ईडी ने कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर शिकंजा कस दिया है. एजेंसी ने उनके खिलाफ पंचकूला प्लॉट आवंटन केस में चार्जशीट दाखिल की है.
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चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) के लिए मुश्किले बढ़ गई हैं. पंचकूला में 14 औद्योगिक प्लॉट अपने करीबियों को गलत तरीके से आवंटन करने के मामले (Panchkula Plot Scam) में ED ने चार्जशीट दाखिल की है. इस चार्जशीट में भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत 22 लोगों के नाम हैं. इनमें वो 14 लोग भी शामिल हैं, जिनको ये प्लॉट दिये गए थे.
ED ने इस मामले की जांच हरियाणा सरकार की विजिलेंस ब्यूरो की दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी. विजिलेंस ब्यूरों ने साल 2015 में बीजेपी सरकार के आते ही मामला दर्ज किया था और जांच के बाद इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था. विजिलेंस ने अपनी जांच में पाया था कि HUDA के चेयरमैन के तौर पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) ने गलत तरीके से पंचकूला में 14 प्लॉट अपने करीबियों को बांट दिए.
ED मे मनी लॉड्रिंग के तहत दर्ज इस मामले की जांच में पाया कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) ने 4 तत्कालीन IAS अधिकारियों के साथ मिल कर ये घोटाला किया (Panchkula Plot Scam) था. हुड्डा ने HUDA के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक धरम पाल सिंह नागल, तत्कालीन कार्यपालक सुरजीत सिंह, चीफ फाइनेंस ऑफिसर सुभाष चंद्र कंसल, फोजन के कार्यपालक नरेंद्र कुमार सोलंकी और तत्कालीन सुपरिंटेंडेंट भारत भूषण तनेजा इस साजिश में शामिल थे.
जांच में सामने आया कि पंचकुला के औद्योगिक प्लॉट की कीमत को मार्किट रेट से 7-8 गुणा कम और सर्किल रेट से 4-5 गुणा कम रेट पर रखा गया. प्लॉट को बांटने के लिये जो तय नियम शर्ते थी, उनमें सभी फार्म भरे जाने के 18 दिन बाद बदलाव कर दिया गया. अधिकारियों ने जानबूझ कर सभी दस्तावेजों में बदलाव किया और कोई रिकार्ड नहीं रखा. जिन लोगों ने सही तरीके मार्केट रेट के हिसाब से फार्म भरकर प्लॉट के लिए आवेदन किया था. उनके फार्म बिना कारण बताए रिजेक्ट कर दिए गए.
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इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) के 14 करीबियों को प्लॉट(Panchkula Plot Scam) बांट दिए गए. इनमें कुछ लोग राजनीतिक पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता थे और कुछ लोग भूपेंद्र हुड्डा के करीबी थे. ED ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए 30.34 करोड़ के बांटे गये 14 औद्योगिक प्लॉटों को अगस्त 2019 में अटैच कर दिया था.
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