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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बड़ा दिल और विनम्रता दिखाते हुए कृषि कानूनों को खत्म करने का ऐलान कर दिया. लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत और बाकी किसान संगठनों ने तय किया है कि ये आंदोलन अब भी इसी तरह चलता रहेगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि उसने बिजली संशोधन विधेयक (Electricity amendment Bill) को भी वापस लेने की मांग की है और जब तक ऐसा नहीं होगा, ये आंदोलन चलता रहेगा. राकेश टिकैत ने कहा है कि वो आंदोलन तब तक खत्म नहीं करेंगे, जब तक कृषि कानूनों को खत्म करने की संवैधानिक कार्यवाही पूरी नहीं होती. उन्होंने ये भी कहा है कि अब वो फसलों के MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए एक अलग से कानून चाहते हैं और ये मांग भी सरकार को पूरी करनी चाहिए. राकेश टिकैत की बातों से आप समझ सकते हैं कि ये आन्दोलन असल में कृषि कानूनों को लेकर है ही नहीं. ये कानून प्रधानमंत्री मोदी को हटाने के लिए है. आज अगर केंद्र सरकार ने MSP का कानून बना दिया तो भी ये आंदोलन खत्म नहीं होगा. क्योंकि ये लोग कानून को नहीं बल्कि प्रधानमंत्री मोदी को हटाना चाहते हैं.
कानून निरस्त होने के बाद भी खाली नहीं हो रहे बॉर्डर
कानून निरस्त होने के लिए सरकार पेश करेगी नया बिल
इसी शीतकालीन सत्र में निरस्त हो जाएंगे कानून
प्रधानमंत्री मोदी ने आज उम्मीदों के विपरीत जाकर लोकतंत्र को संसद से बाहर ले जाने की कोशिश की. लेकिन जो लोग बाहर बैठे हैं, वो ये कह रहे हैं कि सरकार जब तक संसद में इन कानूनों को रद्द नहीं करेगी, वो आंदोलन करते रहेंगे. इसलिए अगर आपको भी ऐसा लग रहा था कि ऐलान के बाद शाम से ही ये किसान आंदोलन बन्द हो जाएगा तो आप गलत हैं. अभी ये सड़कें ऐसे ही घिरी रहेंगी और आपको संसद के शीत सत्र का इंतजार करना होगा.
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 245 देश की संसद को कानून बनाने का अधिकार देता है. लेकिन इसी अनुच्छेद में ये प्रावधान भी है कि अगर देश की संसद चाहे तो वो बहुमत से किसी कानून को रद्द भी कर सकती है. जिस तरह केंद्र सरकार कोई कानून बनाने के लिए उससे संबंधित बिल संसद में पेश करती है, वैसे ही किसी कानून को रद्द करने के लिए भी उसे एक बिल संसद में लाना होता है.
ये बिल दो तरह से लाए जा सकते हैं, या तो सरकार सीधे संसद में बिल लेकर आए या इसके संबंध में एक अध्यादेश जारी कर दे. अध्यादेश वाले तरीके में एक समस्या होती है कि सरकार को इसके अगले 6 महीने में फिर से बिल संसद में लाना ही होता है. यानी घूम फिर कर बात बिल पर ही आ जाती है. जैसा कि आज प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि सरकार इसी शीत सत्र में इन कानून को खत्म कर देगी. यानी केंद्र सरकार अध्यादेश वाला तरीका नहीं अपनाएगी.
संसद का शीत सत्र इसी महीने की 29 तारीख से शुरू हो रहा है और पूरी उम्मीद है कि सरकार इस सत्र के पहले दिन ही कृषि कानून रद्द करने के लिए एक बिल पेश करेगी, जिस पर पहले लोक सभा में वोटिंग होगी और फिर राज्यसभा में वोटिंग होगी. जब ये बिल दोनों सदनों में पास हो जाएगा तो इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करते ही ये बिल अपनी शक्ति खो देगा. यानी इतिहास बन जाएगा.
गौरतलब है कि मोदी सरकार पहली बार कोई कानून रद्द नहीं करेगी. साल 2014 से 2021 तक सरकार कुल 1 हजार 428 कानून खत्म कर चुकी है. हालांकि इनमें से 98% कानून ऐसे थे, जो कई दशकों पहले बने थे. लेकिन ये पहली बार है, जब मोदी सरकार ने ही कोई कानून बनाया, और उसे अपने कार्यकाल में ही उसे खत्म करना पड़ा.
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