दुर्गा सप्तशति के 11 अध्याय से पूरी होगी 11 मनोकामना
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दुर्गा सप्तशति के 11 अध्याय से पूरी होगी 11 मनोकामना

 आप दुर्गा सप्तशती का पाठ कर, अपनी मनोकामना पूरी कर सकते हैं। कोई ज़रूरी नहीं कि आप पूरी दुर्गा सप्तशती पढ़ें, बल्कि मनोकामना के अनुसार भी इसके पाठ का चयन कर सकते हैं। आखिर किस अध्याय के पाठ का क्या फल है और किस दिन के पाठ का कितना परिणाम मिलेगा, शायद आप न जानते हों। इसके अलावा किस देवी को किस वस्तु की आहुति दें, इसका भी ध्यान रखना चाहिये।   

फाइल फोटो

दिल्ली: आप दुर्गा सप्तशती का पाठ कर, अपनी मनोकामना पूरी कर सकते हैं। कोई ज़रूरी नहीं कि आप पूरी दुर्गा सप्तशती पढ़ें, बल्कि मनोकामना के अनुसार भी इसके पाठ का चयन कर सकते हैं। आखिर किस अध्याय के पाठ का क्या फल है और किस दिन के पाठ का कितना परिणाम मिलेगा, शायद आप न जानते हों। इसके अलावा किस देवी को किस वस्तु की आहुति दें, इसका भी ध्यान रखना चाहिये।   

 दुर्गा सप्तशती के अध्याय अनुसार फल
-प्रथम अध्याय के पाठ से हर चिंता दूर। 
-दूसरा अध्याय के पाठ से मुकदमे में जीत।
-तीसरा अध्याय के पाठ से शत्रुनाश।
-चौथे,पांचवे अध्याय के पाठ से दुर्गा का दर्शन। 
-6ठे अध्याय के पाठ से शोक,दुख,बाधा और शक दूर। 
-7वां अध्याय के पाठ से मनोकामना पूरी।
-8वां अध्याय के पाठ से मित्रता और वशीकरण। 
-9वें और 10वें अध्याय के पाठ से खोई वस्तु मिलेगी।
-11वें अध्याय के पाठ से कारोबार में तरक्की। 

 किस दिन के पाठ का कितना फल?
-रविवार पाठ से 9 दिनों के पाठ का फल।
-सोमवार को पाठ से अमोघ फल।
-मंगलवार को पाठ से सौ पाठ का फल।
-बुधवार को पाठ से एक लाख पाठ का फल।
-गुरुवार को पाठ से सवा लाख पाठ का फल।
-शुक्रवार को पाठ से- दो  लाख पाठ का फल।
-शनिवार को पाठ से अनंत फल।

 किस तिथि के पाठ का कितना फल? 
-पूर्णिमा को पाठ से श्रेय सिद्धि।
-शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के पाठ से ऐश्वर्य।
-शुक्ल पक्ष की अष्टमी और नवमी को पाठ से धन,संपत्ति,सुयश,सम्माना और मोक्ष।
-शुक्ल प्रतिपदा की षष्ठी से चतुर्दशी और नित्य 9 दिन।
-पाठ से सभी सिद्धियां।
-शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुक्ल पक्ष की अष्टमी तक एक मास।
-लगातार पाठ से हर परेशानी दूर।   

 नवदुर्गा हवन में हर देवी की अलग आहुति
-शैलपुत्री को शिलाजीत से आहुति।
-ब्रह्मचारिणी को ब्राम्ही से आहुति।
-चंद्रघंटा को सहदेवी से आहुति।
-कूष्मांडा को लौकी से आहुति।
-स्कंद माता को आमी हल्दी से आहुति।
-कात्य़ानी को बहड़ से आहुति।
-कालरात्रि को नीम और गिलोय से आहुति।
-महागौरी को दारुहल्दी से आहुति।
-सिद्धिदात्री को आंवले से आहुति देनी चाहिये।
-कवच और अस्त्र मंत्रों से हवन करना निषेध है। 
 

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