DNA ANALYSIS: स्मार्टफोन, गैजेट्स पर बढ़ते Screen Time का खतरा, अपनी आंखों को ऐसे रखें सुरक्षित
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DNA ANALYSIS: स्मार्टफोन, गैजेट्स पर बढ़ते Screen Time का खतरा, अपनी आंखों को ऐसे रखें सुरक्षित

एक नई स्टडी कहती है कि भारत में प्रतिदिन लोगों का स्क्रीन टाइम लगभग साढ़े छह घंटे हो गया है.  24 घंटे में से साढ़े 6 घंटे लोगों की नजरें मोबाइल फोन, कम्प्यूटर और लैपटॉप की स्क्रीन पर रहती हैं, जिसका बुरा असर आंखों पर पड़ रहा है.

DNA ANALYSIS: स्मार्टफोन, गैजेट्स पर बढ़ते Screen Time का खतरा, अपनी आंखों को ऐसे रखें सुरक्षित

नई दिल्ली: आज हम हमारे देश के लोगों की कमजोर होती नजर का विश्लेषण करेंगे. एक नई स्टडी के मुताबिक, वर्ष 2020 में मोबाइल फोन, कम्प्यूटर और लैपटॉप का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से भारत के लगभग 27 करोड़ लोगों की आंखों की दृष्टि कमजोर हो गई. यानी देश की लगभग 23 प्रतिशत आबादी को अब इसकी वजह से आंखों पर चश्मा लगाने की जरूरत महसूस होने लगी है और पूरी दुनिया में ये आंकड़ा सबसे ज्यादा है.

जब से कोरोना वायरस आया है, तभी से लोगों का ज्यादातर समय घर में रहकर गुजर रहा है और संक्रमण रोकने के लिए ये जरूरी भी है. लेकिन इसकी वजह से ज्यादातर लोग अब मोबाइल फोन का काफी अधिक इस्तेमाल करने लगे हैं और मोबाइल फोन का डेटा, आटा जितना ही जरूरी हो गया है.

आंखों पर बुरा असर

लोगों ने ऐसा मान लिया है कि घर पर खाली समय को मोबाइल फोन चला कर ही काटा जा सकता है, लेकिन हमें लगता है कि मोबाइल फोन का इतना ज्यादा इस्तेमाल सही नहीं है और आप बिना गैजेट के भी घर पर रह कर अपना समय बिता सकते हैं क्योंकि, ये नई स्टडी कहती है कि भारत में प्रतिदिन लोगों का स्क्रीन टाइम लगभग साढ़े छह घंटे हो गया है.

सोचिए, 24 घंटे में से साढ़े 6 घंटे लोगों की नजरें मोबाइल फोन, कम्प्यूटर और लैपटॉप की स्क्रीन पर रहती हैं. हालांकि इस सूची में भारत सातवें स्थान पर है. पहले स्थान पर है फिलिपींस, जहां लोगों का प्रति दिन स्क्रीन टाइम लगभग 11 घंटे है और दक्षिण अफ्रीका में स्क्रीन टाइम लगभग 10 घंटे है.

ये स्टडी ब्रिटेन की कंपनी फील गुड कॉन्टैक्ट्स ने की है, जिसमें वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन, लैंसेट ग्लोबल हेल्थ और स्क्रीनटाइम ट्रैकर के नतीजों को भी आधार बनाया गया है. ये रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2020 में कई देशों में बड़े पैमाने पर लोगों ने घर से दफ़्तर का काम किया, स्कूल बंद होने की वजह से बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई की और मनोरंजन भी सिनेमा हॉल से मोबाइल एप्स और इंटरनेट से जुड़े दूसरे माध्यमों पर आ गया और इसकी वजह से लोगों ने अपने मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप और टीवी पर काफी समय बिताया.

स्क्रीन टाइम ने आंखों पर चश्मा चढ़ा दिया 

इससे हुआ ये कि इन गैजेट को ज्यादा देखने की वजह से लोगों की आंखों की दृष्टि कमजोर हो गईं. जैसे पूरी दुनिया में इसकी वजह से सबसे ज्यादा आंखों की दृष्टि भारत में खराब हुईं. भारत में ज्यादा मोबाइल फोन देखने से लगभग 23 प्रतिशत लोगों ने ये माना कि इससे उनकी आंखों के देखने की क्षमता कम हुई है. दक्षिण अफ्रीका की लगभग 22 प्रतिशत आबादी ने इससे नजरें कमजोर होने की बात मानी और चीन में 14 प्रतिशत लोगों ने कहा कि स्क्रीन टाइम ने उनकी आंखों पर चश्मा चढ़ा दिया है.

हालांकि अगर संख्या के हिसाब से देखें तो भारत और चीन के बीच ज्यादातर अंतर नहीं है.

भारत में मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से 27 करोड़ 50 लाख लोगों की आंखों की रोशनी कम हो गई और चीन में इसकी वजह से 27 करोड़ 40 लाख की आंखों की रोशनी कम हो गई.

