DNA ANALYSIS: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच क्यों छिड़ा है विवाद, सरल भाषा में समझिए
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DNA ANALYSIS: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच क्यों छिड़ा है विवाद, सरल भाषा में समझिए

इजरायल का ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाले आयरन डोम एंटी मिसाइल सिस्टम ने हवा में ही फिलिस्तीन के रॉकेट को नष्ट कर दिया. इसके बाद इजरायल ने गाजा पट्टी से एयर स्ट्राइक कर 13 मंजिला इमारत को ध्वस्त कर दिया.

DNA ANALYSIS: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच क्यों छिड़ा है विवाद, सरल भाषा में समझिए

नई दिल्ली: जर्मन दार्शनिक कार्ल मार्क्स (Karl Marx) ने एक बार कहा था कि 'धर्म लोगों के लिए अफीम की तरह है और अफीम के नशे की लत किसी को भी तबाह कर देती है.' अभी दुनिया में कुछ ऐसा ही हो रहा है. इजरायल (Israel) और फिलिस्तीन (Palestine) के बीच इस समय युद्ध जैसी स्थिति है और ये युद्ध धर्म के उसी सिद्धांत पर आधारित है, जो इंसानों को नशे के जैसा लगता है. अफीम के नशे के जैसा.

धर्म को लेकर छिड़ा महायुद्ध

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच ये संघर्ष 7 मई को पूर्वी यरुशलेम (Jerusalem) में शुरू हुआ था, जिसमें अब तक 35 लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. ये खबर सिर्फ यहूदियों और फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष की नहीं है. ये खबर धर्म को लेकर महायुद्ध की है. ये खबर युद्ध से घिरे लोगों की है और ये खबर उन बच्चों की भी है, जो इस संघर्ष में अपना बचपन हार गए और कुछ की इसमें जान भी चली गई.

ये विषय सदियों पुराना और अधिकतर लोगों के लिए ये काफी जटिल भी है. इसलिए आज हम सरल भाषा में आपको इससे जुड़ी सभी बातें बताएंगे और हमें पूरी उम्मीद है कि इस खबर को पढ़ने के बाद आप इजरायल और फिलिस्तीन के बीच के इस विवाद के एक्सपर्ट बन जाएंगे. 

वहां के मौजूदा हालात क्या हैं?

अभी की स्थिति ये है कि इजरायल और हमास के लड़ाकों के बीच तनाव चरम पर है. हमास फिलिस्तीनी अरब के लोगों का एक आतंकवादी संगठन है, और इस संगठन का मुख्य उद्देश्य है फिलिस्तीन राष्ट्र को फिर से अस्तित्व में लाना और इजरायल द्वारा छीनी गई जमीन को हासिल करना. यानी अभी दोनों पक्षों के बीच जो लड़ाई चल रही है, वो नई नहीं है. विवाद पुराना है, बस संघर्ष नया है. हालांकि इस बार स्थितियां बेकाबू हो गई हैं.

3 शहरों पर दागे गए 100 से ज्यादा रॉकेट

वहां की गाजा पट्टी के कई इलाकों पर आतंकवादी संगठन हमास (Hamas) का नियंत्रण है. हमास के आतंकवादियों ने एक दिन पहले इजरायल के तेल अवीव (Tel Aviv), एश्केलोन (Ashkelon) और होलोन (Holon) शहर पर एक साथ 100 से भी ज्यादा रॉकेट दागे. ये रॉकेट इतने खतरनाक हैं कि 20 मंजिला इमारत को भी पलक झपकते ही तबाह कर सकते हैं. 

हमले के वक्त पूरे शहर में गूंज उठा सायरन

हमास के इस रॉकेट हमले के बाद इजरायल के तेल अवीव शहर में भगदड़ मच गई. लोग अपने घरों से बाहर निकल आए और कुछ लोगों को वहां एक अंडरपास की तरफ भागते हुए देखा गया. इस रॉकेट हमले के दौरान पूरे शहर में चारों तरफ सायरन की आवाज गूंज रही थी, और ये सायरन इसलिए बज रहा था ताकि लोग अपने घरों से बाहर निकल कर अपनी जान बचा सकें. सोचिए वहां मौत हर पल लोगों के सिर पर रॉकेट बनकर मंडरा रही है और ये मंजर काफी डरा देने वाला है.

