महेंद्र सिंह धोनी ने 15 अगस्त को अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी थी. इसके चार दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें एक लंबी चिट्ठी लिखी है.
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नई दिल्ली: वैसे तो भारत में पत्र लिखने की परंपरा लगभग समाप्त हो चुकी है. लेकिन आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अतंरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके महेंद्र सिंह धोनी के नाम एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी के जरिए उन्होंने देश के युवाओं को बहुत जरूरी संदेश दिए हैं.
महेंद्र सिंह धोनी ने 15 अगस्त को अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी थी. इसके चार दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें एक लंबी चिट्ठी लिखी है.
प्रधानमंत्री मोदी ने इस चिट्ठी में लिखा है कि महेंद्र सिंह धोनी के नाम को सिर्फ क्रिकेट में उनके आंकड़ों या फिर मैच जिताने वाली पारियों के लिए ही याद रखना सही नहीं है. धोनी को सिर्फ एक खिलाड़ी के तौर पर याद करना, उनके साथ अन्याय है. धोनी को सही तरीके से तभी समझा जा सकता है, जब देश पर उनके असर को समझा जाए, क्योंकि ये असर बहुत ही असाधारण है.
धोनी Self Made लोगों का सबसे अच्छा उदाहरण
प्रधानमंत्री ने इस चिट्ठी में धोनी के जीवन से प्रेरणा लेने वाली आठ बड़ी बातें लिखी हैं. उन्होंने पहली बड़ी बात ये लिखी कि धोनी एक छोटे से शहर के साधारण परिवार में पले-बढ़े और वहां से उठकर राष्ट्रीय स्तर पर चमके. उन्होंने अपने दम पर अपना नाम बनाया और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि उन्होंने देश को गर्व महसूस कराया. धोनी Self Made लोगों का सबसे अच्छा उदाहरण हैं.
परिवारवाद से घबराने की जरूरत नहीं
धोनी के बारे में प्रधानमंत्री ने दूसरी बड़ी बात ये लिखी है कि धोनी की कामयाबी और व्यवहार, देश के उन करोड़ों युवाओं को ताकत और प्रेरणा देता है, जो धोनी की तरह ही, न तो बड़े बड़े स्कूलों या कॉलेजों में पढ़े, और ना ही किसी बड़े परिवार में उन्होंने जन्म लिया. लेकिन इन युवाओं में इतनी प्रतिभा है कि ये सर्वोच्च स्तर तक अपनी पहचान बना सकें यानी अब देश के युवा को परिवारवाद से घबराने की जरूरत नहीं है.
नए भारत के जज्बे का प्रतीक
इस चिट्ठी में तीसरी बड़ी बात प्रधानमंत्री ने ये लिखी है कि धोनी नए भारत के जज्बे का प्रतीक हैं. इसमें किसी का भाग्य, उसके परिवार के नाम से तय नहीं होता. वो अपना नाम, अपना भाग्य खुद बनाते हैं. इसमें ये मायने नहीं रखता कि हम कहां से आए हैं, लेकिन ये पता होता है कि हमें कहां पहुंचना है. यही जज्बा धोनी ने दिखाया और यही युवाओं के लिए प्रेरणा है.
जोखिम उठाने से डरते नहीं थे
प्रधानमंत्री की चिट्ठी में चौथी बड़ी बात ये है कि जिस तरह से धोनी मैच के दौरान खतरे उठाते थे और दबाव के बीच भी उन युवा खिलाड़ियों पर भरोसा करते थे, जिनका कोई बड़ा नाम नहीं था. उसी तरह से धोनी को देखकर बड़ी हुई आज की पीढ़ी भी खतरे उठाने से डरती नहीं है और कठिन समय में एक दूसरे की क्षमताओं पर विश्वास करती है.
धोनी अपने खेल के दौरान कभी भी हिम्मत नहीं हारते थे
प्रधानमंत्री मोदी ने धोनी के बारे में पांचवीं बड़ी बात ये लिखी कि जैसे धोनी अपने खेल के दौरान कभी भी हिम्मत नहीं हारते थे और आखिर तक मैच में संघर्ष करते थे, उसी तरह से ये भारतीयों की ऐसी पीढ़ी है, जो निर्णायक मौकों पर अपनी हिम्मत नहीं हारती. अगर ये असफल भी होते हैं, तो इनका दिल नहीं टूटता और नए भारत के युवा, धोनी की तरह ही निडर रहते हैं.
खुद पर नियंत्रण
धोनी का स्वभाव बहुत शांत था और वो किसी भी समय, खुद पर नियंत्रण नहीं खोते थे. प्रधानमंत्री ने इस बात की भी तारीफ की. उन्होंने लिखा कि धोनी का हेयर स्टाइल कुछ भी रहा हो, इससे फर्क नहीं पड़ता. धोनी का दिमाग हमेशा शांत रहा है. हार हो या जीत हो, दोनों में उनका शांत रवैया ही दिखाई दिया. ये भी आज के युवाओं के लिए बहुत बड़ी सीख है.
निजी जिंदगी और अपने काम के बीच संतुलन
प्रधानमंत्री ने महेंद्र सिंह धोनी के जीवन से सीखने वाली सातवीं बड़ी बात ये लिखी कि देश के युवाओं को उनसे अपनी निजी जिंदगी और अपने काम के बीच संतुलन बनाने की कला सीखनी चाहिए एक टूर्नामेंट में जीत के बाद जब, दूसरे सभी लोग जश्न मना रहे थे, तो धोनी अपनी बेटी के साथ खेल रहे थे.
