नए कृषि कानूनों (News Farms Law) पर स्टे और चार सदस्यीय कमेटी बनाने के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश को आंदोलनकारी किसानों ने खारिज कर दिया है. किसानों का कहना है कि हमने मध्यस्थता की मांग नहीं की थी और हम इस कमेटी के सामने अपनी कोई बात नहीं रखेंगे.
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नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (News Farms Law) के खिलाफ पिछले 49 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे किसानों ने मामले को सुलझाने के लिए 4 सदस्यीय कमेटी बनाने के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश को खारिज कर दिया है. किसानों ने कहा कि वे मध्यस्थता की मांग को लेकर कोर्ट नहीं गए थे. इसलिए वे इस कमेटी को नहीं मानते और पहले से प्रस्तावित सभी विरोध कार्यक्रम नियमित रूप से चलते रहेंगे.
दिल्ली में प्रेस वार्ता के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ दर्शन पाल (Dr. Darshan Pal) ने कहा,'हमें संतोष है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसानों के लोकतांत्रिक और शांतिपूर्वक विरोध करने के अधिकार को मान्यता दी है. कोर्ट ने उन बेबुनियाद याचिकाओं पर कान नहीं दिया है, जिन्होंने किसानों के मोर्चे को उखाड़ने की मांग की थी.'
डॉ दर्शन पाल ने कहा,'तीनों नए कृषि कानूनों पर स्टे लगाने के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश का हम स्वागत करते हैं. लेकिन यह स्थगन आदेश अस्थाई है, जिसे कभी भी पलटा जा सकता है. जबकि हमारा आंदोलन इन तीन कानूनों के स्थगन के लिए नहीं बल्कि इन्हें रद्द कराने के लिए चलाया जा रहा है. इसलिए केवल इस स्टे के आधार पर हम अपने कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं कर सकते.'
उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा इस तरह किसी भी मध्यस्थता कमेटी के प्रस्ताव को खारिज कर चुका है. मोर्चा ने इस मामले में मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना नहीं की थी और न ही ऐसी किसी कमेटी से हमारा कोई संबंध है. उन्होंने आरोप लगाया कि कोर्ट ने जो चार सदस्य कमेटी घोषित की है, उसके सभी सदस्य इन तीनों कृषि कानूनों के पहले से पैरोकार रहे हैं.
डॉ दर्शन पाल ने कहा,'संयुक्त किसान मोर्चा की ओर घोषित आंदोलन के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है. हम 13 जनवरी को लोहड़ी पर तीनों कानूनों को जलाएंगे, 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाने, 20 जनवरी को श्री गुरु गोविंद सिंह की याद में शपथ लेंगे और 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान दिवस पर देश भर में राजभवनों का घेराव करेंगे. वहीं गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को देशभर के किसान दिल्ली पहुंचकर किसान गणतंत्र परेड निकालेंगे.'
उन्होंने कहा कि अडानी-अंबानी के उत्पादों का बहिष्कार और भाजपा के समर्थक दलों पर दबाव डालने के कार्यक्रम बदस्तूर जारी रहेंगे. जब तक तीनों कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते और एमएसपी की कानूनी गारंटी हासिल नहीं हो जाती, तब तक यह किसान आंदोलन (Farmers Protest) चलता रहेगा. उन्होंने बताया कि दिल्ली के साथ ही छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, हैदराबाद, राजस्थान और हरियाणा में भी इस मुद्दे पर जागरूकता आंदोलन चल रहे हैं.
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित समिति के सदस्य विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि वे लिखते रहे हैं कि कृषि कानून किसानों के हित में है। हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे. हम 15 जनवरी को सरकार के साथ होने वाली बैठक में शामिल होंगे.’
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