सेना ने हवा में नष्ट कर दिए अधिकतर रॉकेट

अगर ये रॉकेट इजरायल के अलग-अलग शहरों पर गिरते तो इससे वहां भारी तबाही होती और सैकड़ों लोगों की जान चली जाती. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इजरायल ने इन रॉकेट को अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले हवा में ही नष्ट कर दिया. एक दो रॉकेट छोड़कर बाकी सभी को हवा में इजरायल की सेना ने मार गिराया, और ये मुमकिन हुआ आयरन डोम एंटी मिसाइल सिस्टम (Iron Dome Anti Missile System) से. ये एक ऐसा सिस्टम है, जिसे एक ट्रक के सहारे कहीं भी पहुंचाया जा सकता है. महत्वपूर्ण बात ये है कि इसका रडार सिस्टम 4 से 70 किलोमीटर तक की दूरी के टॉरगेट को आसानी से पहचान लेता है, और इसके चार से पांच लॉन्चर से 20 मिसाइल एक साथ दागी जा सकती हैं. 

जब बस के ऊपर जाकर गिरा एक रॉकेट फिर..

कल जब इजरायल के तेल अवीव और दूसरे शहरों पर हमास के रॉकेट गिरने वाले थे, तब इसी एंटी मिसाइल सिस्टम से रॉकेट को हवा में ही नष्ट कर दिया गया. सोचिए इजरायल ने इतने बड़े हमले को इतनी आसानी से टाल दिया. हालांकि जिन जगहों पर हमास के रॉकेट गिरे, वहां भारी तबाही हुई. हमास के इस हमले में इजरायल के दो शहरों के बीच मौजूद एक तेल पाइपलाइन भी निशाना बनी. इसके अलावा एक रॉकेट वहां एक बस पर जाकर गिरा, जिसमें एक बच्ची और दो महिलाएं घायल हो गईं.

रॉकेट हमले में केरल की नर्स ने गंवाई अपनी जान

भारत में इजरायल के राजदूत डॉक्टर रॉन मल्का (Ron Malka) ने ट्विटर पर जानकारी दी है कि हमास के हमले में सौम्या संतोष (Soumya Santosh) नाम की एक भारतीय महिला की भी मौत हो गई है. सौम्या संतोष भारत के केरल राज्य की रहने वाली थीं और इजरायल में बतौर नर्स काम करती थी. सोचिए एक तरफ दुनिया आज अंतरराष्ट्रीय नर्स डे (International Nurses Day) मना रही है, और दूसरी तरफ इजरायल में हमास के आतंकवादी हमले में भारतीय नर्स ने अपनी जान गंवा दी.

इजरायल ने दिया जवाब, कर दी एयर स्ट्राइक

इजरायल ने भी हमास के रॉकेट हमले का जवाब दिया है और उसकी तरफ से गाजा पट्टी में हवाई हमले किए गए हैं. इस एयर स्ट्राइक में एक 13 मंजिला इमारत को इजरायल ने उड़ा दिया. कहा जा रहा है कि इजरायल और फिलिस्तीनियों के बीच ये खूनी संघर्ष लगभग एक महीने पहले शुरू हुआ था, जब वहां पूर्वी यरुशलेम के इलाकों में यहूदियों ने फिलिस्तीनी अरबियों को उनके घर खाली करने की धमकी दी थी. इसी तनाव के दौरान जब 7 मई को रमजान के महीने का आखिरी शुक्रवार था और फिलिस्तीनी पूर्वी यरुशलेम की अल अक्सा मस्जिद में नमाज के लिए पहुंचे थे, तो वहां इजरायल के सुरक्षा बल से उनकी हिंसक झड़पें हो गई. इस हिंसक झड़प में कुछ फिलिस्तीनी मारे गए और इसके बाद अब इजरायल के तेल अवीव और दूसरे शहरों में भी हिंसा भड़की हुई है. और वहां इस समय घरों को भी जलाया जा रहा है.

यरुशलम में ऐसा क्या है, जिसके लिए हुआ युद्ध?

