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नई दिल्ली: तालिबान (Taliban) ने एक बार फिर अफगानिस्तान (Afghanistan) के लोगों के प्रति उदार और लोकतांत्रित रवैया अपनाने का दिखावा किया है. काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान की ये दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस थी, जिससे साफ होता है कि तालिबान इस बार मीडिया के जरिए अपनी छवि को बदलने के लिए बेकरार है. जबकि सच्चाई ये है कि वो बिल्कुल नहीं बदला है और अफगान लोगों को आज नहीं तो कल शरिया कानून (Shariya Law) मानना ही होगा. सबसे पहले हम आपको इस प्रेस कॉन्फ्रेंस की बड़ी बातें बताते हैं.
1. तालिबान ने कहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान के लोगों को देश छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है और वो ऐसा नहीं चाहता. उसका कहना है कि तालिबान को इन लोगों की प्रतिभा की जरूरत है. सोचिए अफगान नागरिकों का दमन करने वाला तालिबान अब लोगों की प्रतिभा की बातें कर रहा है.
2. तालिबान ने कहा कि सभी मीडिया संस्थान और नेशनल रेडियो ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है. लोग बिना डर और घबराहट के इन क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. जबकि सच ये है कि वहां पत्रकार डरे हुए हैं और एक महिला पत्रकार को दफ्तर में दाखिल होने से भी रोका गया है. ये तालिबान की वजह से हुआ है
3. तालिबान ने पंजशीर में नॉर्दन अलायंस (Northern Alliance) के नेताओं से काबुल लौटने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए. तालिबान की ये बातें सुन कर आपको लगेगा कि वो अब शांतिपूर्ण शासन चाहता है. लेकिन सच ये है कि वो पंजशीर को कभी नहीं जीत पाया इसलिए खुद बातचीत का सहारा ले रहा है.
4. अफगानिस्तान में बुधवार से बैंक भी खुल जाएंगे, ये बात भी इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही गई.
5. तालिबान ने महिलाओं से तब तक घर पर रहने के लिए कहा है, जब तक हालात सामान्य नहीं होते. कट्टरपंथी तालिबान के शासन में अफगानिस्तान कभी शांत नहीं रह सकता और इसका मतलब ये है कि तालिबान अब इन महिलाओं को बाहर नहीं निकलने देगा, जैसा उसने पहले भी किया था.
6. तालिबान ने आज अमेरिका को भी चेतावनी दी और कहा कि अमेरिका अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से 31 अगस्त तक निकाल ले. अगर ऐसा नहीं हुआ तो तालिबान कड़ी प्रतिक्रिया देगा. ये अमेरिका को तालिबान की सीधी धमकी है
7.NATO देशों ने कहा है कि 31 अगस्त तक सभी लोगों को अफगानिस्तान से निकालना आसना नहीं होगा. अमेरिका की सेना भी ये मान रही है कि ऐसा करना बहुत मुश्किल है. सोचिए जो देश खुद को दुनिया का सुपरपावर बताते हैं, उन्हें भी एक आतंकवादी संगठन धमकी दे रहा है. तालिबान की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अमेरिका शर्मिंदा तो जरूर हुआ होगा.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में हमारे संवादाता अनस मलिक भी मौजूद थे. उन्होंने तालिबानी नेता मुल्ला बरादर और अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) के बीच हुई एक गोपनीय बैठक (Secret Meeting) के बारे में भी सवाल पूछा, जिस पर तालिबान के प्रवक्ता ने कुछ भी बताने से मना कर दिया.