Haryana Elections 2024: सियासत के तीन `लाल`, जिनमें से एक ने बदल दी हरियाणा की किस्मत
Bansi Lal: चौधरी बंसीलाल को हरियाणा की किस्मत बदलने का श्रेय जाता है. उनको इंदिरा गांधी और संजय गांधी का विश्वासपात्र माना जाता था.
Haryana Politics: हरियाणा में इस वक्त चुनावी माहौल है. सियासत को 'आयाराम-गयाराम' मुहावरा देने वाले हरियाणा में इस वक्त चुनावी चकल्लस फिजा में तारी है. ऐसे माहौल के बीच आधुनिक हरियाणा के निर्माता कहे जाने वाले चौधरी बंसीलाल की 26 अगस्त को जयंती पर उनकी चर्चा होना स्वाभाविक है. वैसे भी हरियाणा की राजनीति तीन 'लाल' के इर्द गिर्द घूमती रही है. 1966 में राज्य गठन के बाद से ही लाल नाम का जबरदस्त बोलबाला रहा.
1927 को हरियाणा के एक हिंदू जाट परिवार में जन्मे चौधरी बंसीलाल का हरियाणा की राजनीति में सिक्का चलता था. भाषाई आधार पर 1 नवंबर 1966 को हरियाणा राज्य का गठन हुआ और राज्य के पहले मुख्यमंत्री पंडित भागवत दयाल शर्मा बने. हालांकि एक साल बाद यानी 1967 में हरियाणा की कमान चौधरी बंसीलाल के पास आई और उन्होंने पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
बंसी लाल के बारे में बताया जाता है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी के बेहद विश्वासपात्र थे. उन्हें आपातकाल के दौरान देश के रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. बंसीलाल पर इतना भरोसा था कि 1975 में केंद्र सरकार में बिना पोर्टफोलियो के मंत्री तक बना दिया गया. वे हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री रहे.
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हरियाणा में शराबबंदी
यही नहीं उन्हें हरियाणा में शराब को प्रतिबंध करने का भी श्रेय जाता है. चौधरी बंसीलाल ने हरियाणा को शराब से मुक्ति दिलाने के लिए यहां शराब पर प्रतिबंध लगाया. वह इस मुद्दे को लेकर विधानसभा चुनाव में गए और इसका फायदा उन्हें बड़ी जीत के रूप में मिला. लेकिन बाद में राज्य में शराब की तस्करी बढ़ी और उनकी सरकार गिर गई.
इसके अलावा उन्हें हरियाणा के दूर-दराज के क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है. उनके इसी प्रयास के कारण हरियाणा के गांव-गांव तक पहुंच पाई. बंसीलाल सात बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए. हालांकि आपातकाल के दौरान उन पर कई आरोप भी लगे. शाह जांच आयोग ने पाया कि लाल अक्सर व्यक्तिगत कारणों से अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करते थे.
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हरियाणा विकास पार्टी
चौधरी बंसीलाल का भी कांग्रेस से मोहभंग हुआ और उन्होंने 1996 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अलग होने के बाद हरियाणा विकास पार्टी की स्थापना की. लेकिन कांग्रेस से दूरी ज्यादा समय तक नहीं रही. वह 2004 में कांग्रेस में लौट आए और 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिताने में मदद की. 28 मार्च 2006 को 78 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया.
(इनपुट: एजेंसी आईएएनएस के साथ)
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