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नई दिल्ली: राजनीति में कभी भी कुछ भी हो सकता है लेकिन कई बार इतनी अजीब घटनाएं होती हैं कि वे दशकों बाद भी याद की जाती हैं. ऐसी ही एक घटना यूपी में हुई थी, जब यहां के एक कद्दावर सीएम को हटाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री और उनके छोटे बेटे संजय गांधी खुद जुट गए थे. हालांकि भारत छोड़ो आंदोलन के प्रणेता रहे इस नेता को हटाना आसान नहीं था लेकिन एक वाकए ने इस मामले को बल दिया.
एक समय ऐसा था जब इंदिरा गांधी जैसी मजबूत नेता अपने ही छोटे बेटे के आगे मजबूर नजर आ रही थीं. संजय गांधी का दखल बढ़ता जा रहा था और वे इंदिरा गांधी के कंट्रोल से बाहर होते जा रहे थे. यहां तक कि हालत यह थे कि मंत्रियों की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ मीटिंग भी संजय गांधी ही तय कर रहे थे. इतना ही नहीं वे हर राज्य में अपने लोगों को रखना चाहते थे. केबिनेट में भी वे अपने ही लोगों को रखना चाहते हैं. इस कारण उन्होंने राज्य से लेकर केंद्र तक कई बदलाव किए.
हरियाणा के सीएम बंसी लाल को रक्षा मंत्री बनाकर दिल्ली लाया गया. उनकी जगह केवल नाम के लिए बनारसी दास गुप्ता को सीएम की कुर्सी पर बैठाया गया. हालांकि सारे निर्णय बंसी लाल ही लेते थे. इसके बाद मध्य प्रदेश के सीएम पीसी सेठी को भी केंद्र में मंत्री बनाया गया. उनकी जगह संजय गांधी ने श्यामाचरण शुक्ल को सीएम बना दिया. लेकिन यूपी में बदलाव कर पाना बहुत मुश्किल लग रहा था.
यूपी में हेमवती नंदन बहुगुणा सीएम थे. उन्हें कमलापति त्रिपाठी के इस्तीफे के बाद सीएम बनाया गया था. वे इंदिरा गांधी की केबिनेट में मंत्री रह चुके थे और उनके करीबी भी थे. 1974 के चुनावों में जब वो यूपी लौटे और यहां स्पष्ट बहुमत दिलाया तो इस सरकार को हिलाना संजय गांधी के लिए आसान नहीं था. इंदिरा गांधी और संजय गांधी को लग रहा था कि बहुगुणा जरूरत से ज्यादा महत्वाकांक्षी हो रहे हैं और प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं. तब उनको रास्ते से हटाने के रास्ते खोजे जाने लगे.
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मशहूर पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में लिखा है कि संजय गांधी को किसी ने बताया कि बहुगुणा लखनऊ के किसी तांत्रिक का सहारा ले रहे हैं और तंत्र-मंत्र के जरिए अपने दुश्मनों को हटा रहे हैं. यह पता चलते ही संजय गांधी ने यशपाल कपूर और मध्य प्रदेश के सीएम पीसी सेठी को उस तांत्रिक को पकड़ने के काम पर लगा दिया. उस तांत्रिक को मीसी एक्ट के तहत गिरफ्तार भी किया गया लेकिन बाद में बहुगुणा ने बताया कि वो तांत्रिक नहीं बल्कि एक वैद्य था और कमलापति त्रिपाठी भी उसकी मदद लिया करते थे.
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खैर इतने के बाद भी मामला खत्म नहीं हुआ. बहुगुणा इंदिरा गांधी की आंख की किरकिरी बन चुके थे और आखिर में खुद इंदिरा गांधी के कहने पर हेमवती नंदन बहुगुणा को 29 नवंबर 1975 को इस्तीफा देना पड़ा. फिर उनकी जगह संजय गांधी की पसंद नारायण दत्त तिवारी को यूपी का नया सीएम बनाया गया. हालांकि प्रदेश के लगभग सभी बड़े नेता इस फैसले के खिलाफ थे लेकिन संजय गांधी के आगे किसी की न चली.