DNA: फिलिस्तीन के समर्थन में हमास की रैली और फिर धमाका...केरल की घटनाएं भारत के लिए कितनी खतरनाक?
Advertisement
trendingNow11937405

DNA: फिलिस्तीन के समर्थन में हमास की रैली और फिर धमाका...केरल की घटनाएं भारत के लिए कितनी खतरनाक?

Kerala Blast: केरल सरकार अपने राज्य में धार्मिक भेदभाव को खत्म करने में नाकाम दिख रही है. यही नहीं, केरल सरकार, अपने राज्य के लोगों को धार्मिक कट्टरता से बचाने के लिए भी कुछ नहीं कर पाई है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण केरल के वो लोग थे, जिन्होंने धर्म की लड़ाई के नाम पर, आतंकी संगठन ISIS में शामिल होना चुना था.

DNA: फिलिस्तीन के समर्थन में हमास की रैली और फिर धमाका...केरल की घटनाएं भारत के लिए कितनी खतरनाक?

देश के सबसे ज्यादा शिक्षित यानी साक्षरता दर में नंबर वन राज्य केरल में पिछले कुछ दिनों में दो बड़ी घटनाएं हुई हैं. पहली घटना है मलप्पुरम की. यहां फिलिस्तीन के समर्थन में एक रैली हुई, जिसमें आतंकी संगठन हमास के नेता ने, रैली में शामिल लोगों को वर्चुअली संबोधित किया. इस रैली का मकसद था..'Uproot Bulldozer Hindutva & Apartheid Zionism' यानी 'हिंदुत्व और रंगभेदी Zionism मतलब यहूदियों को उखाड़ फेंको'.

केरल में हुई दूसरी घटना कोच्चि की है. यहां पर Jehovah's Witnesses ईसाई समुदाय के एक कन्वेंशन में आईईडी बम धमाका हुआ. जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. इन दोनों घटनाओं से दो बातें पता चल रही हैं.

केरल में बढ़ी धार्मिक कट्टरता

पहला ये, कि केरल में धार्मिक कट्टरता तेजी से बढ़ी है. इसमें एक विशेष समुदाय, फिलिस्तीन को समर्थन देने के नाम पर आतंकी संगठनों के नेताओं के भाषण भी सुनना चाहती है. यही नहीं, वो भारत में हिंदू और यहूदी समुदाय के खिलाफ कट्टरता फैलाने के लिए, अपनी प्रतिबद्धता भी दर्शाते नजर आ रहे हैं. ये सब कुछ ह्यूमैनिटी और पीस के नाम किया जा रहा है.

दूसरी बात जो पता चलती है, वो ये है कि केरल सरकार, राज्य में समुदायों में द्वेष फैलाने वाली इन घटनाओं पर लगाम लगाने में, अभी तक नाकाम रही है. केरल सरकार सुरक्षा मामलों में भी फिलहाल फेल नजर आ रही है. वजह ये है कि कोच्चि धमाके में केवल 1 व्यक्ति ने धमाके की जिम्मेदारी ली है. सवाल ये है कि एक व्यक्ति अपने दम पर IED धमाका करने में कैसे कामयाब हो गया. क्या केरल में IED बम बनाना, या हासिल करना बहुत आसान है?

केरल सरकार रही नाकाम

केरल सरकार अपने राज्य में धार्मिक भेदभाव को खत्म करने में नाकाम दिख रही है. यही नहीं, केरल सरकार, अपने राज्य के लोगों को धार्मिक कट्टरता से बचाने के लिए भी कुछ नहीं कर पाई है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण केरल के वो लोग थे, जिन्होंने धर्म की लड़ाई के नाम पर, आतंकी संगठन ISIS में शामिल होना चुना था.

जब ISIS का आतंक अपने चरम पर था, तब पूरी दुनिया से जिहाद के नाम पर धर्म विशेष के लोग इस आतंकी संगठन का हिस्सा बन रहे थे. इसमें भारत से भी कई लोग गए थे. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत से ISIS में शामिल हुए लोगों में, सबसे बड़ी संख्या केरल के लोगों की थी.

