DNA Analysis: अकाल का अलार्म! 27 साल बाद दाल दुर्लभ; पानी के लिए होगा युद्ध
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DNA Analysis: अकाल का अलार्म! 27 साल बाद दाल दुर्लभ; पानी के लिए होगा युद्ध

DNA Analysis: The World Count की रिपोर्ट के मुताबिक आज से 27 साल बाद दाल और रोटी एक दुर्लभ चीज हो जाएगी. जिसकी तस्वीरें आप अपने बच्चों को मोबाइल फोन में दिखाया करेंगे.

DNA Analysis: अकाल का अलार्म! 27 साल बाद दाल दुर्लभ; पानी के लिए होगा युद्ध

DNA Analysis: इंसान दिन-रात मेहनत करता है, खून-पसीना बहाता है, ताकि उसे और उसके परिवार को दो वक्त की रोटी मिल पाए. दुनिया में सारा संघर्ष ही रोटी का है. लेकिन पूरा विश्व एक ऐसे संकट की ओर बढ़ रहा है जिसमें आज से 27 साल बाद लोग दो वक्त की रोटी तो छोड़िये, एक वक्त में एक रोटी के लिये भी तरस जाएं. ये भी संभव है कि आप जहां रहते हैं, वहां दूर-दूर तक किसी की थाली में रोटी ना हो. हो सकता है तब आपके पास लाखों करोड़ों का बैंक बैलेंस हो, कई डेबिट और क्रेडिट कार्ड हों लेकिन तब भी रोटी आपकी रेंज से बाहर हो.  

पृथ्वी से अनाज खत्म हो जाएगा?

सामाजिक और आर्थिक आंकड़ो पर नजर रखने वाली संस्था The World Count की एक रिपोर्ट ने पूरी दुनिया में अकाल का अलार्म बजा दिया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में अनाज का ऐसा संकट आने वाला है कि वर्ष 2050 तक अनाज नाम की चीज दुनिया से खत्म हो जाएगी. इस रिपोर्ट को जारी करते हुए The World Count ने अपनी वेबसाइट पर अनाज के खत्म होने का Countdown भी लगा दिया है. इस Countdown के मुताबिक पृथ्वी से अनाज खत्म होने में अब बस 27 साल 238 दिन और 3 घंटे बचे हैं.

27 साल बाद दाल दुर्लभ 

The World Count की रिपोर्ट के मुताबिक आज से 27 साल बाद दाल और रोटी एक दुर्लभ चीज हो जाएगी. जिसकी तस्वीरें आप अपने बच्चों को मोबाइल फोन में दिखाया करेंगे. बताया करेंगे कि रोटी गोल हुआ करती थी, और दालें पांच से छह तरह की हुआ करती थीं. ये भी संभव है कि तब दुनिया में कुछ ऐसे भी म्यूजियम बन जाएं, जहां दाल-चावल-गेहूं, मक्का और ज्वार रखे जाएं.

The World Count के चौंकाने वाले आंकड़े 

- वर्ष 2050 तक दुनिया की आबादी 1 हज़ार करोड़ के पार हो जाएगी.  
- ऐसे में वर्ष वर्ष 2017 के मुकाबले वर्ष 2050 में  70% ज्यादा खाने की डिमांड होगी.
- जबकि धरती हर वर्ष 7500 करोड़ टन उपजाऊ मिट्टी खो रही है.  
- बीते 40 वर्षों में दुनिया में खेती के लायक एक तिहाई भूमि ख़त्म हो चुकी है.  
- अगले 40 वर्षो में लोगों के लिये उतना अनाज पैदा करना होगा जो 8 हज़ार वर्षों में नहीं हुआ है.
- वर्ष 2030 तक  चावल 130% और मक्का 180% महंगा हो जाएगा.  
- मनुष्य पृथ्वी की 75 प्रतिशत उपजाऊ भूमि का शोषण कर चुका है
- वर्ष 2030 के बाद दुनिया का भोजन जुटाने के लिये दो पृथ्वी की जरूरत होगी.

