कोरोना को लेकर लोगों के बीच कई तरह की गलतफहमियां बन गई हैं. कुछ लोग कोरोना (Coronavirus) की निगेटिव रिपोर्ट को सुरक्षा की गारंटी मान लेते हैं लेकिन वैज्ञानिक इससे बिल्कुल सहमत नहीं है.
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नई दिल्ली: आज हम कोरोना वायरस (Coronavirus) पर एक ऐसा विश्लेषण करेंगे जिससे आपको ये समझ में आ जाएगा कि कोरोना को लेकर जो निगेटिव है, वो असल में पॉजिटिव है और जो पॉजिटिव है, वो असल में निगेटिव है. आपको याद होगा कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से दिए गए भाषण में कहा था कि देश के वैज्ञानिक और डॉक्टर तपस्या कर रहे हैं और कोरोना की 3 वैक्सीन्स (Vaccines) का ट्रायल देश में चल रहा है. कल देश में बन रही वैक्सीन पर एक बहुत बड़ी खुशखबरी आई है. खुशखबरी ये है कि कोरोना वायरस के खिलाफ मेड इन इंडिया वैक्सीन का इंतजार बहुत जल्द खत्म होने वाला है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने Zee News को इस बारे में कुछ अहम जानकारियां दी हैं जिनके मुताबिक,
- वर्ष 2021 के शुरुआती महीनों में स्वदेशी Corona Vaccine तैयार हो जाएगी.
- यानी 70 दिनों बाद कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन भारत के बाजार में आ सकती है.
- जुलाई और अगस्त के महीने तक 25 से 30 करोड़ लोगों के लिए वैक्सीन की डोज की व्यवस्था भी हो जाएगी. यानी करीब 30 करोड़ लोगों को ये वैक्सीन लग भी जाएगी.
- यानी देश की एक चौथाई से अधिक आबादी को 220 दिनों बाद स्वदेशी वैक्सीन की डोज मिलना शुरू हो जाएगी.
- दो स्वदेशी वैक्सीन का ट्रायल अपने तीसरे और आखिरी चरण में है.
इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने इस बारे में और भी कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं. उन्होंने ये सारी बातें ऐसे वक्त में कही हैं, जब देश में मेड इन इंडिया वैक्सीन को लेकर कुछ लोग एक निगेटिव यानी नकारात्मक माहौल भी बना रहे हैं. लेकिन देश के स्वास्थ्य मंत्री की ये बातें सुनकर आपको भी राहत मिली होगी और अपने देश के बारे में आपको पॉजिटिव महसूस होगा.
असली राहत स्वदेशी वैक्सीन से ही मिलेगी
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की बातों से साफ है कि भारत स्वदेशी Corona Vaccine बनाने की दिशा में दुनिया के अन्य देशों से पीछे नहीं है. Sputnik, Pfizer और Moderna ने वैक्सीन तैयार कर लेने के दावे जरूर किए हैं लेकिन देशवासियों को असली राहत स्वदेशी वैक्सीन से ही मिलेगी. इन विदेशी वैक्सीन के रखरखाव और खर्च की जानकारी भी आपको देंगे. लेकिन एक जरूरी बात आप सभी को समझ लेनी चाहिए कि जब तक वैक्सीन का डोज आप तक नहीं पहुंच जाता. तब तक कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय सोशल वैक्सीन है. सोशल वैक्सीन का मतलब है कि आप मास्क लगाइए और दो गज की दूरी के नियम का पालन हर कीमत पर कीजिए.
मास्क आपके लिए संजीवनी बूटी
मास्क आपके लिए संजीवनी बूटी के समान है, फिर भी बाजारों में लोग बिना मास्क दिखते हैं. दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक जगहों पर मास्क न लगाने पर दो हजार रुपए जुर्माना लगाने का फैसला किया है, ये जुर्माना दिल्ली की ट्रैफिक पुलिस द्वारा वसूला जाएगा. अभी तक मास्क न लगाने पर जुर्माना 500 रुपए था. हम उम्मीद करते है कि आप में से कोई भी जुर्माना नहीं भरना चाहेगा. इसलिए जब भी घर से बाहर निकलें मास्क जरूर लगाएं.