फिलिस्तीन के नाम पर हुई रैली

  • केरल में धार्मिक उन्माद पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ा है. इसका ताजा उदाहरण फिलिस्तीन के समर्थन के नाम पर हुई रैली है, जिसमें काफी संख्या में लोग शामिल हुए.

  • केरल के मलप्पुरम में जमात-ए-इस्लामी के यूथ विंग Solidarity Youth Movement ने इजरायल का विरोध और फिलिस्तीन के समर्थन में एक रैली का आयोजन किया. इस रैली में सैकड़ों की संख्या में वो लोग शामिल हुए, जो फिलिस्तीन पर इजरायल के हमले का विरोध कर रहे थे.

  • इस रैली का मकसद केवल फिलिस्तीन पर इजरायल की बमबारी का विरोध करना ही नहीं था. बल्कि इस रैली को बुलाने का एक मकसद हिंदू और यहूदियों को जड़ से उखाड़ फेंकना भी था.

  • इस रैली के मंच की तस्वीरें ही इस रैली की असली सच्चाई है. SAVE PALESTINE...HUMANITY...PEACE जैसे शब्दों के पीछे का असली मकसद ये तस्वीरें ही हैं.

  • इसमें दो चीजें आपको गौर करनी चाहिए. पहली है मंच पर लगे बैनर में लिखे शब्द.

  • इसमें लिखा है 'Uproot bulldozer Hindutva & Apartheid Zionism' यानी 'बुलडोजर हिंदुत्व और Zionism मतलब यहूदियों को उखाड़ फेंको.'

HUMANITY...PEACE के नाम पर आयोजित की जाने वाली रैली में इस तरह के बैनर क्या संदेश दे रहे हैं, ये हमें बताने की जरूरत नहीं है. Save Palestine का झंडा उठाने वाले ये लोग, हिंदू और यहूदी समुदाय के प्रति कितनी घृणा रखते हैं. ये इन शब्दों से पता चलता है.

इस तस्वीर में एक और चीज पर आपको गौर करनी चाहिए. इसमें एक व्यक्ति आपको नजर आ रहा होगा. हम आपको इसकी पहचान बताना चाहते हैं. इस आदमी का नाम है, खालिद मिशाल. खालिद मिशाल, आतंकी संगठन हमास का नेता है. मतलब ये है कि फिलिस्तीन के समर्थन के नाम पर रैली आयोजित करने वाले लोग, आतंकी संगठन के नेता को अपना हीरो बनाकर, उसे मंच से संबोधित करने का मौका दे रहे थे. ये वही आतंकी संगठन हमास है, जिसने 7 अक्टूबर को इजरायल पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया था, उसने इजरायल के नागरिकों को मारा. इस हमले में बच्चे, बूढ़े, महिलाएं, सब मारे गए. आज भी हमास के कब्जे में इजरायल के सैकड़ों लोग बंधक बने हुए हैं. ऐसे आतंकी संगठन हमास के किसी नेता को मंच से वर्चुअली संबोधित करवाना, असलियत में मानवता के खिलाफ है.

  • आतंकी संगठन हमास का ये नेता, कतर में मौजूद है. वहीं से इसने इस रैली को संबोधित किया. इसने अपने संबोधन में कई भड़काऊ बातें कहीं. भारत में इजरायल के राजदूत नोर गिलॉन ने अपने एक ट्वीट में हमास के इस नेता के संबोधन की खास बातें बताईं.

  • खालिद मिशाल ने अपने संबोधन में धर्म विशेष के लोगों को सड़कों पर निकलकर अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए कहा. 

  • खालिद मिशाल ने जिहाद के लिए तैयार रहने के लिए कहा.

  • खालिद मिशाल ने रैली मेँ शामिल धर्म विशेष के लोगों से हमास के लिए आर्थिक मदद मांगी.

  • खालिद मिशाल ने सोशल मीडिया में फिलिस्तीन के समर्थन में लिखने के लिए कहा.

