जानिए कौन है भारत के खिलाफ जहर उगलने वाला Peter Friedrich, Zee News से कही ये बात
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जानिए कौन है भारत के खिलाफ जहर उगलने वाला Peter Friedrich, Zee News से कही ये बात

पीटर फ्रेडरिक का ट्विटर अकाउंट केंद्र सरकार, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारत विरोधी विचारों से भरा पड़ा है. यही नहीं एक इंटरव्‍यू में फ्रेडरिक ने ये माना था कि जून 2020 में जब अमेरिका में महात्मा गांधी की मूर्ति पर हमला हुआ था, तब वो इस हमले में शामिल था. 

जानिए कौन है भारत के खिलाफ जहर उगलने वाला Peter Friedrich, Zee News से कही ये बात

नई दिल्‍ली: अब हम आपको टूल किट गैंग से जुड़े एक और सदस्य के बारे में बताते हैं.  इसका नाम है, पीटर फ्रेडरिक. दिल्ली पुलिस ने टूल किट से जुड़ी अपनी जांच में पहली बार इसका जिक्र किया है और बताया है कि पीटर फ्रेडरिक भी इसका हिस्सा था. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि Zee News ने इसके बारे में भी 11 दिसम्बर 2019 को ही देश को बता दिया था.  यानी दो साल पहले ही हमने आगाह कर दिया था. 

पीटर फ्रेडरिक ने Zee News को दिया ये जवाब

आज हमारी टीम ने पीटर फ्रेडरिक से सम्पर्क करने की कोशिश की और उसकी तरफ से हमें एक जवाब भी आया है. इसमें उसने कहा है कि टूल किट बनाने वाले लोगों में वो शामिल नहीं था लेकिन उसका कहना है कि अगर ये टूल किट उसे बनाने का मौका मिलता तो ये उसके लिए बहुत बड़ा सौभाग्य होता. 

पीटर फ्रेडरिक खुद को साउथ एशिया रीजन का एक्‍सपर्ट बताता है. साउथ एशिया में भारत और पाकिस्तान को मिला कर कुल 8 देश हैं और कहा जा रहा है कि पीटर फ्रेडरिक न्‍यूज़ चैनलों  की डिबेट में भारत के खिलाफ पाकिस्तान का पक्ष रखता है और उसके एजेंडे को मजबूत करता है. 

पीटर फ्रेडरिक का ट्विटर अकाउंट केंद्र सरकार, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारत विरोधी विचारों से भरा पड़ा है. यही नहीं एक इंटरव्‍यू में पीटर फ्रेडरिक ने ये माना था कि जून 2020 में जब अमेरिका में महात्मा गांधी की मूर्ति पर हमला हुआ था, तब वो इस हमले में शामिल था. 

दिल्ली पुलिस के मुताबिक पीटर फ्रेडरिक पर उसकी नजरें 2006 से हैं, जब उसे खालिस्तानी आतंकवादी भजन सिंह भिंडर के साथ देखा गया था. पीटर फ्रेडरिक ने Zee News को लिखे अपने जवाब में खुद ये माना है कि वो भिंडर को जानता है और महत्वपूर्ण बात ये है कि वो भिंडर के साथ दो किताबें भी लिख चुका है, जिसमें भारत के खिलाफ वो बातें लिखी गई हैं, जो अक्सर पाकिस्तान कहता है. 

 फ्रेडरिक और भजन सिंह भिंडर का कनेक्‍शन 

यही नहीं Sikh Information Center नाम की एक संस्था से भी पीटर फ्रेडरिक और भजन सिंह भिंडर जुड़े हुए हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि Zee News ने 11 दिसम्बर 2019 को ही इसके बारे में देश को बता दिया था. तब पीटर फ्रेडरिक ने भारत की लोकतांत्रिक सरकार के लिए डिजास्‍टर यानी आपदा जैसे शब्द का इस्तेमाल किया था और पाकिस्तान जैसे देशों का पक्ष लिया था.

भारत को बदनाम करने के लिए टूल किट इन लोगों ने तैयार की 

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, जिन तीन लोगों ने मिल कर भारत को बदनाम करने के लिए टूल किट तैयार की, उनमें दिशा रवि के अलावा निकिता जैकब और महाराष्ट्र के बीड का रहने वाला शांतनु भी है और यहां समझने वाली बात ये है कि शांतनु 20 जनवरी से 27 जनवरी तक दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में मौजूद था. यानी पहले टूल किट तैयार की गई और फिर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस से पहले शांतनु किसान आंदोलन में शामिल हो गया.

इससे ये पता चलता है कि शांतनु हिंसा वाले दिन दिल्ली के आसपास ही था और अब पुलिस उसकी तलाश में जुटी है. शांतनु के अलावा पुलिस को निकिता जैकब की भी तलाश है और दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है.

आंदोलन में कम हो रही किसानों की संख्‍या  

इस षड्यंत्र के बीच आज आपके लिए एक जरूरी अपडेट भी है और वो ये कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन में किसानों की संख्या तेजी से कम हो रही है और गाजीपुर बॉर्डर पर लगा किसानों का टेंट अब खाली नजर आने लगा है. 

26 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद किसानों की संख्‍या 12 हजार थी, जो अब घट कर दो हजार रह गई है.

इसी तरह सिंघु बॉर्डर पर 26 जनवरी तक लगभग 50 हजार किसान मौजूद थे. लेकिन ये संख्या भी अब सिर्फ 12 हजार रह गई है और टिकरी बॉर्डर पर आज से 20 दिन पहले तक 90 हजार किसान मौजूद थे, लेकिन अब टिकरी बॉर्डर पर भी इन किसानों की संख्या 90 हजार से 15 हजार रह गई है. 

आप जब 26 जनवरी को दिल्ली में भड़की हिंसा और इसके लिए तैयार की गई टूल किट की कड़ियों को आपस में जोड़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि भारत के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर को जो नफरत के बीज बोए गए थे, उसने आज एक विशाल पेड़ का रूप ले लिया है. इस वृक्ष से खालिस्तान के विचार को ऑक्‍सीजन मिल रहा है और इसकी जड़ें कनाडा में हैं. सबसे अहम कि इस आंदोलन में झूठ का AQI लगातार बढ़ रहा है जो भारत के संविधान और लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है. 

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