आप मास्क से अपने मुंह और नाक को सही तरीके से ढंके. मास्क के साथ मजाक बिल्कुल न करें क्योंकि, ऐसा करके आप सरकार के जुर्माने से तो बच जाएंगे लेकिन कोरोना के संक्रमण से नहीं बच पाएंगे.
मास्क के साथ मजाक करने का ही नतीजा है कि इस समय देश में कोरोना से हर घंटे 24 लोगों की मौत हो रही है. हर दो सेकंड में एक आदमी कोरोना वायरस से संक्रमित हो रहा है, इसका मतलब हर एक मिनट में कोरोना वायरस 30 लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है.
दो बड़ी कंपनियों की कोरोना वैक्सीन की कीमत और रखरखाव
अब आपको दो बड़ी कंपनियों Moderna और Pfizer की कोरोना वैक्सीन की कीमत और उनके रखरखाव के बारे में जानकारी देते हैं.
Moderna Vaccine के एक डोज की कीमत 32 डॉलर से लेकर 37 डॉलर होगी, यानी भारतीय रुपए में इसकी कीमत 2350 रुपए से लेकर 2700 रुपए तक होगी.
Pfizer की कोरोना वैक्सीन के एक डोज की कीमत 20 डॉलर यानी करीब 1500 रुपए होगी. मतलब दोनों कंपनियों की वैक्सीन की कीमत ज्यादातर भारतीयों की जेब बर्दाश्त नहीं कर पाएगी.
Pfizer की वैक्सीन के रखरखाव के लिए माइनस 70 से माइनस 90 डिग्री तापमान की जरूरत होगी. देश में इस वैक्सीन को लाया जाता है तो उसके लिए अलग से इंतजाम करने पड़ेंगे और इस इंतजाम हजारों करोड़ का खर्च अलग से आएगा. मीडिया में विदेशी वैक्सीन की सफलता की खबरें देखकर आप खुश तो हो सकते हैं लेकिन भविष्य में आपके काम स्वदेशी वैक्सीन ही आने वाली है.
यूरोप के कई देशों में दोबारा लॉकडाउन
दुनिया भर कोरोना से लड़ने के नियम कायदे विफल होते नजर आ रहे हैं. यूरोप में कोरोना का संक्रमण एक बार फिर तेजी से बढ़ रहा है. यही वजह है कि यूरोप के कई देशों को दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ा है.
फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी और पुर्तगाल में लॉकडाउन का ऐलान हो चुका है. इन देशों में कोरोना की पहली वेव खत्म होने के बाद काफी छूट दे दी गई थी, और उसी का नतीजा है कि यहां संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ा है और एक बार फिर लॉकडाउन लगाना पड़ा है.
साउथ ऑस्ट्रेलिया में तो दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन लगा दिया गया है. 6 दिन के इस लॉकडाउन के दौरान घर के सिर्फ एक व्यक्ति को बाहर निकलने की इजाजत होगी. घर के बाहर आप एक्सरसाइज तक नहीं कर सकते.
18 लाख की आबादी वाले ऑस्ट्रेलिया के इस प्रांत में इतनी सख्ती तब बरती गई है जब वहां एक क्लस्टर में 23 लोग एक साथ कोरोना संक्रमित हो गए. इन 23 लोगों के संपर्क में 3200 लोगों को क्वारंटीन कर दिया गया. इससे आप समझ सकते हैं कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कितनी अधिक सख्ती दिखा रही है.
निगेटिव रिपोर्ट सुरक्षा की गारंटी?
कोरोना को लेकर लोगों के बीच कई तरह की गलतफहमियां बन गई हैं. कुछ लोग कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट को सुरक्षा की गारंटी मान लेते हैं लेकिन वैज्ञानिक इससे बिल्कुल सहमत नहीं है. उनका कहना है कि कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट को आधार बनाकर किसी को भी असावधानी नहीं बरतनी चाहिए. जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के रिसचर्स का भी यही दावा है कि किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद कोरोना के लक्षण विकसित होने में 2 से 4 दिन का समय लगता है. यदि आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के 24 घंटे के अंदर टेस्ट कराते हैं तो इस बात की संभावना 100 प्रतिशत रहती है कि आपकी टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव ही आएगी.
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