भारत के लिए ये है खतरनाक संकेत

यानी आतंकी संगठन हमास का नेता खालिद मिशाल चाहता है, कि फिलिस्तीन और इजरायल के बीच जो कुछ भी हो रहा है, उसका असर भारत में दिखे. खालिद मिशाल अपने संबोधन से भारत की सुरक्षा व्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. भारत में हो रही किसी रैली में आतंकी संगठन का कोई नेता, अगर संबोधन दे रहा है, तो ये खतरनाक संकेत है.

अभी तक इजरायल और हमास के बीच हो रही जंग में, भारत ने साफ शब्दों में 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमले को एक आतंकी हमला बताया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वैश्विक स्तर पर उन कुछ नेताओं में से थे, जिन्होंने हमास के हमले को आतंकी हमला बताकर उसकी निंदा की थी, और इजरायल को अपना समर्थन दिया था. हालांकि भारत ने फिलिस्तीन में हो रही हिंसा का समर्थन नहीं किया है.

आतंकी संगठन के नेता का संबोधन क्यों चला?

अब सवाल ये है कि भारत में हो रही किसी रैली में आतंकी संगठन के किसी नेता के संबोधन को रोका क्यों नहीं गया. क्या केरल सरकार को ये जानकारी नहीं थी कि, आतंकी संगठन हमास का कोई नेता, उनके ही राज्य की रैली में संबोधन देने जा रहा है? अगर आपको ऐसा लगता है कि राज्य सरकार को इसकी जानकारी नहीं होगी, तो आप गलत हैं. इस रैली की अनुमति राज्य प्रशासन की तरफ से ही मिली होगी, ये तय है.

अब आपको ये पोस्टर देखना चाहिए. फिलिस्तीन के समर्थन वाली इस रैली से पहले, इस तरह के पोस्टर, जगह-जगह लगाए गए थे. इस पोस्टर में जो लिखा है, वो आपको जानना जरूरी है. सबसे पहले तो इस पोस्टर में जो तस्वीर लगी है, वो खालिद मिशाल की है.

पोस्टर में ये बताया गया है कि 27 अक्टूबर को मलप्पुरम में रैली होगी, जिसमें लड़ाकों का नेता खालिद मिशाल आएगा. इसी पोस्टर में ये भी लिखा है कि ये यूथ विंग का प्रदर्शन है. यानी इस रैली से पहले ही, इसके आयोजकों SOLIDARITY YOUTH MOVEMENT ने आतंकी संगठन के नेता को बुलाने की योजना बना ली थी. लोगों की भीड़, उसी के नाम पर बुलाई गई थी.

स्थानीय प्रशासन को थी जानकारी

यानी स्थानीय और राज्य प्रशासन को इस बात की पूरी जानकारी थी, कि आतंकी संगठन हमास का नेता खालिद मिशाल, रैली को संबोधित करने आएगा. एक राज्य सरकार के तौर पर, ये रैली राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर करने की कोशिश थी. एक आतंकी संगठन के नेता अगर किसी राज्य में हुई रैली में संबोधन के लिए आ रहा है, तो ये उस राज्य के लिए खतरनाक स्थिति हो सकती है.

बम धमाकों ने केरल को हिलाया

केरल में एक और घटना हुई, जिसने पूरे देश को हाई अलर्ट पर ला दिया. कोच्चि में Jehovah’s Witnesses (येहोवा विटनेस) ईसाई समुदाय के एक कन्वेंशन में कल 3 बम धमाके हुए. ये बम धमाके उस वक्त हुए, जब येहोवा विटनेस ईसाई समुदाय, प्रार्थना कर रहा था. ये प्रार्थना सभा Zamara International Convention And Exhibition Centre में आयोजित की गई थी. इस प्रार्थना सभा में करीब ढाई हजार लोग मौजूद थे. इस बम धमाके में 3 लोगों के मारे जाने की खबर है जबकि 50 से ज्यादा लोग घायल हुए.

ये बम धमाका एक IED यानी इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस था. इन धमाकों को लेकर पूरे देश को हाई अलर्ट पर रखा गया. दरअसल इस हमले में जिस आईईडी का इस्तेमाल हुआ, उसने सुरक्षा एजेंसियों को हैरान कर दिया. जिस वक्त जांच चल रही थी, उस दौरान एक व्यक्ति डोमिनिक मार्टिन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली.

