DNA ANALYSIS: Vaccine लगवाने के बाद भी क्यों हो रहा Corona संक्रमण? जानें वजह
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DNA ANALYSIS: Vaccine लगवाने के बाद भी क्यों हो रहा Corona संक्रमण? जानें वजह

Coronavirus: भारत में कोरोना के मामले नए वेरिएंट के कारण बढ़ रहे हैं.  ब्रिटेन और ब्राजील म्यूटेंट का कोरोना वायरस मिलकर डबल म्यूटेंट हो गया है और ये पहले से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है.

DNA ANALYSIS: Vaccine लगवाने के बाद भी क्यों हो रहा Corona संक्रमण? जानें वजह

नई दिल्ली: अब हम आपको कोरोना के नए वेरिएंट से सावधान करते हैं, जो काफी खतरनाक है क्योंकि, ये आंखों में धूल झोंकने में माहिर है. इस नए वेरिएंट से जब कोई व्यक्ति संक्रमित होता है तो पहले उसे खांसी होती है, फिर तेज बुख़ार आता है और सांस लेने में भी परेशानी होने लगती है.

इन लक्षणों से किसी को भी ये लग सकता है कि उसे कोरोना हुआ है, लेकिन जब कोई व्यक्ति कोरोना की जांच कराता है तो उसकी रिपोर्ट निगेटिव आती है. एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन बार टेस्ट कराने पर भी नतीजा वही रहता है- निगेटिव.

फेफड़ों पर स्ट्राइक करता कोरोना का नया वेरिएंट

जब मरीज ये मान लेते हैं कि उन्हें कोरोना नहीं हुआ है और ये सामान्य बुखार और सर्दी है तो ये वायरस उनके फेफड़ों पर स्ट्राइक कर देता है और मरीजों को अस्पताल पहुंचा देता है. कई मामलों में तो मरीजों की मौत भी हुई है. इस नए वेरिएंट की सबसे खतरनाक बात ये है कि ये जांच में पकड़ा ही नहीं जाता. यानी आपको कोरोना होगा लेकिन जब आप जांच कराएंगे तो आपकी रिपोर्ट निगेटिव आएगी.

सरल शब्दों में कहें तो कोरोना वायरस के इस नए अवतार ने जांच के तरीकों को भी धोखा देना सीख लिया है और ये एक शातिर चोर की तरह काम करने लगा है, जैसा एक चोर दबे पांव किसी घर में घुस कर वहां सब लूट कर चला जाता है. ठीक उसी तरह ये वायरस आपके फेफड़ों को नुक़सान पहुंचाता है और आपको इसका पता भी नहीं चलता.

RT-PCR टेस्ट को मात दे रहा वायरस

ये नया वेरिएंट RT-PCR टेस्ट को भी आसानी से धोखा दे देता है और इसकी वजह है कोरोना की जांच का पुराना तरीका. अभी कोरोना का पता लगाने के लिए नाक और मुंह से नमूने लिए जाते हैं, जबकि ये नया वेरिएंट फेफड़ों में छिप कर बैठा होता है. ये मुंह और नाक में अपना ठिकाना नहीं बनाता, इसलिए ये पकड़ा भी नहीं जाता और ये वेरिएंट सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है.

फिनलैंड ने फरवरी में कहा था कि उसने कई मरीजों में ऐसे वायरस की पहचान की है, जो आसानी से डिटेक्ट नहीं हो रहा. मार्च में फ्रांस ने भी इसकी पुष्टि की थी और बताया था कि ये वायरस नाक और मुंह से लिए गए नूमनों से पकड़ में नहीं आता. इसके अलावा ब्रिटेन में भी ये वेरिएंट मिल चुका है, जिसके बाद से वहां अब मरीजों के ब्लड सैंपल्स लेकर उनकी जांच की जा रही है.

पॉजिटिव मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव

अमेरिका के Food and Drug Administration ने 8 जनवरी को एक लेटर लिख कर पूरी दुनिया को इस वेरिएंट के बारे में चेतावनी दे दी थी, लेकिन इसके विस्तार को रोका नहीं जा सका. वायरस का ये नया अवतार कई देशों का चक्कर लगाते हुए भारत पहुंच गया और अब ये बहुत से लोगों को कंफ्यूज कर रहा है. अकेले दिल्ली में 15 से 20 प्रतिशत मामलों में पॉजिटिव मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई है.

आपको याद होगा वर्ष 1978 में अभिनेता अमिताभ बच्चन की एक फिल्म आई थी, जिसका नाम था डॉन. इस फिल्म का एक डायलॉग था-डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है और कोरोना का ये वेरिएंट भी कुछ ऐसा ही हो गया है, जिसके पीछे कई देशों की संस्थाएं लगी हुई हैं, लेकिन ये अपनी कॉपीज बना रहा है. ये वायरस कुछ लोगों के लिए जानलेवा भी बन रहा है, लेकिन आसानी से पकड़ में नहीं आ रहा.

अब आपको कुछ और सवालों के जवाब देते हैं-

पहला सवाल क्या वैक्सीन कोरोना वायरस से बचा सकती है?

-तो अमेरिका की University of Kansas Health System का कहना है कि इस वायरस से बचने के लिए वैक्सीन ही सबसे कारगर हथियार है.

क्या भारत में कोरोना के मामले नए वेरिएंट के कारण बढ़ रहे हैं?

-तो इसका जवाब है हां, भारत में ब्रिटेन और ब्राजील म्यूटेंट का कोरोना वायरस मिलकर डबल म्यूटेंट हो गया है और ये पहले से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है.

क्या हमारी वैक्सीन नए वेरिएंट पर भी असरदार है?

-तो जवाब है ये नए वेरिएंट पर भी असरदार है.

कई लोग पूछ रहे हैं कि वैक्सीन लगवाने वाले भी संक्रमित क्यों हो रहे हैं?

-तो इसका जवाब ये है कि वैक्सीन संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए नहीं है. ये हमें संक्रमण से बचाती है और कोरोना वायरस से लड़ने में हमारी मदद करती है.

वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए या नहीं लगवानी चाहिए?

-इसका जवाब है वैक्सीन लगवानी चाहिए. इससे आपको कोरोना वायरस के संक्रमण के समय ज्यादा परेशानी नहीं होती है, यानी खतरनाक लक्षण नहीं दिखते हैं.

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