सारी लड़ाई यरुशलम की है. वर्ष 1948 में इजरायल एक राष्ट्र के तौर पर स्थापित हुआ, लेकिन उसे मध्य पूर्व के इस्लामिक देशों ने कभी भी मान्यता नहीं दी. हालांकि काफी संघर्ष के बाद तय हुआ कि पश्चिमी यरुशलम के हिस्सों पर इजरायल का हक होगा और पूर्वी यरुशलम के हिस्सों पर जॉर्डन का अधिकार होगा. वहां जॉर्डन की सेना तैनात रहेगी. इस तरह से तब यरुशलम को बांटा गया. लेकिन ये बंटवारा अस्थाई था.

पूर्वी यरुशलम के इलाकों को लेकर छिड़ी जंग

1967 में जब इजरायल ने सीरिया, जॉर्डन और फिलिस्तीनियों से युद्ध लड़ा तो उसने पूर्वी यरुशलम और वेस्ट बैंक पर भी कब्जा कर लिया. यानी ये दोनों इलाके जो जॉर्डन के पास थे, वो इजरायल ने उससे छीन लिए, और तभी से इन इलाकों में इजरायल और फलस्तीनियों के बीच हिंसक टकराव होता रहता है. इजरायल दावा करता है कि पूरा यरुशलम उसकी राजधानी है जबकि फिलिस्तीनी पूर्वी यरुशलम को भविष्य के फिलिस्तीन राष्ट्र की राजधानी मानते हैं, और अमेरिका उन चंद देशों में एक है जो पूरे शहर पर इजरायल के दावे को मानते हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये सारी लड़ाई पूर्वी यरुशलम के इलाकों के लेकर है. यहीं वो अल-अक्सा मस्जिद भी है, जहां पर हिंसा भड़की थी.

पूर्वी यरुशलम को लेकर ये झगड़ा क्यों है?

ये इलाका ईसाई, इस्लाम और यहूदी तीनों के लिए अहम है. तीनों ही धर्म अपनी शुरुआत की कहानी को बाइबल के पैगंबर अब्राहम से जोड़ते हैं. ईसाई धर्म के लोग का जुड़ाव इस क्षेत्र से इसलिए है क्योंकि उनका मानना है कि ये वही जगह है जहां कलवारी की पहाड़ी पर यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था. उनका मकबरा सेपल्का (Church Of The Holy Sepulchre) के अंदर स्थित है और यह उनके पुनरुत्थान का स्थल भी था. इसलिए ईसाई इस जगह को मानते हैं.

वहीं मुसलमानों के लिए ये जगह इसलिए अहम है क्योंकि डोम ऑफ रॉक (Dome of Rock) और अल-अक्सा मस्जिद यहीं पर स्थित है. ये मस्जिद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है और मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर मुहम्मद ने यात्रा के दौरान मक्का से यहां तक का सफ़र तय किया था. सभी Prophet की आत्माओं के साथ प्रार्थना की थी. इस मस्जिद से कुछ ही कदम की दूरी पर डोम ऑफ रॉक की आधारशिला है. मुसलमान मानते हैं कि यहीं से पैगंबर मुहम्मद जन्नत की तरफ गए थे.

जबकि यहूदी यरुशलम को इसलिए अपना बताते हैं क्योंकि उनका मानना है कि यही वो जगह है जहां आधारशिला रख पूरी दुनिया का निर्माण किया गया था और यही पर अब्राहम ने अपने बेटे आईजैक की कुर्बानी दी थी. यहूदियों वाले हिस्से में कोटेल या वेस्टर्न वॉल है, ये दीवार पवित्र मंदिर का अवशेष है. यानी यरुशलम ईसाई, इस्लाम और यहूदी तीनों धर्मों के केन्द्र में है और सारे विवाद भी यहीं से शुरू होते है.