डोमिनिक मार्टिन ने पुलिस के आगे आत्मसमर्पण करने से पहले एक फेसबुक लाइव किया था. इसमें उसने हमले की जिम्मेदारी ली. उसने बताया कि वो कोच्चि का ही रहने वाला है. उसका कहना था कि वो Jehovah’s Witnesses ईसाई समुदाय के विचारों के खिलाफ है. हालांकि उसका ये भी कहना था, कि वो पिछले 16 वर्षों से Jehovah’s Witnesses से जुड़ा हुआ था. डोमिनिक मार्टिन ने एक बयान में कहा, मेरा नाम डॉमिनिक मार्टिन है. Jehovah’s Witnesses के कंवेशन में बम धमाका हुआ. मैं नहीं जानता कि वहां पर क्या स्थिति है. मैं इस हमले की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं. मैंने ही वहां पर बम धमाके किए हैं. मैं इस मूवमेंट के साथ पिछले 16 वर्षों से जुड़ा था. 6 वर्ष पहले मुझे अहसास हुआ,ये बहुत गलत मूवमेंट है और ये गलत चीजें सिखाता है.

अकेले शख्स ने किया ब्लास्ट?

बम धमाका करने वाले मार्टिन ने इस धमाके के लिए अपनी कुछ खास वजहें बताई हैं. लेकिन जांच एजेंसियां इससे संतुष्ट नहीं है. एक अकेला व्यक्ति, IED बनाकर, इस तरह से अगर हमला करने में सक्षम हो गया था, तो ये राज्य और देश के लिए खतरे का संकेत है. अब हम आपको इससे जुड़ी हमारी एक रिपोर्ट दिखाते हैं. आपमें से बहुत से लोगों Jehovah’s Witnesses को लेकर संशय होगा. आप जानना चाहते होंगे कि ये कौन होते हैं.

Jehovah’s Witnesses को आप ईसाई समुदाय का एक ऐसा समूह मान सकते हैं, जो Holy Trinity यानी The Father, The Son & The Holy Spirit के विचार को नहीं मानते. HOLY TRINITY के विचार के तहत ईश्वर को इन्हीं तीन रूपों में देखा जाता है. Jehovah’s Witnesses एक तरह से ईसा मसीह की पूजा आराधना नहीं करते हैं. बल्कि वो The Father यानी परम पिता ईश्वर को मानते हैं.

येहोवा समूह क्रिसमस नहीं मनाता

ईसाई धर्म में ईसा मसीह को परमपिता ईश्वर का बेटा माना जाता है. हिब्रू भाषा में ईश्वर का नाम Jehovah (येहोवा) बताया गया है. इसी वजह से Jehovah’s Witnesses समूह, क्रिसमस नहीं मनाता है. Jehovah’s Witnesses समुदाय को घर-घर जाकर ईसाई धर्म के लिए प्रचार करने के लिए जाना जाता है. इन लोगों का मानना है कि दुनिया की अंत नजदीक है और बहुत जल्दी ईश्वर की सत्ता स्थापित हो जाएगी.

इस आंदोलन की शुरुआत 19वीं सदी में अमेरिका में हुई थी, जबकि भारत में इसकी शुरुआत वर्ष 1905 से मानी जाती है. Jehovah’s Witnesses ईसाई समुदाय से जुड़ा एक केस भी हम आपको बताना चाहते हैं. भारत में Jehovah’s Witnesses पहली बार 1986 में सुर्खियों में आए थे. केरल में इस समुदाय के तीन बच्चों को राष्ट्रगान ना गाने की वजह से स्कूल से निकाल दिया गया था. स्कूल के इस फैसले को चुनाती देते हुए, Jehovah’s Witnesses के लोग सुप्रीम कोर्ट तक गए.

इनका तर्क था कि इनका धर्म, इन्हें सिर्फ और सिर्फ Jehovah की आराधना की अनुमति देता है. इसके अलावा वो किसी और की पूजा नहीं कर सकते. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इनके तर्क को मान लिया था. कोर्ट का कहना था कि अगर उन्हें राष्ट्रगान के लिए बाध्य किया गया तो ये संविधान के अनुच्छेद 25 के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन होगा.

Trending news