऐसे लोगों को चुभेगा तो बहुत, लेकिन फिर भी तालिबान की जीत पर खुश होने वालों को नसीरुद्दीन शाह का ये बयान बहुत ध्यान से सुनना चाहिए.
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