यरुशलम पर 52 बार हुआ हमला और 44 बार कब्जा

मौजूदा विवाद भी यही है कि पूर्वी यरुशलम में यहूदी फिलिस्तीनियों को उनके घर छोड़ने की धमकी दे रहे हैं और वो उन्हें अल अक्सा मस्जिद में जाने से भी रोकते हैं. क्योंकि उनका कहना है कि ये जगह वेस्टर्न वॉल की है. यानी उनकी धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है. एक दिलचस्प जानकारी ये भी है कि दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक यरुशलम पर 52 बार हमला हो चुका है, 44 बार इस पर कब्जा हो चुका है और 23 बार आक्रमणकारी सेना इस शहर को घेर चुकी है. अब आप समझ गए होंगे कि क्यों हमने शुरुआत में ये कहा था कि धर्म का नशा गोला बारुद से भी खतरनाक होता है.

यहूदी धर्म की वो बातें जो आप नहीं जानते होंगे

यहूदी धर्म, दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक धर्म है. इस धर्म का इतिहास करीब 3,000 साल पुराना है, और ऐसी मान्यता है कि यहूदी धर्म की शुरुआत यरुशलम से ही हुई थी. इस धर्म की नींव रखने वाले थे पैगंबर अब्राहम. अब्राहम को ईसाई और मुस्लिम भी ईश्वर का दूत कहते हैं, और उनके बेटे का नाम आईजैक और एक पोते का नाम याकूब था. याकूब का ही दूसरा नाम इजरायल था और इसीलिए यहूदी धर्म के लोगों ने अपने देश को इजरायल नाम दिया. लेकिन इस धर्म के लोगों को अपने अलग देश के लंबा संघर्ष करना पड़ा. कहते हैं कि करीब 2200 साल पहले पहला यहूदी राज्य अस्तित्व में आया. लेकिन 931 ईसा पूर्व में इस राज्य का धीरे-धीरे पतन होने लगा और संयुक्त इजरायल दो हिस्सों में इजरायल और यूदा के बीच बंट गया.

जब सारे यहूदी छोड़ चुके थे इजरायल

700 ईसा पूर्व में असीरियाई साम्राज्य ने यरुशलम पर हमला किया और इस हमले के बाद यहूदियों के 10 कबीले तितर-बितर हो गए. इसके बाद 72 ईसा पूर्व में रोमन साम्राज्य के हमले के बाद सारे यहूदी दुनियाभर में इधर-उधर जाकर बस गए, और इजरायल राज्य ने अपना अस्तित्व खो दिया. ये वो समय था जब यहूदी इजरायल को छोड़ चुके थे और यहां फलस्तीनी अरबों का राज था. लेकिन आज जो स्थिति है, उसकी शुरुआत 100 साल पहले मानी जाती है. तब पहले विश्व युद्ध में उस्मानिया सल्तनत की हार के बाद मध्य-पूर्व में फलस्तीन के नाम से पहचाने जाने वाले हिस्से को ब्रिटेन ने अपने कब्जे में ले लिया था.

यहूदियों के लिए एक अलग देश बनाने का वादा

इस इलाके पर ब्रिटेन के कब्जे के बाद बहुसंख्यक अरब और यहूदियों के बीच हिंसा शुरू हो गई, जिसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दखल दिया और वर्ष 1917 में ब्रिटेन ने बाल्फोर घोषणा (Balfour Declaration) की घोषणा की, जिसमें उसने यहूदियों के लिए एक अलग देश बनाने का वादा किया. तब इस बात से फलस्तीनी अरब नाराज हो गए और तब भी काफी हिंसा हुई.

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब जर्मनी के तानाशाह एडॉल्फ हिटलर (Adolf Hitler) ने 60 लाख यहूदियों का कत्लेआम किया, तो पश्चिमी देशों से ज्यादातर यहूदी अपने देश की चाह में फलस्तीन आ गए. इसी के बाद वर्ष 1947 में संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन को यहूदियों और अरबों में बांटने को लेकर मतदान हुआ और यरुशलम को एक अंतरराष्ट्रीय शहर बनाया गया. हालांकि जब इसे भी फलस्तीनियों ने स्वीकार नहीं किया तो ब्रिटिश शासकों ने इस इलाके को मुक्त कर दिया और ये वही समय था जब यहूदी नेताओं ने इजरायल नाम का देश बनाने की घोषणा कर दी. लेकिन उसे मध्य पूर्व के इस्लामिक देशों का कभी समर्थन नहीं मिला, और इजरायल को एक राष्ट्र के तौर पर स्थापित होने के बाद युद्ध भी लड़ना पड़ा.

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