आज से दो दशक पहले हमारे देश में लोगों की नजरें कमजोर होने के लिए टीवी को सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता था और तब कई परिवारों ने टीवी देखने के घंटे तय कर दिए थे. यही नहीं बोर्ड की परीक्षाओं के दौरान कई परिवार टीवी का केबल कनेक्शन कटवा देते थे और इसकी प्रमुख वजह तो यही होती थी कि बच्चों का पढ़ाई से ध्यान न भटके, लेकिन एक कारण ये भी होता था कि टीवी से बच्चों की नजर पर असर पड़े और इससे उनकी परीक्षा खराब न हो.

आंखों के कमजोर होने की वजह

हालांकि आप सोच रहे होंगे कि जब टीवी भी नहीं था और स्मार्टफोन भी नहीं आए थे, तब लोगों की देखने की क्षमता कमजोर क्यों होती थी क्योंकि, तब तो ये सब माध्यम नहीं थे, तो हम आपको बता दें नजरों के कमजोर होने के कई कारण होते हैं.

-जैसे कम पानी पीना

-नींद पूरी न होना

-आंखों को बार-बार रगड़ना

-धूम्रपान करना 

-और सूर्य की किरणों का लंबे समय तक आंखों पर पड़ना

ऐसे रखें ख्याल

ये तमाम कारण आज भी नजरें कमजोर होने के लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन इस लिस्ट में पहले टीवी ने एंट्री करके अपनी सबसे ऊपर जगह बनाई और अब मोबाइल फोन लोगों की नजरों का दुश्मन बनता जा रहा है. इसलिए आज हम आपसे यही कहना चाहते हैं कि अगर कोरोना की वजह से आप घर में हैं, तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप जरूरत से ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करें. हम आपको कुछ ऐसी बातें बताते हैं, जिससे आप अपनी नजरों को मोबाइल फोन की बुरी नजर से बचा सकते हैं.

-पहली बात तो आपको ये समझनी है कि आप बिना गैजेट के भी समय बिता सकते हैं.

-आप घर में व्यायाम और योग कर सकते हैं

-अगर आपको पेंटिंग करने का शौक है या आप अच्छा लिखते हैं या फिर आपकी जिस चीज में भी रूचि है, आप उस काम को करके अपना समय बिता सकते हैं.

-किताबें पढ़ सकते हैं

-घर के काम में अपना हाथ बंटाकर अपना समय बिता सकते हैं.

जब कोरोना वायरस नहीं आया था तब ज्यादातर लोगों की यही शिकायत होती थी कि वो अपने काम की वजह से अपने परिवार को समय नहीं दे पाते, लेकिन कोरोना ने इसका मौका दिया और लोग लंबे समय तक लॉकडाउन की वजह से घरों में रहे.

हालांकि इस दौरान परिवार के साथ रहते हुए लोगों ने अपने मोबाइल फोन को ही ज्यादा समय दिया, लेकिन आप अब भी चाहें तो परिवार के साथ अच्छा समय बीता कर मोबाइल फोन के इस्तेमाल से बच सकते हैं.

आप मोबाइल फोन और दूसरे गैजेट्स का इस्तेमाल करने के घंटे भी तय कर सकते हैं ताकि इसका आपकी आंखों पर असर न पड़े. ये समय कितना होना चाहिए, वो भी हम आपको बता देते हैं

-WHO के मुताबिक, 2 साल तक के बच्चों को मोबाइल फोन, टीवी, कम्प्यूटर और लैपटॉप से दूर रखना चाहिए.

-3 से 5 साल के बच्चे प्रति दिन एक घंटे इन गैजेट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं.

-6 से 10 साल के बच्चों का स्क्रीन प्रति दिन एक से डेढ़ घंटे होना चाहिए.

-11 से 13 साल के बच्चों का स्क्रीन टाइम प्रति दिन 2 घंटे से कम होना चाहिए.

-परिवार के किसी भी सदस्य को 2 घंटे से ज़्यादा इन गैजेट्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ये सलाह WHO देता है इसलिए आप आज से और अभी से इसका पालन शुरू कर सकते हैं क्योंकि, मोबाइल फोन और दूसरे गैजेट्स सिर्फ आपकी नजरों को कमजोर नहीं करते, बल्कि इससे कई बीमारियां भी हो सकती हैं.

एक रिसर्च के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति मोबाइल फोन को अपनी आंखों से 10 से 12 इंच की दूरी पर रख कर देखता है तो उसे Myopia नाम की बीमारी होने का खतरा 35 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. इस बीमारी में पास की नजर कमजोर हो जाती है और मोटा चश्मा आंखों पर चढ़ाना पड़ता है. इसके अलावा मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल कई बार तनाव की तरफ भी आपको ले जाता है. इसीलिए हम कह रहे हैं कि आपको अपनी नजरें मोबाइल फोन और दूसरे गैजेट्स की बुरी नजर से बचाने की जरूरत है.

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