पृथ्वी सरेंडर कर सकती है

वर्ष 2050 आते-आते पृथ्वी पर खेती करने लायक उपजाऊ भूमि इतनी नहीं रह जाएगी, जिसपर 1 हजार करोड़ लोगों के खाने लायक अनाज पैदा किया जा सके. रिपोर्ट में बताया गया है कि अनाज के वैश्विक संकट का असर वर्ष 2030 के बाद से गंभीर रूप से दिखने लगेगा. इसे दूसरी तरह यूं भी समझें कि अगले 27 वर्षों में अगर मंगल जैसे दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज नहीं हुई, वहां पानी और खेती की संभावना नहीं खोजी गई...तो फिर पृथ्वी लोगों को भरपूर भोजन देने में सरेंडर कर सकती है.  

युद्ध पानी को लेकर होगा 

अक्सर हम कहते और सुनते हैं कि भविष्य का युद्ध पानी को लेकर होगा. ...लेकिन अनाज का ये संकट बताता है कि भविष्य का युद्ध दाल-रोटी और ब्रेड-कुकीज़ को लेकर भी हो सकता है. भविष्य के इस भोजन संकट का संबंध हमारे वर्तमानकी भोजन शैली से है. भारतीय संस्कृति में अन्न या अनाज को देवी अन्नपूर्णा का प्रसाद माना जाता है. भोजन से पहले भोजन मंत्र पढ़ने और थाली को प्रणाम करके भोजन शुरू करने की हमारे यहां परंपरा है. हम कहते भी हैं कि- 'उतना ही लो थाली में, फेंकना ना पड़े नाली में'. लेकिन इसके बाद हम ही उस भोजन को जूठा भी छोड़ते हैं और बचा-खुचा डस्टबिन में पहुंचा देते हैं. 

UN Food Waste Index की रिपोर्ट (2019 में)  

- दुनिया में 93 करोड़ 10 लाख टन अनाज बर्बाद किया गया
-  इसमें भारतीयों ने 6 करोड़ 87 लाख टन अनाज बर्बाद किया.  
- इसमें 61% अनाज घरों में बर्बाद किया गया, यानी जूठा छोड़ा गया.  
- 26% अनाज की बर्बादी होटल-रेस्तरां, फूड डिलिवरी से हुई.
- विश्व में हर व्यक्ति हर साल 121 किलो भोजन बर्बाद करता है.  
- इसमें से 74 किलो भोजन वो घर में जूठा छोड़कर खराब करता है

भोजन की बर्बादी के लिये पूरी दुनिया जिम्मेदार

यानी भोजन की बर्बादी के लिये पूरी दुनिया ज़िम्मेदार है. बल्कि इनमें वो विकसित देश ज़्यादा आगे हैं जो आए दिन छोटे देशों की भूख की चिंता जताते रहते हैं. भारत में हर व्यक्ति साल भर में 50 किलो भोजन जूठा छोड़ता है. वहीं अमेरिका में हर व्यक्ति साल भर में 59 किलो और चीन में हर व्यक्ति 64 किलो भोजन जूठा छोड़ता है. पाकिस्तान में 74 किलो और ब्रिटेन में सालाना 77 किलो भोजन हर थाली से डस्टबिन में डाला जाता है. जबकि इस भोजन की बचत की जाए, तो करोड़ों लोगों का पेट भरा जा सकता है. UN की एक रिपोर्ट के मुताबिक़- दुनिया में 82 करोड़ लोग हर रात भूखे पेट सो जाते हैं. 931 मिलियन टन अनाज को अगर ट्रकों में लादा जाता तो इसमें 2 करोड़ 30 लाख ट्रक लग जाते. और उन ट्रकों की कतार इतनी लंबी होती की पृथ्वी के 7 चक्कर लग जाते.

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