Corona Vaccination: अब 1 मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोग कोरोना की वैक्सीन लगवा सकेंगे. अभी 45 वर्ष या उससे ज़्यादा उम्र के लोगों को ही वैक्सीन लगाई जा रही है.
Trending Photos
नई दिल्ली: आज हम सबसे पहले आपको तीन बड़ी ख़बरों के बारे में बताना चाहते हैं. पहली ख़बर ये है कि केन्द्र सरकार ने देश में बढ़ते कोरोना संकट को देखते हुए 1 मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाने की अनुमति दे दी है.
दूसरी ख़बर ये है कि दिल्ली में 19 अप्रैल रात 10 बजे से 26 अप्रैल की सुबह 5 बजे तक के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया है.
और तीसरी ख़बर ये है कि उत्तर प्रदेश के पांच शहरों में लॉकडाउन लगाने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले को योगी सरकार ने मानने से इनकार कर दिया है और हाई कोर्ट और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बन गई है.
सबसे पहले आपको पहली ख़बर के बारे में बताते हैं, जिसके तहत सरकार ने कहा है कि अब 1 मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोग कोरोना की वैक्सीन लगवा सकेंगे. अभी 45 वर्ष या उससे ज़्यादा उम्र के लोगों को ही वैक्सीन लगाई जा रही है. सरकार के इस फ़ैसले के बाद देश में 18 से 45 साल के 12 करोड़ लोग वैक्सीन लगवाने के लिए योग्य हो गए हैं.
इस फैसले की बड़ी बात ये है कि केन्द्र सरकार का टीकाकरण अभियान जैसे अभी चल रहा हैए वैसे ही चलता रहेगा. इसके तहत 45 वर्ष से ज़्यादा उम्र के लोगों को सरकारी अस्पताल में मुफ़्त में ही वैक्सीन लगेगी, लेकिन 18 साल से ऊपर के लोगों को मुफ़्त में वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी.
आज लिए गए फ़ैसले के तहत इस श्रेणी के लोगों को वैक्सीन राज्य सरकार लगाएंगी या प्राइवेट अस्पतालों में इन्हें टीका लगाया जाएगा. इसके लिए वैक्सीन बनाने वाली कम्पनियों और राज्य सरकारों के बीच करार होगा. साथ ही वैक्सीन की एक डोज की क़ीमत क्या होगी, ये पहले से ही बताना होगा.
इस फैसले में ये भी कहा गया है कि वैक्सीन बनाने वाली कम्पनियों को 50 प्रतिशत डोज़ केन्द्र सरकार को ही देनी होंगी और बाक़ी 50 प्रतिशत डोज़ राज्य सरकारों और प्राइवेट अस्पतालों को दी जाएंगी.
हालांकि आप सोच रहे होंगे कि केन्द्र सरकार ने ये फ़ैसला क्यों लिया, तो इसकी तीन बड़ी वजह हैं.
पहली वजह है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर में युवा ज़्यादा संक्रमित हो रहे हैं और 45 साल से कम उम्र से लोगों की मौत भी अब ज़्यादा हो रही है. इसलिए सरकार ने ये फ़ैसला किया.
दूसरी वजह है कि इससे ये ग़लत संदेश लोगों में जा रहा था कि सरकार के पास पर्याप्त वैक्सीन नहीं है, जिसकी वजह से वो वैक्सीन को लेकर अपनी शर्तें नहीं हटा रही, लेकिन अब सरकार ने 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए ये विंडो खोल दी है.
और तीसरी वजह है भारत में बढ़ता संक्रमण. कई अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि युवाओं के ज़रिए वायरस ज़्यादा फैल रहा है और इस समय सरकार के सामने बड़ी चुनौती यही है कि वो वायरस को फैलने से रोके और इसीलिए सरकार ने ये फ़ैसला लिया है.
भारत से पहले अभी अमेरिका में सभी लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है. इसके अलावा भूटान में भी 18 साल से ऊपर के लोगों को वैक्सीन लग रही है. वहीं इज़रायल में 35 वर्ष से ज़्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है. हालांकि वैक्सीनेशन को लेकर पिछले एक हफ़्ते में भारत सरकार का ये दूसरा बड़ा फ़ैसला है.
इससे पहले सरकार ने एक फ़ैसले के तहत विदेशी वैक्सीन्स को भारत में मंज़ूरी देने का रास्ता साफ कर दिया है. सरकार ने कहा है कि जिन वैक्सीन्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन या बड़े बड़े देशो द्वारा मान्यता मिली हुई है, उनके लिए भारत में मंज़ूरी लेने की ज़रूरत नहीं है.
अब आपको दूसरे बड़े फ़ैसले के बारे में बताते हैं.
कल 19 अप्रैल से दिल्ली में रात 10 बजे से 26 अप्रैल की सुबह 5 बजे तक के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया. इस लॉकडाउन में ज़रूरी सेवाएं जारी रहेंगी और शादियों पर भी सरकार ने रोक नहीं लगाई है. नए नियमों के तहत शादियों में 50 लोग ही इकट्ठा हो सकेंगे.
इस दौरान मॉल, स्पा, जिम और ऑडिटोरियम पूरी तरह से बंद रहेंगे. साथ ही हर ज़ोन में एक दिन में केवल एक साप्ताहिक बाजार को अनुमति दी जाएगी. बाजारों में ज्यादा भीड़भाड़ न हो, इसके लिए भी खास इंतजाम किए जाएंगे. रेस्टोरेंट में अब बैठकर खाने की इजाजत नहीं होगी, केवल होम डिलिवरी की अनुमति होगी और प्राइवेट दफ्तरों के लिए वर्क फ्रॉम होम के निर्देश सरकार ने दिए हैं.
दिल्ली में इस पॉज़िटिविटी रेट 29.74 प्रतिशत है यानी कोरोना के हर तीन टेस्ट में से एक टेस्ट का नतीजा पॉज़िटिव है, जिसकी वजह से सरकार ने वीकेंड लॉकडाउन को बढ़ा कर 26 अप्रैल तक कर दिया है.
तीसरा बड़ा फ़ैसला ये है कि उत्तर प्रदेश के पांच शहरों में लॉकडाउन लगाने के फ़ैसले को लेकर हाई कोर्ट और योगी सरकार आमने सामने आ गई है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, लखनऊ और गोरखपुर में 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया, लेकिन कोर्ट के इस आदेश को उत्तर प्रदेश सरकार ने मानने से ही इनकार कर दिया.
सरकार की दलील है कि वो कोरोना पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठा रही है, लेकिन अगर उसने लॉकडाउन लगाया तो इससे ग़रीबों की आजीविका पर गहरा असल पड़ेगा. अब यहां सवाल ये है कि अगर सरकार ने हाई कोर्ट का फ़ैसला नहीं माना तो क्या होगा.
तो अगर सरकार ने ऐसा नहीं किया तो इसे हाई कोर्ट के फ़ैसले की अवमानना माना जा सकता है और अदालत चाहे तो इससे संबंधित अधिकारियों को नोटिस कर सकती है. हालांकि राज्य सरकार चाहे तो इस फैसले के खिलाफ रिव्यू फाइल कर सकती है या फिर सुप्रीम कोर्ट का भी रुख़ कर सकती है. एक लाइन में कहें तो उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन पर सरकार और कोर्ट के बीच टकराव की स्थिति बन गई है.