देशभक्ति और सेना के प्रति लगाव
प्रधानमंत्री की चिट्ठी में धोनी के बारे में आठवीं बड़ी बात ये है कि उन्होंने इसमें धोनी की देशभक्ति और सेना के प्रति उनके लगाव का भी जिक्र किया है. उन्होंने लिखा कि धोनी का भारतीय सेना के प्रति विशेष लगाव रहा है. वो जवानों के बीच जाकर सबसे ज्यादा खुश होते हैं और जिस तरह से वो हमेशा सैनिकों की मदद के लिए काम करते हैं, वो तारीफ के लायक है.
आंकड़ों के दायरे में नहीं बांधा जा सकता धोनी का व्यक्तित्व
ये सच है कि महेंद्र सिंह धोनी का जो व्यक्तित्व है, उसे खिलाड़ी के तौर पर सिर्फ आंकड़ों के दायरे में नहीं बांधा जा सकता. इसीलिए प्रधानमंत्री ने धोनी के करियर के आंकड़ों की बात नहीं की, बल्कि धोनी के व्यक्तित्व की बात की और इसी के लिए उनकी खुलकर तारीफ की. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी छोटी सी जगह से उठकर और लंबे संघर्ष के बाद देश के प्रधानमंत्री बने, इसलिए किसी के संघर्ष को उनसे बेहतर कौन समझ सकता है.
आज महेंद्र सिंह धोनी ने भी प्रधानमंत्री को उनके भावुक और प्रेरणादायी शब्दों के लिए धन्यवाद किया. धोनी ने ये कहा कि कोई कलाकार हो, सैनिक हो या फिर खिलाड़ी हो, इन्हें प्रशंसा की भूख होती है, क्योंकि ये चाहते हैं कि उनकी कड़ी मेहनत और उनके बलिदान को सभी पहचानें और उसकी तारीफ करें.
तारीफ करना या धन्यवाद देना भी एक कला
किसी की तारीफ करना या किसी को उसके परिश्रम के लिए धन्यवाद देना भी एक कला है और इसे आप Art Of Appreciation भी कह सकते हैं. जब आप किसी को धन्यवाद जैसे साधारण शब्द भी कहते हैं तो आपके और उस व्यक्ति के बीच एक नए रिश्ते की शुरुआत हो जाती है. वर्ष 2014 में की गई एक स्टडी के मुताबिक जब आप किसी अंजान या कम परिचित व्यक्ति को धन्यवाद देते हैं, उससे आपकी मित्रता होने की संभावना बढ़ जाती है.
दूसरे के प्रति धन्यवाद का भाव रखने वाले व्यक्ति स्वास्थ्य के भी धनी होते हैं. वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि जो लोग दूसरों को शुक्रिया कहना नहीं भूलते वो अपने स्वास्थ्य का ज्यादा बेहतर ख्याल रखते हैं. Personality and Individual Differences नामक जनरल में छपी एक स्टडी के मुताबिक धन्यवाद देने वाले लोग ज़्यादा व्यायाम करते हैं और समय समय पर अपने शरीर की जांच कराते हैं.
इसी तरह Art Of Appreciation आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है. दूसरे की तारीफ करने से या उसे धन्यवाद कहने से आपकी निराशा, कुंठा और नकारात्मकता दूर होती है. ये आपको मानसिक तौर पर भी मजबूत बनाती है. एक मशहूर Gratitude Researcher के मुताबिक दूसरों की तारीफ करने से आपके अंदर संतुष्टि का भाव आता है और इससे डिप्रेशन भी कम होता है.
अमेरिका की University of Kentucky (केन्टकी) ने वर्ष 2012 में एक अध्ययन किया था, जिसमें पाया गया गया था कि दूसरों के प्रति धन्यवाद का भाव रखने वाले, दूसरों से हमदर्दी रखने वाले लोग होते हैं और ऐसे लोगों के अंदर दूसरों से बदला लेने की भावना भी बहुत कम होती है. कई स्टडीज में ये भी पाया गया कि दूसरों की तारीफ करने वाले लोगों को अच्छी नींद आती है और ये आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है.
धन्यवाद कहना न भूलें
इसलिए जीवन में आप कुछ भी करें. कितने भी सफल हो जाएं लेकिन लोगों को धन्यवाद कहना न भूलें. क्योंकि आप शायद जानते भी नहीं होंगे कि आपकी सफलता के पीछे ना जाने कितने अनजान लोगों की मेहनत है या फिर ऐसे लोगों जो अनजान तो नहीं हैं. लेकिन जिन्हें आप नजर अंदाज कर देते हैं.
इसलिए जीवन में आप कुछ भी करें. कितने भी सफल हो जाएं लेकिन लोगों को धन्यवाद कहना ना भूलें. क्योंकि आप शायद जानते भी नहीं होंगे कि आपकी सफलता के पीछे न जाने कितने अनजान लोगों की मेहनत है या फिर ऐसे लोगों जो अंजान तो नहीं हैं. लेकिन जिन्हें आप अनजान मानकर नजर अंदाज कर देते हैं जो दूसरों के प्रति धन्यवाद का भाव रखता है. उसे जीवन में कभी निराशा हासिल नहीं होती.
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